कहते हैं कि किस्मत बदलते देर नहीं लगती है। बशर्ते कि हमारे प्रयास सही दिशा में होने चाहिए और हमें निरंतर कोशिश करते रहना चाहिए। आज की कहानी ऐसे ही दो भाइयों की है। जो मुंबई के रहने वाले हैं। इन दोनों ने बेहद कम उम्र में सफलता की एक ऐसी लकीर खींची है। जिसको देख सभी दांतों तले उंगलियां दबा रहें हैं। तो आइए जानते है इन्हीं दो भाइयों की कहानी के बारें में…
चार्टेड प्लेन, दुनिया की सबसे महंगी गाड़ियों का शौक और करोड़ों रुपये के आलिशान बंगले में रहने वाले इन दो भाइयों की गिनती आज देश के सबसे रईस लोगों में होती है। इन दोनों भाइयों को भारतीय ‘ऐड टेक’ जगत की सबसे बड़ी हस्ती के रूप में देखा जाता है। इन भाइयों ने अपने डेढ़ दशक के करियर में लगभग एक दर्जन कम्पनियां खड़ी की जिसमें से पांच कंपनियों को बेचकर ये आज भारत के सबसे अमीर लोगों की सूची में शामिल हो गए हैं।
ऐसे में अब आपके मन में इनके नाम जानने की दिलचस्पी जरूर उत्पन्न हो रही होगी। तो चलिए बिना देर किए हुए बता दें कि इन दो भाइयों का नाम दिव्यांक तुरखिया और भाविन तुरखिया है। जो आज देश के दिग्गज कारोबारी में से एक हैं। दस-दस हज़ार करोड़ की निजी सम्पति के मालिक इन भाइयों की सफलता की कहानी सच में बेहद प्रेरणादायक और रोचक है। मुंबई में एक मध्यम-वर्गीय परिवार में पैदा हुए तुरखिया भाइयों का बचपन जुहू और अंधेरी इलाकों में बीता। बचपन से ही कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग के शौकीन दिव्यांक ने महज़ 13 साल की उम्र में अपने भाई के साथ मिलकर स्टॉक बाजार की कीमतों पर नज़र रखने के लिए एक स्टॉक मार्केट सिमुलेशन गेम बनाया।
उसके बाद दिनों-दिन कंप्यूटर में बढ़ती रुचि की वजह से उनका पढ़ाई से नाता टूटता चला गया। हालांकि पिता के दबाव में आकर उन्होंने बी.कॉम कोर्स में दाखिला लिया लेकिन कभी कॉलेज नहीं जाते थे। पूरे दिन दोनों भाई मिलकर घर पर ही कोडिंग किया करते थे। कोडिंग में जबरदस्त पकड़ बनाने के बाद दोनों भाइयों ने अपना कारोबार शुरू करने की योजना बनाई। लेकिन कारोबार शुरू करने में सबसे बड़ी अड़चन शुरूआती पूंजी को लेकर थी।
ऐसे में दोनों भाइयों ने किसी तरह पिता को मनाया और साल 1998 में उनके पिता 25 हजार रूपये कर्ज के रूप में देने के लिए राजी हो गए। उस वक़्त इन भाइयों ने सोचा भी नहीं था कि वे 16 साल बाद अरबपति की फेहरिस्त में शामिल हो जाएंगे। 16 साल की उम्र में अपने 18 साल के भाई भाविन तुरखिया के साथ मिलकर उन्होंने इस पैसे से वेबसाइट के डोमेन नाम देने वाली कंपनी ‘डायरेक्टी’ की स्थापना की। डायरेक्टी भारतीय कंपनियों को वेबसाइट्स और इंटरनेट सर्विसेज मुहैया कराती थी। बाद में इसी कंपनी के बैनर तले ‘बिगरॉक’ का जन्म हुआ, जो आज एक अग्रणी डोमेन रजिस्ट्रर कंपनी है।
इतना ही नहीं, साल 2001 में दोनों भाइयों ने एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम बनाया। दोनों भाई डायरेक्टी के बैनर तले अब तक कुल 11 स्टार्टअप्स शुरू कर चुके हैं। मौजूदा दौर में डायरेक्टी ग्रुप के 1,000 कर्मचारी और 10 लाख ग्राहक हैं। कंपनी की ग्रोथ सालाना 120 फीसद की दर से हो रही है। कुछ वर्ष पहले तुरखिया और उसके भाई ने एंड्युरेंस इंटरनेशनल ग्रुप को 1 हजार करोड़ रुपए में 4 ब्रांड बेचे थे। मीडिया नेट गूगल के एड सेंस की टक्कर के लिए बनाया गया था। इस प्रोडक्ट के लाइसेंस कई पब्लिशर्स, एड नेटवर्क और इंटरनेशनल एड टेक कंपनियों के पास है। मीडिया नेट न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, दुबई, ज्यूरिख, मुंबई और बेंगलौर से काम करती है। इसमें 800 कर्मचारी काम करते हैं। मीडिया नेट ने पिछले साल 1,554 करोड़ कमाए थे।
वहीं कुछ वर्षों पहले ही उन्होंने ऑनलाइन ऐडवर्टाइजिंग वेंचर मीडिया नेट को एक चाइनीज समूह के हाथों 90 करोड़ डॉलर में बेचा। इस मामले में उन्होंने गूगल (75 करोड़ डॉलर में ऐडमोब को खरीदा) और ट्विटर (35 करोड़ डॉलर में मोपब को खरीदा) को भी पीछे छोड़ दिया।
बता दें कि दोनों भाइयों के पास इंजीनियरिंग की डिग्री नहीं होने के बावजूद दोनों बेहतरीन कोडर हैं। इन दोनों ने ख़ुद के दम पर बिना किसी की सहायता के इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया। आज तुरखिया भाइयों को ‘फर्स्ट इंडियन इंटरनेट आत्रप्रेन्योर्स’ के रूप में जाना जाता है। ऐसे में है न यह कहानी काफ़ी प्रेरणादायक। आपको यह कहानी कैसी लगी। हमें कमेंट कर बताना न भूलें।