नई दिल्ली: अक्सर प्रेम विवाह को आपसी समझ और विश्वास का प्रतीक माना जाता है, लेकिन हाल ही में हुई एक घटना ने इस धारणा को चुनौती दी है।
4 साल का रिश्ता
एक युवक और युवती ने चार साल तक एक-दूसरे को चाहा और परिवारों को मनाकर विवाह किया। शुरुआत में परिवार इस रिश्ते के खिलाफ थे, लेकिन दोनों की जिद के आगे झुकना पड़ा। धूमधाम से शादी हुई, लेकिन शादी की पहली ही रात कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी को चौंका दिया।
सुहागरात पर दुल्हन का इनकार
शादी की रात जब पति ने अपनी पत्नी से नजदीकी बढ़ाने की इच्छा जताई, तो दुल्हन ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया। उसने कहा कि उसे शारीरिक संबंधों में रुचि नहीं है और वह ऐसा कभी नहीं करेगी। यह सुनकर पति को आश्चर्य हुआ। पहले उसने इसे मजाक समझा, लेकिन बाद में जब दुल्हन ने अपनी बात दोहराई, तो मामला गंभीर हो गया।
समझाने की कोशिश हुई
परिवार ने इस मामले को सुलझाने के लिए काउंसलिंग का सहारा लिया। काउंसलर और परिवार के सदस्यों ने दुल्हन से बात की, लेकिन उसने अपने फैसले पर अडिग रहने की बात कही। उसका कहना था कि उसे शारीरिक संबंधों में रुचि नहीं और वह इस रिश्ते को जारी नहीं रखना चाहती।
हुआ अलगाव
काफी बातचीत और समझाने-बुझाने के बावजूद, दुल्हन ने तलाक लेने का फैसला किया। पति इसे स्वीकार नहीं करना चाहता था, लेकिन अंततः दोनों ने सहमति से अलग होने का निर्णय लिया।
रिश्तों की सच्चाई
यह घटना दिखाती है कि विवाह से पहले सिर्फ प्रेम ही नहीं, बल्कि आपसी समझ और भविष्य की अपेक्षाओं को लेकर स्पष्टता भी जरूरी है। मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार होना भी शादी का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इस मामले ने साबित किया कि रिश्तों में ईमानदारी और पारदर्शिता बेहद जरूरी है ताकि बाद में कोई बड़ा विवाद न हो।
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