नई दिल्ली: माँ ये शब्द अनमोल है. एक बेटे के लिए उसकी मां ही भगवान होती है. यह उसकी दुनिया है. लेकिन झारखंड के पलामू में अंधविश्वास में डूबी एक मां ने ममता को बदनाम करते हुए अपनी बेटी की बलि चढ़ा दी. घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए महिला तांत्रिक की बातों में आकर अंधविश्वास के दलदल में इस कदर फंस गई कि उसने अपनी डेढ़ साल की बेटी की हत्या कर दी. उसकी छाती फाड़कर उसका हृदय निकाल लिया.
नग्न अवस्था में किया डांस
इतना ही नहीं, उसने इसे पकाकर खुद भी खाया और तांत्रिक को भी प्रसाद के रूप में खिलाया। महिला नग्न अवस्था में बलि स्थल के पास नाचती रही. उनके मुताबिक, उन्हें लगा कि उन्हें उपलब्धियां मिलेंगी, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. घटना पलामू के हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के खादरपर गांव की है. पुलिस ने आरोपी महिला गीता देवी को गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही बिहार के सासाराम निवासी उस तांत्रिक की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम ने छापेमारी शुरू कर दी है, जिसके प्रभाव में आकर महिला ने अपनी बेटी की बलि चढ़ा दी.
बच्ची को जिंदा कर देती
खादरपार गांव में 50 घर हैं. इनमें दलित परिवारों की संख्या अधिक है. इसी गांव में अरुण राम रहते हैं, जिनकी 35 वर्षीय पत्नी गीता देवी हैं. पुलिस की पकड़ में आई महिला का दावा है कि अगर वह नहीं पकड़ी जाती तो अगले ही दिन बच्ची को जिंदा कर देती. यह घटना 12 नवंबर देर रात की है. महिला का पति अरुण राम दिल्ली में काम करता है, जबकि पत्नी गीता देवी अपनी सास कौशल्या देवी और चार बच्चों के साथ खादरपर गांव में रहती थी. इसी बीच बिहार के सासाराम से एक तांत्रिक गांव में आया. वह गांव में घूम-घूमकर लोगों को अपनी तांत्रिक विद्या के बारे में जानकारी देता था।
तांत्रिक के झांसे में आई
गीता देवी तांत्रिक के बहकावे में आ गई. इसी बीच एक दिन गीता देवी अपनी सास कौशल्या देवी को यह कहकर घर से निकली कि वह अपनी बेटी के साथ जपला बाजार जा रही है, लेकिन देर रात तक वह वापस नहीं लौटी. इसी बीच गीता अचानक नग्न अवस्था में घर पहुंची. उसकी हालत देखकर परिवार के लोगों ने किसी अनहोनी की आशंका से पहले उसे कपड़े पहनाए और फिर पूरे मामले की जानकारी ली. जब बच्ची के बारे में पूछा गया तो महिला ने बलि देने की बात कही. इस तरह ये मामला सामने आया.