गजब खेल: पीरियड आते ही ‘शेख’ ने बना लिया बेगम, 15 दिन में कर दिया प्रेग्नेंट और चला गया अपने देश, हैदराबाद में एक नहीं कई शबाना, ‘मुताह निकाह’ के नाम पर अरब के बुड्ढे करते हैं बच्चियों का शोषण

गजब खेल: पीरियड आते ही 'शेख' ने बना लिया बेगम, 15 दिन में कर दिया प्रेग्नेंट और चला गया अपने देश, हैदराबाद में एक नहीं कई शबाना, 'मुताह निकाह' के नाम पर अरब के बुड्ढे करते हैं बच्चियों का शोषण

हैदराबाद में मुताह निकाह का प्रचलन एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुका है, जहाँ गरीबी और मजबूरी का फायदा उठाकर छोटी-छोटी लड़कियों का जीवन बर्बाद किया जा रहा है। यह प्रथा एक व्यापार का रूप ले चुकी है, जिसमें एजेंट और ब्रोकर सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

वे लड़कियों और अरब देशों से आए अमीर शेखों के बीच सौदे कराते हैं। ये निकाह अस्थायी होते हैं और कुछ दिनों के लिए शारीरिक संबंध बनाने तक ही सीमित रहते हैं। इसके बाद शेख अपने देशों को लौट जाते हैं, जबकि लड़कियां शोषण और बदनामी का बोझ झेलती हैं।

इस तरह के निकाह के लिए 20-50 हजार रुपये तक में लड़कियों को शेखों के हवाले कर दिया जाता है। कई बार लड़कियों को बार-बार “वर्जिन” दिखाने के लिए सर्जरी कराई जाती है। स्थानीय एजेंट और परिवार के सदस्य इस प्रक्रिया में सहयोग करते हैं।

हाल ही में, एक रिपोर्ट में शबाना (परिवर्तित नाम) जैसी कई लड़कियों की दर्दनाक कहानियाँ सामने आईं। शबाना का निकाह उसके किशोरावस्था में ही एक शेख से कर दिया गया था। उसके साथ शारीरिक शोषण हुआ, और गर्भवती होने के बाद उसे घर में कैद कर दिया गया। ऐसी घटनाएँ न केवल लड़कियों का जीवन तबाह करती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि कैसे परिवार और समाज की सहमति से यह अन्याय पनप रहा है।

शेखों को आकर्षित करने के लिए, ब्रोकर लड़कियों की खूबसूरती और वर्जिनिटी का प्रमाणीकरण देते हैं। निकाह अक्सर स्थानीय होटलों में या व्हाट्सएप के माध्यम से ऑनलाइन कराए जाते हैं। एक बार निकाह के बाद, लड़कियों को टूरिस्ट वीजा पर विदेश भेजा जाता है, जहाँ उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है।

हैदराबाद के चारमीनार, शाहीन नगर, और अन्य इलाकों में इस प्रथा का चलन आम हो गया है। इस निकाह के लिए इस्लामिक कानूनों का भी गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि मुताह निकाह का वास्तविक स्वरूप इससे बिल्कुल अलग है।

यह समस्या सामाजिक और कानूनी हस्तक्षेप की माँग करती है। ऐसी प्रथाओं को रोकने के लिए कठोर कानून और जागरूकता अभियान की आवश्यकता है ताकि लड़कियों के जीवन को इस तरह की अमानवीय परिस्थितियों से बचाया जा सके।

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