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गुरुकुल में एक परंपरा थी कि शिष्यों को आखरी दिन उनकी जीवन से जुड़ी कुछ उपदेश देना होता है| तो इस परंपरा के अनुसार गुरु जी अपने शिष्यों को उपदेश देने की तैयारी में लगे हुए थे| और सारे शिष्य गुरुकुल की मुख्य कक्ष में.

गुरुकुल में एक परंपरा थी कि शिष्यों को आखरी दिन उनकी जीवन से जुड़ी कुछ उपदेश देना होता है| तो इस परंपरा के अनुसार गुरु जी अपने शिष्यों को उपदेश देने की तैयारी में लगे हुए थे| और सारे शिष्य गुरुकुल की मुख्य कक्ष में.

गुरुकुल में एक परंपरा थी कि शिष्यों को आखरी दिन उनकी जीवन से जुड़ी कुछ उपदेश देना होता है| तो इस परंपरा के अनुसार गुरु जी अपने शिष्यों को उपदेश देने की तैयारी में लगे हुए थे| और सारे शिष्य गुरुकुल की मुख्य कक्ष में.
गुरुकुल के सभी शिष्यों की शिक्षा पूर्ण हो चुकी थी|इसलिए वह अपने घर वापसी की तैयारी में जुटे हुए थे| उनके लिए आज गुरुकुल में आखिरी दिन था| और गुरुकुल में एक परंपरा थी कि शिष्यों को आखरी दिन उनकी जीवन से जुड़ी कुछ उपदेश देना होता है| तो इस परंपरा के अनुसार गुरु जी अपने शिष्यों को उपदेश देने की तैयारी में लगे हुए थे| और सारे शिष्य गुरुकुल की मुख्य कक्ष में आ गए| और फिर गुरूजी ने अपना उपदेश देना प्रारंभ किया| गुरु जी के हाथ में लकड़ी के कुछ खिलौने थे और उन्होंने अपने शिष्यों को वह दिखाया|और उंहें दिखाते हुए बोले मेरे हाथ में आप लोग जो खिलौने देख रहे हैं, आपको इन खिलौनों में अंतर खोजना है| और गुरु जी की आज्ञा के अनुसार सभी शिष्य बड़े ध्यान से खिलौने में अंतर ढूंढने लगे| वह तीनों खिलौने दिखने में बिल्कुल एक समान ही थे| तभी उनमें से एक शिष्य गुड्डे को परखते हुए बोला अरे यह देखो इस गुड्डे के कान में छेद है| बस यह संकेत काफी था और इतने में सारे शिष्यों ने एक-एक करके उन तीनों में अंतर ढूंढ निकाला|और सभी ने अंतर खोज लेने के बाद गुरु जी से बोले! गुरु जी इन गुड्डो़ं में सिर्फ एक ही अंतर है कि एक के दोनों कान में छेद है, और एक के मुंह में छेद है, और एक के केवल एक कान में ही छेद है|


उन सभी का जवाब सुन लेने के बाद गुरु जी बोले आप लोगों ने बिल्कुल सही कहा! और फिर गुरूजी ने अपने शिष्यों को एक धातु से बनी पतली तार देते हुए कहा इसे आप गुड्डे के कानों में डालो फिर बताओ क्या होता है! फिर शिष्यों ने वैसा ही किया और वे पाते हैं कि, एक गुड्डे के कान से वह होते हुए वह तार दूसरे कान से निकल जा रहा है| और यही प्रक्रिया और दूसरे गुड्डे पर करते हैं तो वह पाते हैं कि इस गुड्डे में कान से होकर वह तार मुंह में निकल रहा है| और एक गुड्डे के कान में तार डालने पर वह कहीं से नहीं निकल रहा|

गुरूजी ने कहा बिल्कुल सही और फिर गुरुजी इस बात का विस्तार करते हुए उन सब को बताते हैं कि देखो इस तरह ही तुम्हें जिंदगी में तीन लोग मिलेंगे एक वह जिन से अगर तुम अपनी कोई भी बात शेयर करते हो तो एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं ऐसे लोगों के साथ आप कोई भी बात शेयर मत करो| दूसरे टाइप के लोग यह लोग हैं जो आपके द्वारा कही गई कोई भी बात आसानी से किसी के साथ शेयर कर देते हैं| ऐसे लोगों से आपको दूरी बना लेनी चाहिए| और तीसरे तरह के लोग यह वह लोग है जिनसे आप बात करते हैं और वे लोग अपनी बात आपकी बात किसी और से शेयर नहीं करते आप उन पर भरोसा कर सकते हो आप उनसे किसी भी विषय पर अच्छी सलाह भी ले सकते हैं ऐसे लोग तुम्हारी ताकत बनेंगे बस आपको लोगों की सही परख होनी बहुत जरुरी है नहीं तो यही लोग आपके विनाश का कारण भी बन सकते हैं|

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the authorhimachalikhabar

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