ट्रेनों में न होगा सर्दी का अहसास और न ही गर्मी का, रेलवे करने जा रहा है नई तकनीक का इस्‍तेमाल….

नई दिल्‍ली. ट्रेन में सफर के दौरान न तो आपको सर्दी लगेगी और न ही गर्मी. इतना ही नहीं बाहर का प्रदूषण और ट्रेन की स्‍पीड की वजह से उड़ने वाली धूल के कण भी कोच के अंदर नहीं नहीं जाएंगे. भारतीय रेलवे यात्रियों को वर्ल्‍ड क्‍लास सुविधाएं देने के लिए नई तकनीक का प्रयोग करने जा रहा है. इस तकनीक को ट्रायल के रूप में दिल्‍ली खजुराहो रूट पर चलने वाली ट्रेनों में लागू किया जा रहा है. सफल होने के बाद अन्‍य ट्रेनों में भी इस्‍तेमाल किया जाएगा. रेल मंत्रालय के अनुसार नई तकनीक का इस्‍तेमाल एसी क्‍लास […]
ट्रेनों में न होगा सर्दी का अहसास और न ही गर्मी का, रेलवे करने जा रहा है नई तकनीक का इस्‍तेमाल….ट्रेनों में न होगा सर्दी का अहसास और न ही गर्मी का, रेलवे करने जा रहा है नई तकनीक का इस्‍तेमाल….

नई दिल्‍ली. ट्रेन में सफर के दौरान न तो आपको सर्दी लगेगी और न ही गर्मी. इतना ही नहीं बाहर का प्रदूषण और ट्रेन की स्‍पीड की वजह से उड़ने वाली धूल के कण भी कोच के अंदर नहीं नहीं जाएंगे. भारतीय रेलवे यात्रियों को वर्ल्‍ड क्‍लास सुविधाएं देने के लिए नई तकनीक का प्रयोग करने जा रहा है. इस तकनीक को ट्रायल के रूप में दिल्‍ली खजुराहो रूट पर चलने वाली ट्रेनों में लागू किया जा रहा है. सफल होने के बाद अन्‍य ट्रेनों में भी इस्‍तेमाल किया जाएगा.

रेल मंत्रालय के अनुसार नई तकनीक का इस्‍तेमाल एसी क्‍लास में किया जा रहा है. क्‍योंकि इन ट्रेनों में यात्रियों के चढ़ते और उतरते समय बार बार गेट खुलता है. जिससे बाहर की धूल और प्रदूषण अंदर आता है. कई बार ट्रेन चलने के दौरान बाहर का गेट खुला रहा जाता है, ऐसे में स्‍पीड की वजह से उड़ रही धूल भी कोच के अंदर आ जाती है.

वहीं, देश के अन्‍य हिस्‍सों से कश्‍मीर के श्रीनगर में ट्रेनें चलाने में काफी चुनौती का सामाना करना पड़ता है. क्योंकि घाटी में मौजूदा समय चल रहे पारंपरिक एसी डिब्बे अत्यधिक ठंड की में यात्रा के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं. तरह की समस्‍या के समाधान के लिए भारतीय रेलवे विश्‍व स्‍तरीय एयर कर्टेन (वायु पर्दा) तकनीक का इस्‍तेमाल करने जा रहा है. इसकी शुरुआत उत्‍तर रेलवे करने जा रहा है.

रेलवे मंत्रालय के अनुसार रेलवे पारंपरिक एसी कोचों को गर्म हवा के लिए एयर कर्टेन से लैस करने पर भी विचार कर रहा है, जो कोचों को बाहर की अत्यधिक ठंड से बचाने में अधिक प्रभावी होंगे. रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हम घाटी और अन्य जगहों में भी एयर कर्टेन प्रणाली शुरू करने पर विचार कर रहे हैं.

इस तरह काम करेंगे एयर कर्टेन

ये तकनीक दरवाजे पर एक ट्रांसपैरेंट एयर बैरियर बनाते हैं. जिससे दरवाजे खुलने पर बाहर की गर्मी, सर्दी, धूल और प्रदूषण को कोच के अंदर आने से रोकता है. जिससे कोच के अंदर मौजूद वातानुकूलित हवा को बचाया जाता है. ट्रेन के दरवाजे बार-बार खुलने और बंद होने से तापमान और वायु दबाव में काफी उतार-चढ़ाव हो सकता है. एयर कट्रैन एयर फ्लो को स्थिर करते हैं, जिससे एचवीएसी (हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग) सिस्टम के रखरखाव की लागत कम होगी. यह तकनीक वंदेभारत जैसी आधुनिक ट्रेनों में काफी कारगर होगी.