Himachali Khabar (Property Rights In Hindi)।आजकल प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों के साथ इस पर हक पर हुए विवादों कें भी नए-नए मामलें सामनें आते रहते है। यह सुनकर आपको अजीब लगता हो कि भाई की सारी प्रोपर्टी में बहन अपने हक का दावा कर सकती है, लेकिन यह कानून के अनुसार भी एकदम सोलह आने सच है। ऐसा दावा एक शादीशुदा बहन अपने भाई की पूरी प्रोपर्टी (property rights) को लेकर कर सकती है। हालांकि ऐसा एक विशेष परिस्थिति में ही किया जा सकता है। उसके बाद बहन को अपने भाई की प्रोपर्टी को लेने से कोई नहीं रोक सकता।
कानून में यह है प्रावधान –
माता-पिता की संपत्ति में बेटी के अधिकार (Daughter’s rights in father’s property) को लेकर भी कानून में खासतौर से प्रावधान किया गया है। पहले शादी के बाद एक लड़की को संयुक्त परिवार का सदस्य नहीं समझा जाता था और उसे विवाह के बाद पैतृक संपत्ति में हक (daughter’s rights in ancestral property) देने से वंचित कर दिया जाता था। अब शादी के बाद लड़की पैतृक संपत्ति के अलावा माता-पिता की संपत्ति में भी बेटों की तरह है बराबर की हकदार है। इतना ही नहीं, एक स्थिति तो ऐसी भी होती है कि वह अपने भाई की सारी सम्पत्ति में अपना हक होने का दावा भी कर सकती है। इस तरह से माता-पिता की पूरी की पूरी प्रोपर्टी भाई को न मिलकर बहन को मिल जाती है।
भाई की पूरी प्रोपर्टी ऐसे हो जाती है बहन की –
वसीयत के अनुसार कानून प्रोपर्टी का बंटवारा (Division of property in law) करता है। ऐसे में कोई माता-पिता अपनी संपत्ति बेटे के बजाय अपनी बेटी के नाम लिख दे तो बेटा उस संपत्ति से वंचित रह जाएगा और वह पूरी प्रोपर्टी बेटी की हो जाएगी। यानी भाई के बजाय बहन को उस प्रोपर्टी के सारे हक मिलेंगे। हालांकि ऐसा कोई माता-पिता अपनी स्वअर्जित संपत्ति यानी खुद की कमाई से खरीदी गई प्रोपर्टी को लेकर ही कर सकते हैं। पैतृक संपत्ति (ancestral property) के मामले में ऐसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह संपत्ति पूर्वजों से प्राप्त होती है और उसमें भाई का भी बराबर का हक होता है और उसकी मर्जी के बिना पैतृक संपत्ति को माता-पिता मनमाने ढंग से वितरित नहीं कर सकते।
बहन इस स्थिति में भी कर सकती है दावा-
हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 (Hindu Succession (Amendment) Act, 2005)के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु बिना वसीयत लिखे हो जाती है तो भाई की संपत्ति पर बहन अपना हक जता सकती है। ऐसी स्थिति में अगर भाई प्रोपर्टी में बहन को हक नहीं दे रहा हो तो बहन कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। यहां पर गौर करने की बात यह है कि अगर पूरी प्रोपर्टी में हक (daughter’s property rights) का दावा कर रही है तो यह केवल तभी हो सकता है।
जब कानूनन व्यक्ति के प्रथम श्रेणी के दावेदार यानी पत्नी, बेटा या बेटी नहीं हैं। ऐसी स्थिति में बहन अपने भाई की पूरी संपत्ति पर अधिकार (brother’s property rights) का दावा कर सकती है, लेकिन इसमें एक और पेच यह है कि अगर उक्त भाई के बहन के अलावा अन्य भाई हैं तो वे भी दावा कर सकते हैं। क्योंकि कानून के अनुसार किसी व्यक्ति के अन्य भाई-बहन उस प्रोपर्टी (brother and sister’s property rights in parents’s property) में उसके द्वितीय श्रेणी के हकदार या दावेदार होते हैं।