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नई दिल्ली। जनवरी 2024 में जब लोग अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का इंतजार कर रहे थे, तब कई प्रेग्नेंट महिलाएं अपने बच्चों को उसी तारीख यानी 22 जनवरी को जन्म देने के लिए अस्पतालों की कतार में खड़ी थीं. वे चाहती थीं कि उनके बच्चे का जन्म अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा वाली तारीख के साथ हो. उन्होंने इसके लिए डॉक्टरों से पहले ही अनुरोध कर दिया था कि वे उनकी मांग को पूरा करें ताकि उनके बच्चे का जन्म ‘शुभ मुहूर्त’ और तारीख पर हो सके.
क्या होती है मुहूर्त डिलीवरी
यह सिर्फ़ एक बार की घटना नहीं थी बल्कि पूरे भारत में मुहूर्त डिलीवरी या शुभ समय पर बच्चे को जन्म देने का ट्रेंड बढ़ रहा है. लेकिन अस्पतालों और डॉक्टरों को इस तरह के अनुरोध क्यों मिल रहे हैं? कुछ क्लीनिक तो अपनी सर्विस लिस्ट में ‘मुहूर्त डिलीवरी’ को भी शामिल करने की हद तक जा पहुंचे हैं. क्या भारत में मुहूर्त डिलीवरी का क्रेज अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है, अगर हां, तो इसकी वजह क्या है?
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बेंगलुरु के ग्लेनेगल्स बीजीएस अस्पताल में प्रसूति और स्त्री रोग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. निर्मला चंद्रशेखर बताती हैं कि मुहूर्त डिलीवरी का मतलब उस प्रथा से है जिसमें माता-पिता अपने बच्चे के जन्म के लिए एक खास दिन और समय चुनते हैं. अक्सर पुजारी या ज्योतिषी से सलाह लेने के बाद ही यह दिन और समय तय किया जाता है. हालांकि डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रेग्नेंट महिला की उम्र ठीक हो और आगे बढ़ने से पहले उसे कोई मेडिकल इमरजेंसी न हो.
सी-सेक्शन पर निर्भरता है वजह
डॉक्टरों के अनुसार, यह कोई नई बात नहीं है और वैकल्पिक सी-सेक्शन पर बढ़ती निर्भरता ने इसे ज्यादा प्रचलित बना दिया गया है. वह आगे कहती हैं कि पहली बार मां बनने वाली कई महिलाएं पहले से ही प्लान करके सी-सेक्शन का विकल्प चुनती हैं, ऐसे में डिलीवरी के लिए भी परफेक्ट टाइम तय करना उन्हें ज्यादा तर्कसंगत लगता है.
डिलीवरी को पूरी तरह से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है और परंपरागत रूप से ज्यादातर डिलीवरी स्वाभाविक रूप से होती आई हैं, इसलिए तारीख तय करना सिर्फ एक मोटा अनुमान होता था कि बच्चा कब जन्म ले सकता है. हालांकि अब मेडिकल सुविधाएं एडवांस हो गई हैं, इसी वजह से कई माता-पिता मानते हैं कि वे ज्योतिष के अनुसार तारीख और समय चुनकर अपने बच्चे के भाग्य को भी प्रभावित कर सकते हैं. इसे आम तौर पर अंकशास्त्री या पुजारी की सलाह पर पहले से तय किया जाता है.
बच्चे का भाग्य तय करने की धारणा
हैदराबाद के केयर हॉस्पिटल्स की क्लीनिकल डायरेक्टर डॉ. मंजुला अनागानी इस बात से सहमत हैं कि हाल के वर्षों में मुहूर्त डिलीवरी की मांग बढ़ी है. ज्यादा से ज्यादा लोग इसकी मांग कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि इस अनिश्चित दुनिया में वे अपने बच्चे के भाग्य को प्रभावित कर सकते हैं, जो बिल्कुल उचित नहीं है. हमारे अस्पताल में यह प्रावधान उन मामलों में लागू होता है जहां पहले से ही तय हो चुका है कि बच्चे का जन्म सिजेरियन सेक्शन के ज़रिए ही होगा.
