आप तो जानते ही होंगे कि कलियुग में पाप काफी सारे बढ चूके है। आध्यात्मिक शास्त्र लुप्त होना, पाखंड बढना, संप्रदायों की कल्पना का प्रसार जैसी कई सारी घटना से हमें मालूम हो रहा है कलयुग अपनी चरम सीमा पर पहुंचने वाला है।
बता दें कि गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित के उत्तराखंड में कांग भूषण जी के पूर्व जन्म और काली की महिमा का वर्णन किया है। जिसमें हजारों वर्ष पूर्व श्रीमद्भगवद्गीता में सुखदेवजी ने कलियुग का वर्णन मेरे विधान और क्षेत्र से किया है। हमारी आंखें खोलने के लिए काफी है। आज घटनाएँ चारों दिशाओं में फैल रही हैं। ऐसा लगता है कि ठीक आगे ऐसा ही होगा।