महाकुंभ आंखों देखी: हमें तो लूट लिया मिलके ऑटो वालों ने…भेड़-बकरियों की तरह ठूंस कर वसूल रहे 1000-1000 रुपए….

पटना: हमें तो लूट लिया मिलके ऑटो-टैक्सी और बोलेरे-स्कॉर्पियो वालों ने, पॉकेट ढीली कर दिया इन मेजवानों ने…जी हां! हमने सुना था कि प्रयागराज में 144 साल बाद महाकुंभ लगा है. फिर क्या, घर में गंभीर चर्चा हुई और पत्नी, बच्चों के साथ निकल लिए. मेरे जैसे सोचने वालों में मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर बाजार […]
महाकुंभ आंखों देखी: हमें तो लूट लिया मिलके ऑटो वालों ने…भेड़-बकरियों की तरह ठूंस कर वसूल रहे 1000-1000 रुपए….महाकुंभ आंखों देखी: हमें तो लूट लिया मिलके ऑटो वालों ने…भेड़-बकरियों की तरह ठूंस कर वसूल रहे 1000-1000 रुपए….

पटना: हमें तो लूट लिया मिलके ऑटो-टैक्सी और बोलेरे-स्कॉर्पियो वालों ने, पॉकेट ढीली कर दिया इन मेजवानों ने…जी हां! हमने सुना था कि प्रयागराज में 144 साल बाद महाकुंभ लगा है. फिर क्या, घर में गंभीर चर्चा हुई और पत्नी, बच्चों के साथ निकल लिए. मेरे जैसे सोचने वालों में मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर बाजार के बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और वृद्धजन समेत 100 से ज्यादा लोग दो बस में सवार थे. गाड़ी हमने मिलकर रिजर्व कर रखा था. इस यात्रा में सबसे पीड़ा दायक टोटो, ऑटो-टैक्सी वालों की मनमानी रही. 30 और 100 रुपए मुंडी (सिर) का ही रेट दिया जाता था.

छोटे-छोटे ऑटो, स्कॉर्पियो और बोलेरो में 10-10 लोगों को भेड़-बकरियों की तरह ठूंसा जाता और अक्सर ऐसे जगह छोड़ दिया जाता, जहां से फिर से पैदल जाना ही पड़ता. बच्चे बार-बार कहते-पापा अब चला नहीं जा रहा है….ऑटो से थोड़ी दूर जाएं तो 30 रुपए, पांच-छह किमी जाएं तो 100 रुपए प्रति मुंडी. इससे कम में कोई मानने को तैयार नहीं होता. ऐसा लग रहा था मानो वे हमें लूटने के लिए ही ऑटो लेकर खड़े हैं

संत रविदास ऑटो स्टैंड बनारस
हमलोगों को 12 फरवरी को प्रयागराज में शाही स्नान करना था. इसलिए 10 फरवरी की शाम को ही सिंहेश्वर से निकल गए. लेकिन रास्ते में पता चला कि प्रयागराज के रास्ते में लंबा जाम लगा है. भयावह खबरें देख और पढ़कर उदास मन से सभी लोग पहले बनारस के लिए निकल गए. 11 फरवरी की शाम को हमें अस्सी घाट से 7 किमी पहले संत रविदास ऑटो स्टैंड में पनाह मिली.

पार्किंग में ही खाना बनाकर खाया और साढ़े 12 बजे रात को सभी लोग घाट के लिए निकल पड़े. दुर्भाग्य हमलोगों के साथ ही था. वहां भी संत रविदास जयंती को लेकर लाखों अनुयायी आए हुए थे. दोहरी भीड़ को देखते हुए ऑटो परिचालन बंद कर दिया गया था. हमारे साथ के कुछ लोगों को थोड़ी-थोड़ी दूर के लिए ऑटो मिल गया, जबकि अधिकांश लोग पैदल ही अस्सी घाट पहुंचे.

