Himachali Khabar – (Fitment Factor)। इस बढ़ती महंगाई को देखते हुए केंद्रीय कर्मचारियों ने इस नए पे कमीशन से ज्यादा उम्मीदें लगाई हुई है, लेकिन केंद्रीय कर्मचारियों को यह डर है इस नए वेतन आयोग (8th pay commission latest news) के लागू होने पर उनकी ये उम्मीदें टूट न जाएं। जैसे-जैसे समय जा रहा है, वैसे-वैसे कर्मचारियों के बीच सैलरी में बढ़ोतरी और फिटमेंट फैक्टर को लेकर भी चर्चाएं काफी तेज हो गई है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
कितना हो सकता है फिटमेंट फैक्टर-
सुत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि इस बार भी कर्मचारियों की उम्मीदें पूरी तरह अमल में आना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इससे पहले दो आयोंगे छठें ओर सातवें आयोग में भी सरकार ने कर्मचारियों की सैलरी (Salary of employees) को बदलने की डिमांड को पूरी तरह से नहीं माना था। वहीं, बात करें फिटमेंट फैक्टर की तो आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के तहत कर्मचारियों के लिए फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) 2.86 तक बढ़ाए जाने की उम्मीद जताई जा रही है।
छठे वेतन आयोग में कर्मचारियों की मांग-
जब छठा वेतन आयोग (6th pay commission) लागू हुआ था तब भी JCM के स्टाफ साइड से जुड़े अलग-अलग संगठनों ने कर्मचारियों की न्यूनतम मासिक सैलरी (Minimum monthly salary of employees) को 10,000 रुपये करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इस मांग को पूरी तरह से नहीं स्वीकारा था। स्टाफ साइड ने कहा था कि पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 10,000 रुपये प्रति माह के आसपास है। इसलिए इसी तरह न्यूनतम वेतन का प्रावधान (provision of minimum wages) केंद्रीय कर्मचारियों पर भी लागू होना चाहिए।
छठे आयोग ने भी नहीं माना था तर्क
इस तर्क को देखते हुए छठे वेतन आयोग ने कहा था कि यह तर्क तथ्यों पर आधारित नहीं है। आयोग के अनुसार ज्यादातर पब्लिक सेक्टर (Public Sector Employees) इकाइयों में ऐसी न्यूनतम सैलरी 1 जनवरी, 2006 तक नहीं लागू हुई थी। इस बारे में अपने मत देते हुए छठे वेतन आयोग ने कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन (Minimum wages for employees) को 7,000 करने का प्रस्ताव दिया था।
7वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की मांग-
इसके बाद 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) जब लागू होने वाला था तो कर्मचारियों के लिए कर्मचारियों की प्रतिनिधि जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (Joint Consultative Machinery) ने 271 प्रतिशत के इजाफे की मांग की थी। प्रतिनिधि जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी ने मांग की कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन को 7000 रुपये से बढ़ाकर 26,000 रुपये किया जाए। इस मांग को पूरा करने के लिए 7वें वेतन आयोग को 3.7 फिटमेंट फैक्टर का सुझाव देना था। JCM-स्टाफ साइड (JCM-Staff Side) ने प्रस्ताव में कहा कि इस बढ़ती महंगाई में कर्मचारियों की जरूरत के हिसाब से सैलरी तय होनी चाहिए।
क्या किया था सातवें वेतन आयोग ने इन मांगो को पूरा-
संगठन का सुझाव है कि एक वर्कर के लिए न्यूनतम वेतन (7th Pay Commission Salary) 15वें लेबर कॉन्फ्रेंस के प्रस्तावों पर आधारित हो। उन्होंने डिमांड की कर्मचारियों के लिए न्यूनतम भुगतान 26,000 रुपये किया जाए जोकि मौजूद वेतन 7,000 रूपये से 3।7 गुना है। हालांकि, 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission updates) इस मांग को पूरी तरह से नहीं स्वीकारा था। सातवें वेतन आयोग में कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन के तौर पर सिर्फ 18,000 करने का प्रस्ताव दिया जो पिछले वेतन से 157 प्रतिशत ज्यादा था।
सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन –
इसके पहले छठे वेतन आयोग (6th pay commission) ने कर्मचारियों कें लिए न्यूनतम वेतन 7000 रुपये करने का प्रस्ताव दिया था। 7वें वेतन आयोग ने कहा कि इनके कुछ ही चीजें अलग हैं, लेकिन दोनों में ही सब चीजों को देखते हुए ये वेतन रखे गए हैं। आयोग का कहना है कि Aykroyd फॉर्म्यूला (Aykroyd Formula kya ha) की तरह सिंगल वर्कर और परिवार की जरूरत को देखते हुए सातवें वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये निकाला है।