इस बार बजट में मिलेगी इनकम टैक्स में छूट! जान लीजिए क्या है सरकार की तैयारी..

This time there will be income tax exemption in the budget! Know what the government is preparing forThis time there will be income tax exemption in the budget! Know what the government is preparing for

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को फाइनेंशियल ईयर 2025-26 का बजट पेश करेंगी। इसमें टैक्स में राहत की उम्मीद की जा रही है। इस बीच सरकार नए टैक्स रिजीम में किसी भी तरह की रियायत देने के पक्ष में नहीं है लेकिन वह टैक्स की सीमा बढ़ाने और स्लैब में फेरबदल के माध्यम से रियायत देने पर विचार कर रही है। इनकम टैक्स रेट्स को सबसे आखिर में अंतिम रूप दिया जाता है और आमतौर पर हर बजट से पहले उनमें बदलाव की मांग की जाती है। इस बार भी यही मामला है। कंपनियों और अर्थशास्त्रियों ने कमजोर मांग का हवाला देते हुए मध्यम वर्ग पर टैक्स का बोझ कम करने की मांग की है।

पिछले साल सीतारमण ने सैलरीड क्लास के लिए स्डैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया था और स्लैब में भी संशोधन किया था। उन्होंने तब दावा किया था कि इन उपायों से टैक्सपेयर्स को 17,500 रुपये का लाभ होगा। इस बार भी सरकार में स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाने पर चर्चा हुई है। माना जा रहा है कि सभी करदाताओं को इसमें राहत दी जा सकती है। मिडिल क्लास के उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल इनकम बढ़ाने की मांग को देखते हुए टैक्स स्लैब में बदलाव पर भी चर्चा हुई है।

हेल्थ इंश्योरेंस में छूट
एक तरफ केंद्र सरकार नए टैक्स रिजीम में स्लैब्स में बदलाव पर ध्यान केंद्रित कर रही है तो दूसरी ओर हेल्थ इंश्योरेंस तथा पेंशन जैसे खर्चों पर टैक्स में छूट देने की भी मांग की जा रही है। इसे भारत जैसे देश में महत्वपूर्ण माना जाता है, जहां सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर सभी को खुद ही इसके लिए जूझना पड़ता है। कुछ वर्ग पुराने टैक्स रिजीम को खत्म करने की मांग कर रहे हैं जो उन टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है जो एचआरए और होम लोन क्लैम करते हैं।

एसबीआई की एक रिपोर्ट में 50,000 रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा और 75,000 रुपये या 1 लाख रुपये तक के एनपीएस कंट्रीब्यूशन में टैक्स में छूट की मांग की गई है। यदि 10-15 लाख रुपये की कर योग्य आय वालों के लिए 15% लेवी के साथ शीर्ष दर को 30% पर बरकरार रखा जाता है (वर्तमान में 12-15 लाख रुपये के लिए 20% के मुकाबले), तो केंद्र को सालाना 16,000 करोड़ रुपये से 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इसमें इंटरेस्ट इनकम के टैक्स ट्रीटमेंट में भी बदलाव के पक्ष में भी तर्क दिए गए हैं।

न्यू वर्सेज ओल्ड टैक्स रिजीम
यदि 15 लाख रुपये या उससे अधिक की टैक्सेबल इनकम वालों के लिए टॉप रेट को 30% से घटाकर 25% कर दिया जाता है और साथ ही 50,000 रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा और 75,000 रुपये सालाना एनपीएस कंट्रीब्यूशन पर टैक्स में छूट दी जाती है तो सरकार को 74,000 करोड़ रुपये से लेकर 1.1 लाख करोड़ रुपये के बीच रेवेन्यू का नुकसान होगा।

अगर अधिकतम दर को घटाकर 25% कर दिया जाता है, साथ ही 10-15 लाख रुपये की टैक्सेबल इनकम वालों के लिए 15% लेवी और 50,000 रुपये तक के हेल्थ कवर और सालाना 75,000 रुपये के एनपीएस के लिए टैक्स में छूट दी जाती है तो रेवेन्यू का नुकसान 85,000 करोड़ रुपये से 1.2 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। ने टैक्स रिजीम के तहत होम लोन पर भी टैक्स में फायदा देने का भी सुझाव दिया गया है। हालांकि, सरकारी अधिकारी रियायतें और छूट देने के खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि इससे नई व्यवस्था भी धीरे-धीरे पुरानी व्यवस्था जैसी हो जाएगी। साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि टैक्सपेयर्स के पास अपने फायदे के हिसाब से टैक्स रिजीम चुनने का विकल्प होना चाहिए।

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