वहां से बाबा विश्वनाथ मंदिर सड़क मार्ग से चार किमी और घाट होते हुए पौने तीन किमी है. ऑटो वाला 200 रुपए में 5-6 जनों को लेकर जाने को तैयार ही हो रहा था कि एंट्री बंद कर दिया गया. हमलोग फिर पैदल ही घाटों का दर्शन करते हुए आगे बढ़े. वापसी में ऑटो वाले ने अस्सी घाट से बस पार्किंग जाने का चार लोगों का 500 रुपए लिया.

एक पार्किंग से उठा दूसरे में छोड़ा
हमलोगों ने सोचा कि रात को ही प्रयागराज पहुंच जाएंगे तो घाट के समीप पार्किंग में जगह मिल जाएगी. लेकिन, ढाई बजे पहुंचने के बाद बनारस-प्रयागराज रोड किनारे के जिस पार्किंग में हमें जगह मिली, वहां से संगम घाट नाक के सीध में 8-9 किमी दूर था. पर, हमें बताने वाला कोई नहीं था. जितनी मुंह उतनी बातें. 4 बजे से ही बोलेरे और स्कॉर्पियो वाले पार्किंग में पहुंचने लगे. घाट पर पहुंचाने का 1000 रुपए का रेट. एक रुपए भी कम नहीं. हमारा परिवार ब्लैक कलर का शीशा लगे जिस चमचमाते स्कॉर्पियो पर सवार हुआ, उसपर वकील का लोगो वाला स्टीकर लगा हुआ था.

ऐसे ही कुछ गाड़ियों पर किसी-किसी पार्टी के नेताओं का नेम प्लेट ढंका हुआ था. वहां से उठाकर हमें नागेश्वर मंदिर वाले पार्किंग में छोड़ दिया गया. फिर टुकड़े-टुकड़े में कभी ऑटो, तो कभी पैदल चलते हुए हम सब संगम पहुंचे. इतनी देर में बहुत कुछ समझ में आ चुका था. वापसी में 1000 रुपए में ही हमलोग अपनी पार्किंग में पहुंच गए.

अयोध्या में मिला थकान के साथ रोमांच
प्रयागराज से अयोध्या पहुंचे तो 15 किमी पहले पूरा बाजार में बच्चू लाल इंटर कॉलेज के पास बगीचे में जगह मिली. यहां से 100-100 रुपए में एक चौराहे तक छोड़ने के लिए ऑटो वाले से बात हो ही रही थी कि तभी एक भलामानुष टपक पड़े. उन्होंने 50 रुपए प्रति सीट वाली एक बस बुलवा दी. हमलोग बहुत खुश हुए. पहली बार कोई देव मानव मिला था. लेकिन बस को आधा किमी बाद ही पुलिस वालों ने रोक दिया. अब हमें कोई खाली टोटो-ऑटो भी नहीं मिल रहा था.

थोड़ी दूर पैदल चलने के बाद दूसरे देव मानव मिले. उन्होंने एक मिनी ट्रक करवा दिया. ज्यादा रुपए मांगे जाने पर योगी आदित्यनाथ को फोन करने की धमकी भी उन्होंने दी. इसके बाद 30-30 रुपए में हमें चौराहे तक छोड़ दिया गया. फिर कुछ दूर पैदल चलने के बाद 30-30 रुपए में ऑटो से सरयू घाट पार्किंग तक पहुंचे. वापसी में 100 रुपए आदमी के हिसाब से खर्च कर अपने पार्किंग तक लौटा.

….मेरे मित्र ने आटो वाले को दिखाया आइना
राम मंदिर के पास मैं अपने मित्र अभिमन्यु गुप्ता से बिछुड़ गया. बस पार्किंग आने के लिए वह जिस ऑटो वाले से बात कर रहा था, 1000 से कम नहीं लेने की जिद पर उसने 900 रुपए का पैसेंजर छोड़ दिया था. जबकि मेरा मित्र 600 रुपए ही देने को तैयार था. तभी अभिमन्यु ने उसे आइना दिखाया. मर्यादा पुरुषोत्तम राम के दरबार में होने का आभाष कराया. कुछ धार्मिक डायलॉग बोलने के बाद ऑटो वाले का हृदय पिघला. मात्र 600 रुपए में उसे पार्किंग तक छोड़ दिया.