Himachali Khabar : (High Court’s decision) बहन भाई का रिश्ता वैसे तो सबसे प्यारा होता है लेकिन जब बात पिता की संपत्ति में अधिकार की होती है तो इस रिश्ते में भी दरार आनी शुरू हो जाती है। कई लोगों के मन में कंफ्यूजन रहती है कि क्या दहेज लेने के बाद भी ताकि संपत्ति में बेटी को हिस्सा मिलेगा या नहीं! आज हम आपको हाई कोर्ट के कैसे फैसले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकार के बारे में साफ-साफ बताया गया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की गोवा बेंच ने पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकार (Daughters’ rights in property)को लेकर एक बड़ा निर्णय सुनाया है। अदालत ने तेरेजिन्हा मार्टिन्स डेविड बनाम मिगुएल गार्डा रोसारियो मार्टिन्स मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि शादी के समय दहेज देने के बावजूद बेटी का पिता की संपत्ति में हिस्सा (Daughter’s share in father’s property) होगा। न्यायमूर्ति एमएस सोनक ने बेटी के हिस्से की संपत्ति को उसकी अनुमति के बिना उसके भाइयों को हस्तांतरित करने के डीड को भी रद्द कर दिया है।
जज ने क्या कहा ?
न्यायमूर्ति एमएस सोनक ने कहा कि भले ही यह मान लिया जाए कि बेटियों को कुछ दहेज (Dowry cases)दिया गया था, इसका मतलब यह नहीं है कि बेटियों का पारिवारिक संपत्ति में कोई अधिकार (rights in family property)नहीं रह जाता है। बेटियों के अधिकारों को उस तरीके से समाप्त नहीं किया जा सकता था जिस तरह से वे पिता की मृत्यु के बाद भाइयों द्वारा किया गया है। अदालत ने कहा कि घर की बेटियों को पर्याप्त दहेज प्रदान करने के बारे में कोई सबूत नहीं है और यह निष्कर्ष निकाला कि बहनों को बाहर करने के लिए भाइयों द्वारा संयुक्त परिवार की संपत्ति (joint family property) हड़प ली जा रही थी।
जानिए पूरा मामला
दरअसल, यह मामला चार बहनों -चार भाइयों और मां से जुड़ा है। बड़ी बेटी ने याचिका दायर करके एक डीड का हवाला दिया था। जिसमें बेटी के दिवंगत पिता ने बेटी को संपत्ति का उत्तराधिकार (inheritance of property) घोषित किया था। इस याचिका में 8 सितंबर, 1990 की एक दूसरी डीड का भी जिक्र किया गया था। इसमें मां ने परिवार की एक दुकान को भाइयों के नाम ट्रांसफर कर दिया था। याचिका में इस डीड को रद्द करने की मांग की गई थी। ये भी मांग की गई थी कि दुकान को उसकी सहमति के बिना भाइयों में ट्रांसफर ना किया जाए।