‘एक साल से सुलग रहा है मणिपुर’
भागवत ने कहा कि विभिन्न स्थानों और समाज में संघर्ष अच्छा नहीं है. उन्होंने चुनावी बयानबाजी से बाहर आकर देश के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया. भागवत ने कहा, ‘मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है. दस साल पहले मणिपुर में शांति थी. ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है.’
संघ प्रमुख ने कहा, ‘मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा. चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है.’ RSS प्रमुख ने कहा कि अशांति या तो भड़की या भड़काई गई, लेकिन मणिपुर जल रहा है और लोग इसकी तपिश का सामना कर रहे हैं.
पिछले साल मई में मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी. तब से अब तक करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि बड़े पैमाने पर आगजनी के बाद हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. इस आगजनी में मकान और सरकारी इमारतें जलकर खाक हो गई हैं. पिछले कुछ दिनों में जिरीबाम से ताजा हिंसा की सूचना आई है.
‘चुनावी बयानबाजी भूलकर आगे बढ़ें’
लोकसभा चुनावों के बारे में भागवत ने कहा कि नतीजे आ चुके हैं और सरकार बन चुकी है, इसलिए ‘क्या और कैसे हुआ’ आदि पर अनावश्यक चर्चा से बचा जा सकता है. उन्होंने कहा कि RSS ‘कैसे हुआ, क्या हुआ’ जैसी चर्चाओं में शामिल नहीं होता है. भागवत ने कहा कि चुनाव बहुमत हासिल करने के लिए होते हैं और यह एक प्रतिस्पर्धा है, युद्ध नहीं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल और नेता एक-दूसरे की बुराई कर रहे हैं, लेकिन वे इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि इससे समुदायों के बीच दरार पैदा हो सकती है.
भागवत ने अफसोस जताया कि आरएसएस को भी बिना किसी कारण के इसमें घसीटा जा रहा है. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि चुनाव में हमेशा दो पक्ष होते हैं, लेकिन जीतने के लिए झूठ का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि तकनीक (परोक्ष तौर पर डीपफेक आदि की ओर इशारा करते हुए) का उपयोग करके झूठ फैलाया गया.
‘अतीत को भूल जाएं, सबको अपना मानें’
RSS चीफ ने कहा कि हमें अतीत को भूलकर सबको अपना मानना चाहिए. भागवत ने कहा, ‘भारतीय समाज विविधतापूर्ण है, लेकिन सभी जानते हैं कि यह एक समाज है और वे इसकी विविधता को स्वीकार भी करते हैं. सभी को एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए और एक-दूसरे की उपासना पद्धति का सम्मान करना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों से जारी अन्याय के कारण लोगों के बीच दूरियां हैं. उन्होंने कहा कि आक्रमणकारी भारत आए और अपने साथ अपनी विचारधारा लेकर आए, जिसका कुछ लोगों ने अनुसरण किया, लेकिन यह अच्छी बात है कि देश की संस्कृति इस विचारधारा से प्रभावित नहीं हुई.
भागवत ने कहा कि इस्लाम और ईसाई जैसे धर्मों की अच्छाई और मानवता को अपनाया जाना चाहिए और सभी धर्मों के अनुयायियों को एक-दूसरे का भाई-बहन के रूप में सम्मान करना चाहिए. भागवत ने कहा कि सभी को यह मानकर आगे बढ़ना चाहिए कि यह देश हमारा है और इस भूमि पर जन्म लेने वाले सभी लोग हमारे अपने हैं. आरएसएस प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि अतीत को भूल जाना चाहिए और सभी को अपना मानना चाहिए.
भागवत ने कहा कि जातिवाद को पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने आरएसएस पदाधिकारियों से समाज में सामाजिक सद्भाव की दिशा में काम करने को कहा.