Daughter's Right in Father's Property: शादीशुदा बेटी का पिता की संपत्ति में कितना अधिकार, जानिये कानून

Daughter's Right in Father's Property: शादीशुदा बेटी का पिता की संपत्ति में कितना अधिकार, जानिये कानून

Himachali Khabar (Daughter right for Property)। भारत के संविधान में अन्य देशों के मुकाबले बहुत कठिन नियम है। सभी देशवासियों को इन नियमों का पालन करना बहुत जरुरी होता है। नियमों का उल्लंघन (Indian Law for property) करने पर कानूनी सजा का भी प्रावधान किया हुआ है।

भारत में सबसे ज्यादा कानूनी विवाद (legal dispute) प्रोपर्टी पर होता है। कुछ लोग गलत तरीकों से दुसरों की प्रोपर्टी को कब्जा लेते है। ऐसे में इन मामलों का निपटारा करने के लिए संविधान में कई नियमों का प्रावधान है। भारतीय कानून में पिता की संपत्ति (Father’s Property) पर जितना अधिकार बेटे का होता है उतना ही अधिकार बेटी का भी होता है। बेटी की शादी होने के बाद वह अपने ससुराल चली जाती है, तो कहा जाता है कि प्रॉपर्टी में उनका हिस्सा ख़त्म हो गया।

 

विरासत की प्रोपर्टी पर बेटे- बेटी का बराबर हक

भारत प्रोपर्टी को लेकर कई कानून एवं नियम बनाए गए है। सभी देशवासियों को इन नियमों और कानूनों (heritage property Right) का पालन करना अनिवार्य है। विरासत में मिली प्रोपर्टी पर जितना हक बेटे का है उतना ही हक बेटी का भी है। चाहे बेटी विवाहित या अविवाहित हो। देश में पुरानी पंरपराओं (old traditions in Property) की अधिकता होने के कारण ज्यादातर महिलाओं को उनके हकों के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। महिलाओं को उनके अधिकारों की पूर्ण जानकारी नहीं होने के कारण वो धोखाधड़ी का शिकार हो जाती है। 

 

इस अधिनियम के तहत विवाहिता कर सकती है पिता की संपत्ति पर दावा

भारत में लड़की का अपने पिता की संपत्ति पर लड़के जितना हक होता है। लड़की की शादी होने के बाद भी पिता की संपत्ति पर उतना ही अधिकार होता है जितना शादी से पहले था। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act, 1956) में वर्ष 2005 के संशोधन के बाद बेटी को सह-वारिसदार माना गया है। इस अधिनियम के तहत बेटी की शादी से पिता की प्रॉपर्टी पर उसके अधिकार में कोई बदलाव नहीं आता है।

 

इन हालातों में शादीशुदा बेटी नहीं कर सकती संपत्ति पर दावा

वैसे तो भारत में पिता की संपत्ति पर जितना बेटे का अधिकार होता है उतना ही अधिकार बेटी का भी होता है। लेकिन, कुछ ऐसी परिस्थिति होती है। जिनमें बेटी अपने पिता की संपत्ति (Daughter’s Right in Father’s Property Conditions) पर कोई हक नहीं जता सकती है।

पिता जीवित रहते हुए यदि अपनी संपत्ति को बेटे के नाम करवा देता है तो बेटी उस संपत्ति पर अपना अधिकार (Property Right news) नहीं जता सकती है। साथ ही खुद से बनाई गई प्रॉपर्टी के मामले में भी बेटी का पक्ष कमजोर होता है। अगर पिता ने अपने पैसे से जमीन खरीदी है, मकान बनाया है या खरीदा है तो वह इस प्रॉपर्टी जिसको चाहे दे सकता है। खुद से बनाई गई प्रॉपर्टी को अपनी मर्जी से किसी को देना पिता का कानूनी अधिकार है।

कानून में ये है प्रावधान

भारतीय कानून (Indian property law) में प्रोपर्टी से संबंधित कानूनों में समय और हालातों के अनुसार बदलाव होता रहता है। वर्ष 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में संशोधन करके बेटियों को पैतृक प्रॉपर्टी (ancestral property Law in India) में बराबर का हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया गया है।

प्रॉपर्टी पर दावे और अधिकार के प्रावधानों के लिए यह कानून 1956 में बनाया गया था। इस कानून अधिनियम के तहत पिता की संपत्ति पर जितना बेटे का अधिकार है उतना ही अधिकार बेटी का भी है। इस उत्तराधिकार कानून में 2005 के संशोधन ने पिता की प्रॉपर्टी पर बेटी के अधिकारों के बारे में किसी भी संदेह को समाप्त कर दिया।

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