देश के आम आदमी को पहली बार मिला ऐसा बजटः जानें विस्तार से कैसे होगा बंपर फायदा….

नई दिल्ली। इस बजट को कम होती उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने के तौर पर जाना जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर स्लैब को तर्कसंगत बनाने के साथ-साथ टीडीएस और टीसीएस दोनों सीमाओं में बदलाव करके इसकी पुष्टि भी की है। आयकर छूट की सीमा को सात लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया है। नई कर व्यवस्था के तहत कर स्लैब और दरों में बदलाव से आम आदमी को बचत होगी। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर कोई व्यक्ति सालाना 16,00,000 रुपये कमाता है तो उसे 50,000 रुपये तक और सालाना 24,00,000 रुपये […]
देश के आम आदमी को पहली बार मिला ऐसा बजटः जानें विस्तार से कैसे होगा बंपर फायदा….देश के आम आदमी को पहली बार मिला ऐसा बजटः जानें विस्तार से कैसे होगा बंपर फायदा….

नई दिल्ली। इस बजट को कम होती उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने के तौर पर जाना जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर स्लैब को तर्कसंगत बनाने के साथ-साथ टीडीएस और टीसीएस दोनों सीमाओं में बदलाव करके इसकी पुष्टि भी की है।

आयकर छूट की सीमा को सात लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया है। नई कर व्यवस्था के तहत कर स्लैब और दरों में बदलाव से आम आदमी को बचत होगी। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर कोई व्यक्ति सालाना 16,00,000 रुपये कमाता है तो उसे 50,000 रुपये तक और सालाना 24,00,000 रुपये कमाने वाले को आयकर में 1,10,000 रुपये की बचत होगी।

उपभोक्ता मांग को मिलेगा बढ़ावा
माना जा रहा है कि इससे निम्न और मध्य वर्ग द्वारा उपभोक्ता मांग और बचत को बढ़ावा मिलने की संभावना है। यह वह वर्ग है, जो मुद्रास्फीति और वेतन में धीमी वृद्धि के चलते चुनौतियां का सामना कर रहा है।

बजट आम आदमी को रियायतें देने से कहीं आगे जाता है। दीर्घकालिक विकास की आकांक्षा को अगर पूरा करना है तो देश के लिए रोजगार सृजन और कौशल संवर्धन सबसे जरूरी है। बजट का लक्ष्य एमएसएमई की ऋण तक पहुंच को आसान बनाने के साथ ही टर्नओवर सीमाओं के पुनर्वर्गीकरण के जरिये बढ़ावा देना है।

व्यापार बढ़ाने में मिलेगा प्रोत्साहन
इससे उन्हें अपना व्यापार बढ़ाने और रोजगार सृजन में प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, गिग श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा और फुटवियर, खिलौने, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन जैसे श्रम आधारित क्षेत्रों को बढ़ावा देने से रोजगार सृजन बढ़ने की संभावना है।

हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि प्रत्येक वर्ष कार्यबल में शामिल होने वाले 70-80 लाख लोगों में से कितने इन सेक्टरों में रोजगार पाते हैं। 2025-26 के लिए राजकोषीय लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद का 4.4 प्रतिशत निर्धारित किया गया है, जो चालू वित्त वर्ष के 4.8 प्रतिशत से 40 आधार अंक कम है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि आयकर कटौती के कारण एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान के बावजूद यह कैसे हासिल किया जाता है। बजट में आय और कॉरपोरेट कर दोनों के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह की धारणाओं पर थोड़ा आशावादी होने से राजकोषीय गणित को संतुलित किया गया है।

आरबीआई लाभांश पर निर्भरता
इसके अलावा, 2025-26 के लिए 2.6 लाख करोड़ रुपए के आरबीआई लाभांश पर निर्भरता बनी हुई है। जहां तक व्यय पक्ष की बात है तो वृद्धि संकुचित है और पूंजीगत व्यय में केवल 10 प्रतिशत वृद्धि का एलान किया गया है।

अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने के लिए पूंजीगत व्यय पर रूढ़िवादी होना ठीक है, जबकि राजकोषीय स्थिति को समग्र रूप से मजबूत करना विकास के लिए अच्छा होता है।