उत्तराखंड के चमोली में हिमस्खलन ने मचाई आफत, मलबे में फंसे 57 मजदूर, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी..

उत्तराखंड के चमोली में हिमस्खलन ने मचाई आफत, मलबे में फंसे 57 मजदूर, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी..देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सीमांत गांव माणा के पास शुक्रवार को हिमस्खलन की खबर सामने आई. हिमस्खलन के कारण बर्फ में 57 मजदूर नीचे दब गए। जानकरी के अनुसार सूबे के उंचाई वाले क्षेत्रों में यह मजदूर सीमा सड़क संगठन के लिए काम कर रहे थे, जिसे दौरान ये हादसा हुआ. मौसम खुलते ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसमें अब तक 47 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। हालांकि अभी भी 8 मजदूर बर्फ में फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने की कोशिश जारी है।

रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी

उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि ज्योतिर्मठ से पहला हेलीकॉप्टर जवानों को लेकर रवाना हुआ, जिसके बाद भारतीय सेना ने 14 और मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला। कुछ मजदूरों को गंभीर चोटें आई हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राहत की बात यह है कि अब तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। घटनास्थल से मिली जानकारी के अनुसार, बाकी मजदूर एक कंटेनर में फंसे हुए हैं, जो पूरी तरह बर्फ से ढक गया है। उनकी लोकेशन ट्रेस करने के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

अलर्ट मोड पर सरकार

चमोली के डीएम संदीप तिवारी और एसपी सर्वेश पंवार घटनास्थल के लिए रवाना हो चुके हैं। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में मोर्चा संभालते हुए हालात की लगातार समीक्षा की। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल गोपेश्वर को हाई अलर्ट पर रखा गया है। हेली एंबुलेंस भी तैयार है ताकि गंभीर रूप से घायल मजदूरों को तुरंत इलाज मिल सके।

सीएम धामी ने बताया कि राज्य सरकार लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय से मदद ली जा रही है। उन्होंने माणा हेलिपैड को एक्टिवेट करने का निर्देश दिया, ताकि बचाव अभियान को और तेज किया जा सके। खराब मौसम और बर्फबारी के कारण मार्ग अवरुद्ध हो रहे हैं, जिससे राहत कार्यों में चुनौतियां आ रही हैं।

स्नो एक्सपर्ट की ली जा रही मदद

आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें ड्रोन के जरिए इलाके की निगरानी कर रही हैं ताकि मजदूरों की लोकेशन का सटीक अंदाजा लगाया जा सके। आपदा प्रबंधन विभाग और स्थानीय प्रशासन भी निजी ड्रोन सेवाओं का उपयोग कर रहा है। इस बीच बचाव कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्नो एक्सपर्ट्स की मदद ली जा रही है।

आईटीबीपी के जवान विशेष रूप से बचाव कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि मजदूरों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। सभी मजदूर अलग-अलग राज्यों से हैं, इसलिए सरकार द्वारा हेल्पलाइन नंबर जारी किया जा रहा है ताकि परिजनों को समय-समय पर जानकारी दी जा सके। बता दें प्रशासन और सेना का कहना है कि जल्द से जल्द सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है। पीएमओ और केंद्रीय मंत्रालय लगातार राहत कार्यों पर नजर बनाए हुए हैं।

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