EPFO interest rate : करोड़ों कर्मचारियों को तगड़ा झटका, PF की ब्याज दरों पर आया फैसला

EPFO interest rate : करोड़ों कर्मचारियों को तगड़ा झटका, PF की ब्याज दरों पर आया फैसला

Himachali Khabar (EPF Interest Rate)  इस साल कर्मचारियों के लिए लगातार बड़े फैसले आए हैं। केंद्र सरकार ने जहां अब तक कर्मचारियों को तगड़ा लाभ दिया था। वहीं अब कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। केंद्र सरकार की ओर से जनवरी में 8वें वेतन आयोग (8th CPC) को मंजूरी देकर कर्मचारियों को जहां सबसे बड़ी खुशखबरी दी गई, वहीं अब ईपीएफ (EPFO interest rate) पर ईपीएफ खाताधारक कर्मचारियों (Employees) को सरकार ने झटका दिया है।  

 

 

सात करोड़ कर्मचारियों की उम्मीदें टूटी
 

देशभर के ईपीएफ खाताधारक सात करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों को सरकार ने बड़ी सौगात की उम्मीद थी। कर्मचारियों के लिए पीएफ अकाउंट पर ब्याज दरों (EPFO interest rate) पर बढ़ौतरी की उम्मीद थी। पीएफ खाते में पैसे पर कर्मचारियों को ब्याज दरों (EPF Interest Rate) में तगड़ा झटका लगा है। कर्मचारियों को पीएफ खाते की ब्याज दरें, 8.50 किए जाने की उम्मीद थी। अब ईपीएफ के लिए सरकार ने ब्याज दरों को फिक्स कर दिया है।  

नहीं बढ़ाई गई ब्याज दरें
 

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 2024-25 के लिए भविष्य निधि पर 8.25 प्रतिशत ब्याज दर बरकरार रखी है। यह ब्याज पिछले वित्त वर्ष के बराबर ही है। इस बार कोई बढ़ौतरी नहीं की गई है। उम्मीदों के अनुसार ब्याज दरों (EPF interest rate) में कोई इजाफा नहीं हुआ है। वहीं, छोटी ब्याज दर की अन्य योजनाओं पर भी कटौती का अंदेशा है। 

फिर भी तीन साल में सबसे अधिक है ब्याज दर
 

फरवरी में कर्मचारियों को पहले ही दिन टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर बड़ा तोहफा दिया गया। वहीं, आरबीआई (RBI Repo Rate) ने रेपो रेट कम कर कर्मचारियों को लोन पर लाभ दिया। इसी प्रकार होली से पहले फरवरी में कर्मचारियों के लिए सरकार की ओर से एक ईपीएफ की ब्याज दरों में को सेम रखा गया है। ईपीएफओ (EPF Interest Rate) में तीन वित्त वर्ष में यह सबसे अधिक है। 

 

पहले कम थी ब्याज दरें
 

ईपीएफ अकाउंट पर वित्त वर्ष 2023 में ब्याज दर 8.15 फीसदी थी। वहीं वित्त वर्ष 2022 में ब्याज दर 8.10 फीसदी पर थी। बता दें कि इतिहास में ईपीएफ खाते पर सबसे कम दर से ब्याज (EPF Interest Rate) वित्त वर्ष 1977-78 में मिला था। उस समय ब्याज दर 8 फीसदी थी और उसके बाद वित्त वर्ष 2021-22 में इसकी दर 8.10 फीसदी की गई थी।
 

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