यही वजह है कि अस्पतालों को भी इस बढ़ते ट्रेंड के मुताबिक खुद को ढालना पड़ा. लेकिन इसके लिए भी कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं. कुछ डॉक्टरों का दावा है कि उन्होंने कुछ माता-पिता के बेतुके अनुरोधों को ठुकरा दिया है. डॉ. अनागानी के मुताबिक आमतौर पर हम इसे सुबह या दिन के समय में करना पसंद करते हैं. अगर मरीज उस अवधि के दौरान किसी वक्त का का अनुरोध करते हैं, तो हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है. हालांकि हम आधी रात, रात 10 बजे या रात 1 बजे प्रसव कराने के पक्ष में नहीं हैं, जब सेवाएं देना मुश्किल होता है और बच्चे और मां दोनों के लिए यह अच्छा नहीं है.
इस बीच स्टडी से पता चलता है कि भारत में सी-सेक्शन डिलीवरी में बढ़ोतरी आई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2015-2016 में 17.2% से 2019-2021 में 21.5% की वृद्धि हुई है. सर्वे यह भी बताता है कि यह ट्रेंड विशेष रूप से निजी अस्पतालों में प्रमुख है, जहां लगभग आधी डिलीवरी सी-सेक्शन होती हैं.
मां-बच्चे के लिए कोई जोखिम?
अब ज़्यादातर लोग यह सुझाव दे सकते हैं कि अगर भारत में जटिलताओं या अन्य कारणों से सी-सेक्शन का चलन बढ़ रहा है, तो प्लान करके डिलीवरी कराना मां या बच्चे के स्वास्थ्य के लिए कैसे समस्या बन सकता है? हालांकि, सच्चाई इससे बिलकुल अलग है. डॉ. अनागानी चेतावनी देती हैं कि अगर माता-पिता शिशु के फुल-टर्म (37 सप्ताह से कम) से पहले मुहूर्त डिलीवरी पर जोर देते हैं, तो इससे नवजात शिशु को परेशानी हो सकती हैं, जिसके लिए अक्सर एनआईसीयू केयर की जरूरत पड़ती है.
इसके अलावा उन्होंने बताया कि अगर कॉन्ट्रैक्शन स्वाभाविक रूप से शुरू होते हैं, लेकिन माता-पिता उस दिन डिलीवरी से इनकार करते हैं, तो यह बच्चे और मां दोनों के लिए परेशानी पैदा कर सकता है. कुछ मामलों में लोग वेजाइना से डिलीवरी संभव होने पर भी सिजेरियन के लिए जोर देते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चा एक निश्चित समय पर पैदा हो. यह ज्यादा नुकसानदेह है क्योंकि गैरजरूरी सर्जिकल प्रोसेस से मां के लिए संक्रमण और बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है, साथ ही भ्रूण पर भी इसका मेडिकल इंपेक्ट पड़ता है.
बच्चे के लिए अच्छी देखभाल जरूरी
डॉ. चंद्रशेखर इस बात पर ज़ोर देती हैं कि जब तक डिलीवरी सुरक्षित है और बच्चा फुल टर्म का है, तब तक कोई बड़ा स्वास्थ्य जोखिम नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारा प्राथमिक ध्यान हमेशा मां और बच्चे दोनों की भलाई पर होता है. अगर मेडिकली टाइम इसकी इजाजत नहीं देता तो हम इसके खिलाफ़ सलाह देते हैं.
डॉ. मंजुला अनागानी का कहना है कि इन सबके बावजूद मुहूर्त डिलीवरी लगातार बढ़ रही हैं. आप अपने बच्चे के लाभ के लिए पुजारी या ज्योतिषी की सलाह का पालन करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं, लेकिन हमारा मानना है कि इससे दूर रहना सबसे अच्छा है. एक बच्चे के भविष्य में उसके जन्म के क्षण से कहीं ज्यादा अहमियत अच्छी सेहत और अच्छी देखभाल की होती है.