wife rights on property: पति की संपत्ति में पत्नी का अधिकार? हाईकोर्ट का नया फैसला जारी

wife rights on property: पहला प्रश्न उठता है कि क्या पत्नी को पति या ससुराल की संपत्ति पर कोई अधिकार है। वैसे, पत्नी को पति को विरासत में मिली संपत्ति (पैतृक संपत्ति) में बराबर का अधिकार दिया गया है। लेकिन, पत्नी को पति द्वारा खरीदी गई संपत्ति पर भी अधिकार है

यानी पत्नी को पति की संपत्ति पर आधा हिस्सा (पति की संपत्ति) मिलेगा? ऐसे ही एक मामले (पत्नी के संपत्ति अधिकार) में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। फैसले के दौरान कोर्ट ने आपको जानने की आवश्यक जानकारी भी बताई है।

पति-पत्नी के बीच संपत्ति बाँटने के कारण

वैसे तो पति पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का माना जाता है, लेकिन कभी-कभी पति पत्नी (पति के संपत्ति अधिकार) के रिश्ते में विवाद होता है, जिससे संपत्ति के बंटवारे का मुद्दा उठता है। इसके बाद मामला भी कोर्ट कचहरी में पहुंचता है। जहां लंबी लड़ाई होती है 

हाईकोर्ट ने अपना रुख स्पष्ट किया
 

पति-पत्नी के बीच संपत्ति बंटवारे का मामला हाईकोर्ट में पैतृक और स्वयं अर्जित दोनों संपत्ति पर सवाल उठाता है। ऐसे में, पत्नी अपने पति की संपत्ति में हक रखती है या नहीं? क्या पत्नी पति की संपत्ति पर अधिकार जमा सकती है? इस मामले में हाईकोर्ट ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। 
त्ति को संपत्ति पर इतना अधिकार है
हाईकोर्ट ने कहा कि घर परिवार को संभाल रही पत्नी को अपने पति की संपत्ति में आधा हिस्सा मिलेगा। आधा हिस्सा उनका है। हाईकोर्ट के जज जस्टिस कृष्णन ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक गृहिणी (wife property rights) 24 घंटे घर संभालती है, बिना छुट्टी के। 

पत्ति को घरेलू डॉक्टर ने बताया 

न्यायालय ने निर्णय दिया कि घर संभाल रही महिलाएं परिवार के सदस्यों को प्राथमिक चिकित्सा सहायता प्रदान करती हैं। वह घरेलू चिकित्सक की तरह काम करती है। यदि ऐसा होता है, तो पत्नी (पत्नी के संपत्ति अधिकार) अपने पति की कमाई से खरीदीं गई संपत्ति में आधी हिस्सेदारी होगी।  

इस समय पत्ती नहीं छोड़ सकते 

हाईकोर्ट ने कहा कि परिवार की देखभाल करने में पति पत्नी की सहायता के बिना पैसे नहीं कमा सकता। पति-पत्नी के नाम पर घर में संपत्ति खरीदी जा सकती है, जिसे पति-पत्नी की संयुक्त संपत्ति कहा जाता है। यद्यपि, इस संपत्ति को पति-पत्नी की मिलीभगत से प्राप्त धन से खरीदना चाहिए। 
कोर्ट ने कहा कि पति और बच्चों की देखभाल के लिए पूरी तरह से समर्पित महिला को इस स्थिति में छोड़ नहीं सकते कि वह घर की किसी संपत्ति पर अपना अधिकार नहीं जता सके।
 
कानून जानता है कि गृहिणी का योगदान 

 

कोर्ट ने कहा कि गृहिणी के घर में किए गए काम को मान्यता देने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है। लेकिन गृहिणी के योगदान, या पत्नी के संपत्ति अधिकार, अदालतों को पता है। अदालतें सुनिश्चित करती हैं कि महिलाओं को अनिवार्य न्याय मिलेगा।

यह था पूरी बात।

दरअसल, देसराज नामक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में अपील की थी। इसका निपटारा करते हुए न्यायालय ने यह कहा है। 1965 में, देसराज ने कंसाला नामक एक महिला से शादी की। दोनों ने शादी की और दो बेटे और एक बेटी हुई। 1983 से 1994 तक देवराज ने वहीं काम किया था।

जब देसराज भारत लौटा, तो उसने अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई कि वह उसकी कमाई से खरीदी गई संपत्ति पर कब्जा कर रही थी। पत्नी पर विवाहेतर संबंधों का भी आरोप लगाया गया था। वहीं, पति की मृत्यु के बाद बच्चों ने अपनी ही मां के खिलाफ मुकदमा दायर किया। जबकि कोर्ट ने महिला (wife property rights) के पक्ष में फैसला दिया है। 


 

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