अंजू को ससुराल में उल्टा लटकाया, गर्म सलाखों से दागा, खाने को मल-मूत्र दिया, तड़पा कर रख देगा अंजू का दर्द

जिगर मुरादाबादी ने जमाने पहले एक शेर लिखा था, ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजिए, इक आग का दरिया है और डूब कर जाना है। हालांकि शायर ने जिस वक्त अपना ये ख्याल शेर में जिस वजह से ढाला…