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नई दिल्ली: 27 साल के इंतजार के बाद दिल्ली में बीजेपी ने अपनी वापसी की है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगभग दस साल बाद आम आदमी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई, वो भी तब जब AAP सरकार ने अपने ‘दिल्ली मॉडल’ को हिट पिक्चर के तौर पर पेश किया था। पिछली बार 62 सीटें जीतने वाली AAP कैसे 22 सीटों पर आ गई। क्या हैं वो पांच बड़े टर्निंग पॉइंट, जिन्होंने दिल्ली की सियासी हवा बदल दी।
नवंबर 2021: शराब की नई पॉलिसी लानी पड़ी महंगी
यह वो तारीख थी, जब दिल्ली में नई शराब पॉलिसी लागू की गई। करप्शन के खिलाफ लड़ाई शुरू करके दिल्ली की सत्ता में पहुंची आम आदमी पार्टी पर करप्शन का सबसे बड़ा आरोप इसी पॉलिसी की वजह से लगा। ये बड़ा टर्निंग पाइंट था। एक्साइज पॉलिसी के साथ विवाद जुड़ते चले गए। ‘शराब की एक के साथ एक फ्री बोतल’ की चर्चा जहां सड़कों पर जहां जनता के बीच हुई, वहीं विपक्ष ने इसमें घपला खोज लिया। जांच रिपोर्ट में इस मामले में गड़बड़ियों के आरोप लगे।
मई 2022: उपराज्यपाल से टकराना बना गलत फैसला
वी.के. सक्सेना के उपराज्यपाल बने। AAP के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार का हालांकि इससे पहले के उपराज्यपालों से भी टकराव था, लेकिन वी.के. सक्सेना के उपराज्यपाल बनने के बाद ये टकराव लगातार बढ़ता ही रहा। एलजी के निर्देश पर न सिर्फ शराब मामले, बल्कि कई अन्य मामलों की भी जांच पड़ताल की गई और AAP के नेता उसमें फंसते गए। नेताओं का अफसरों से भी टकराव होता रहा, जिसकी वजह से दिल्ली सरकार की हर योजना अटकती चली गई।
मई 2022: नेताओं की गिरफ्तारी ने बदला सियासी मूड
सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका था। जैन के बाद मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई। और फिर सितारे ऐसे गर्दिश में आए कि इनके बाद मुख्यमंत्री रहते हुए अरविंद केजरीवाल भी गिरफ्तार हो गए। उन्हें लंबे वक्त तक जेल में रहना पड़ा। हालांकि इस दौरान आम आदमी पार्टी करप्शन के आरोपों को एक साजिश बताती रही, लेकिन बड़े नेताओं के जेल में रहने से जनता के बीच यह संदेश गया कि इस मामले में कुछ तो ’गड़बड़‘ है।
सितंबर 2024: जब बदल गया सीएम का चेहरा
मुख्यमंत्री पद से अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा देना दिल्ली की राजनीति में सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट रहा। ये इस्तीफा जेल से जमानत पर आने के बाद दिया। इससे पहले वे जेल में कई महीने रहे, लेकिन मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ा। जिससे दिल्ली सरकार का कामकाज लगभग ठप हो गया। इसके बाद आतिशी को सीएम बनाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और सरकार के पास अपनी ही योजनाओं पर अमल करने के लिए वक्त ही नहीं बचा था।
दिसंबर 2024: राहुल गांधी पर हमला, और फिर…
छह महीने पहले कांग्रेस से मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने वाली AAP ने पहले ही अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। I.N.D.I.A. के अन्य नेताओं की मदद से कांग्रेस पर चुनाव न लड़ने का दबाव बनाना शुरू किया। कांग्रेस अभी असमंजस में ही थी कि केजरीवाल ने ‘एक्स’ पर राहुल गांधी को भ्रष्ट नेता बता दिया। इसके बाद न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी केजरीवाल के खिलाफ जमकर चुनाव प्रचार किया।