गर्मी का मौसम आते ही हर बाजार में पत्ता गोभी (Cabbage) धड़ल्ले से मिलनी शुरू हो जाती है, हालांकि ये मिलती तो पूरे 12 महीने है, लेकिन गर्मी में इसकी पैदावार ज्यादा होती है और यही वजह है की आम दिनों के मुकाबले गर्मी में पत्ता गोभी काफी सस्ती भी हो जाती है। तमाम लोगों को पत्ता गोभी का स्वाद इतना अच्छा लगता है कि वह इसे कच्ची तक खाने लगते हैं। जबकि कुछ लोगों पत्ता गोभी की सब्जी बनाकरग खाते हैं तो कुछ लोग फास्टफूड के साथ इसे खाना पसंद करते हैं। पत्ता गोभी की सब्जी,चाउमीन, मोमोस जैसे फास्टफूड (Fast food) के अलावा सलाद में भी इस्तेमाल की जाती है। मगर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि जिस पत्ता गोभी को आप बड़े चाव से खाते हैं कई बार वह आपकी जान की दुश्मन भी बन सकती है। जी हां, क्योंकि इसमें पाए जाने वाले टेपवर्म यानी फीताकृमि खाने के लिए दौरान आपके पेट में जा सकते हैं जो आपकी सेहत और जान के लिए मुसीबत पैदा कर सकते हैं।
पूरी बॉडी में फैल जाते हैं फीताकृमि
ये टेपवर्म हमारी आंतों में विकसित होकर रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य हिस्सों में भी पहुंच सकते हैं। कई बार ये मस्तिष्क में भी पहुंच सकते हैं। पिछले कुछ सालों में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, जो लोग पत्तागोभी का कच्चा सेवन करते हैं उनके शरीर में फीताकृमि के पहुंचने की संभावना बहुत अधिक रहती हैं। ये सुक्ष्म कृमि इंसान के दिमाग में पहुंचकर उसके लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
बेहद सूक्ष्म होते हैं फीताकृमि
ये एक तरह का सूक्ष्म कीड़ा होता है। भारत में टेपवर्म को लेकर खतरे के मामले करीब 20-25 साल ही देखने को मिलने लगे थे। देश के कुछ हिस्सों में मरीज सिर में तेज दर्द की शिकायत के साथ हॉस्पिटल पहुंचे थे। ऐसे कई मामलों में मरीज को मिर्गी की तरह दौरे भी पड़ रहे थे। बहुत से रोगी अपनी जान से हाथ धो बैठे। क्योंकि उनके दिमाग में ये काफी संख्या में पहुंच चुके थे। कुछेक रोगियों (जिनकी जान बच गयी) ने बाद में पत्ता गोभी खाना बिल्कुल बंद कर दिया।
कई लोगों ने बना ली पत्ता गोभी से दूरी
जिन लोगों को ऐसे मामलों का पता चला, उन्होंने भी पत्ता गोभी से दूरी बनाने में ही भलाई समझी। टेपवर्म के डर से लोगों ने पत्ता गोभी जैसी पोषक सब्जी से दूरी बनाने में ही अपनी भलाई समझी। बता दें कि टेपवर्म के संक्रमण के मामले पूरी दुनिया में पाए जाते हैं, लेकिन खाद्य पदार्थों के रखरखाव आदि के तरीकों में अंतर के कारण भारत में इसके संक्रमण के मामले कुछ ज्यादा पाए जाते हैं।
कैसे शरीर में पहुंच जाते हैं फीताकृमि
फीताकृमि इंसान के शरीर में सब्जी, सलाद के रूप में पहुंचते हैं जो हमें दो तरह से नुकसान पहुंचाता है। ये बेहद सूक्ष्म होते हैं जिसके चलते वह दिखाई नहीं देते।पत्तागोभी को ठीक से धोने के बाद भी ये पत्तों के बीच में चिपका रह जाता है। ऐसी स्थिति में जब हम कच्ची पत्ता गोभी का सेवन करते हैं तो हमारे शरीर में इसके पहुंचने की आशंका सबसे अधिक रहती है। जब भोजन अधपका रह जाता है तो भी यह हमारे शरीर में पहुंच जाता है। इसीलिए अब भारी संख्या में लोग पत्ता गोभी से परहेज करने लगे हैं।