Success story: रेशम के धागों से लाखों कमा रहे किसान, जानिए क्या है सफलता की कहानी

Success Story : टांगरगांव छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के आदिवासी बहुल इलाके में परिवर्तन की एक नई कहानी लिखी जा रही है। रेशम विभाग की कोसा पालन योजना (Kosa Palan Yojan) ने यहां के किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है और समृद्धि की ओर बढ़ाया है। किसानों जैसे परशुराम राजकुमार सुभाधर और अगस्तुस ने इस योजना को अपनाकर अपनी जिंदगी को बदल दिया।

आय में हुई कई गुना की वृद्धि

टांगरगांव के ये किसान कुछ साल पहले तक दूसरे राज्यों में मजदूरी करने को मजबूर थे। वर्ष भर की मेहनत के बावजूद केवल 30-35 हजार रुपये बचा पाते थे। परिवार चलाना कठिन था बच्चों की पढ़ाई और बेहतर जीवन के सपने पूरे नहीं होते थे। लेकिन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में रोजगार को प्राथमिकता देते हुए रेशम विभाग (Silkworm Department) ने टांगरगांव में कोसा पालन कार्यक्रम शुरू किया। 5 हेक्टेयर जमीन पर अर्जूना और साजा के पौधे लगाए गए। इन पौधों पर कोसा कीट पालन करने से किसानों को न केवल रोजगार का अवसर मिला बल्कि उनकी आय में कई गुना वृद्धि हुई।

सालाना 1.50 लाख रुपये की होती है कमाई

टांगरगांव के किसानों ने वर्ष 2024-25 में 3000 डीएफएल्स का पालन किया और 151080 कोसाफल का उत्पादन किया। कुल मिलाकर इस उत्पादन से 520000 रुपये से अधिक की कमाई हुई। प्रत्येक किसान ने औसतन 150000 रुपये प्रति वर्ष कमाए। यह अतिरिक्त आय ने इन किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधार दिया है और उनके परिवारों को भी खुश कर दिया है। अब बच्चों को अच्छी स्कूलों में पढ़ाया जाता है। पक्के घर बनाए जा रहे हैं। पूरे परिवार की जरूरतें और अच्छे कपड़े पूरे हो रहे हैं। अब काम के लिए दूसरे राज्यों में जाना आवश्यक नहीं है।

कोसा पालन योजना ने बदली जिंदगी

जैसा कि परशुराम और उनके सहयोगियों ने बताया हमारे जीवन को ‘कोसा पालन योजना’ (Kosa Palan Yojana) ने बदल दिया है। अब सपने देखना भी मुश्किल लगता है। बच्चों को अच्छे शिक्षण संस्थानों में भेज पा रहे हैं। हमारे पास अब रोजगार आय और भविष्य की उम्मीदें हैं। किसानों को रेशम विभाग उन्नत तकनीक प्रशिक्षण और सहायता देता है। किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए अधिकारी और कर्मचारी तुरंत मौके पर पहुंचते हैं। इस योजना से जिले में मजदूरी के लिए पलायन में 75 प्रतिशत की कमी आई है।

रेशम विभाग की इस योजना ने आदिवासी और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं का नया मॉडल प्रस्तुत किया है। टांगरगांव के ये किसान अब आत्मनिर्भर हैं और दूसरे गांवों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं। रेशम के नाजुक धागों से बुनी यह सफलता की कहानी दिखाती है कि सही योजना और प्रयास से बड़े परिवर्तन संभव हैं। कोसा पालन ने इन किसानों को एक नया जीवन और रोजगार भी दिया है। टांगरगांव के ये किसान अब अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य की नींव भी डाल रहे हैं।

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