Himachali Khabar –(High Court decision) अक्सर छोटी-छोटी बातें ही बड़ी बनकर कलह का कारण बनती हैं। ऐसा पति-पत्नी के रिश्ते में भी हो सकता है। जरा सी नोकझोंक या अपशब्द रिश्तों को तलाक तक पहुंचा देते हैं। पति या पत्नी दोनों के लिए यह सही नहीं रहता। अब हाईकोर्ट (high court decision) ने भी अपने एक फैसले में कहा है कि पत्नी अपने पति को कायर, बेरोजगार या निकम्मा कह-कहकर उसे परेशान करती है तो उस पत्नी को पति की ओर से तलाक दिया जा सकता है और पत्नी की ओर से कहे गए ऐसे शब्द तलाक का आधार बन सकते हैं। ऐसे मामलों में कानून ने पतियों के अधिकार (Husband’s Rights in law) भी बताए हैं। कोर्ट के अनुसार ऐसे शब्द मेंटली हरैसमेंट (mental harassment) करने वाले होते हैं। पति इन शब्दों के कारण आत्महत्या जैसा कदम भी उठा सकता है। इसलिए पति को ऐसा कहना कतई सही नहीं है।
जानिए क्या था मामला –
पश्चिम बंगाल के एक जिले की फैमिली कोर्ट ने एक महिला और पुरुष के बीच वैवाहिक विवाद पर फैसला सुनाया। पुरुष ने अदालत ने जुलाई 2001 में महिला पर मानसिक यातना देने का आरोप लगाया और शादी को भंग कर दिया। महिला ने इस फैसले के खिलाफ 2009 में कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta Highcourt) में अपील की। कोर्ट ने पुरुष की नौकरी की हानि को पत्नी की झूठी शिकायत से जोड़कर देखा। महिला ने डायरी में यह लिखा था कि वह दूसरी शादी करना चाहती थी। कोर्ट ने इसे वैध नहीं माना और कहा कि शादी सिर्फ कानूनी रूप से जुड़ी होती है, न कि भावनात्मक रूप से। इस आधार पर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया और शादी को समाप्त करने का निर्णय बनाए रखा।
इस कारण बड़ी पुरुषों में आत्महत्या की दर –
– घरेलू हिंसा (Domestic violence) का कहर केवल पति द्वारा नहीं बल्कि पत्नी द्वारा पति (Husband wife dispute) पर भी किया जाता है। कई पतियाें ने तो इस मेंटली हैरेसमेंट से छुटकारा पाने के लिए इस दुनिया को ही त्यागने जैसा कदम उठा लिया और खुदखुशी कर ली।नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के आंकड़ों को देखें तो सन् 2021 में घरेलू हिंसा से छुटकारा पाने के लिए लगभग 28,695 शादीशुदा महिलाओं ने खुदखुशी कर ली, वहीं बात करें पुरुषों की तो उनका आत्महत्या का आंकड़ा महिलाओं से लगभग 3 गुना ज्यादा है, जोकि 81,068 के करीब है।
– सन् 2015 की एनसीआरबी ने सुसाइड रिपोर्ट (2015 married couple suicide report) के आंकलन से यह बताया की पुरुषों की सुसाइड की संख्या में शादीशुदा पुरुष की संख्या 66 प्रतिशत,अविवाहित की 21 प्रतिशत और विधुर-तलाकशुदा की संख्या 3 प्रतिशत है। इतने आंकलन के बाद भी पुरुषों की खुदखुशी की संख्या महीलाओं से कहीं ज्यादा है।
– सुसाइड के पीछे की वजह ज्यादातर घरेलू हिंसा (Domestic violence se bachav) ही होती है, जोकि किसी भी पुरुष और महिलाओं को सुसाइड करने पर मजबूर कर देती है। 2014 में घरेलू हिंसा के कारण लगभग 10 हजार महिलाओं ने आत्महत्या कर ली थी और पुरुषों का आंकड़ा इससे लगभग दुगना यानी 18 हजार पुरुषों ने आत्महत्या कर ली थी।
यह है कानून में अधिकार –
– अगर पत्नी अपने पति के साथ हाथापाई कर रही है या पति को जबरदस्ती गलत काम (Physcial harassment) करने के लिए बोल रही है, तो पुरुष 100 नंबर और महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर फोन करके पुलिस की मदद ले सकता है और खुद को प्रोटेक्ट कर सकता है।
– पति की स्वअर्जित संपत्ति पर पत्नी को कोई हक नहीं है और पति उस संपत्ति (property rights) को किसी को भी दे सकता है।
– पति के पास मेंटल हैरेसमेंट पर पुलिस या अदालत में याचिका दायर करने का अधिकार है।
– हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955) के तहत पति अपनी पत्नी से और पत्नी अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार रखता है।
– अगर तलाक एकतरफा होता है, तो ऐसे में बच्चों की कस्टडी का अधिकार होता है।
– अगर पत्नी अपने पति खिलाफ झूठी शिकायत करती है, तो यह क्रूरता और प्रताड़ना की श्रेणी में आता है, जोकि एक दंडनीय अपराध है।
– जब पत्नी सलाह लेने के बाद भी बदलने को तैयार नहीं होती और अपनी इच्छाओं को प्राथमिकता देती है, तो यदि वह कानूनी मार्ग (Legal action for domestic violence) को नजरअंदाज करती है, तो पति को रिश्ते को समाप्त करने का अधिकार मिल सकता है। यह स्थिति पुरुष को स्वतंत्रता प्रदान करती है।
– अगर दांपत्य जीवन में समस्याएं (rights of married couple) हो रही हों और पत्नी का व्यवहार परेशान कर रहा हो, तो कानूनी रास्ता अपनाया जा सकता है। इस स्थिति में, वैवाहिक संबंधों को सुधारने के लिए कोर्ट में उचित कदम उठाए जा सकते हैं। परिवारिक न्यायालय में धारा 9 के तहत शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।