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केंद्र सरकार का बड़ा फैसला! लागू हुई नई न्यूनतम मजदूरी दर, जानें सैलरी में कितना होगा बदलाव

केंद्र सरकार का बड़ा फैसला! लागू हुई नई न्यूनतम मजदूरी दर, जानें सैलरी में कितना होगा बदलाव
केंद्र सरकार का बड़ा फैसला! लागू हुई नई न्यूनतम मजदूरी दर, जानें सैलरी में कितना होगा बदलाव

श्रम न्यूनतम मजदूरी: केंद्र सरकार ने श्रमिकों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। 1 अक्टूबर 2024 से नई न्यूनतम मजदूरी दरें लागू हो गई हैं। इस फैसले से देशभर के लाखों मजदूरों को फायदा होगा।

सरकार ने बढ़ती महंगाई को देखते हुए वेरिएबल डियरनेस अलाउंस (VDA) में बढ़ोतरी की है, जिससे न्यूनतम मजदूरी दरों में वृद्धि हुई है।

इस नए फैसले के तहत, अलग-अलग क्षेत्रों और कौशल स्तरों के हिसाब से मजदूरी दरों में बदलाव किया गया है। इससे निर्माण, लोडिंग-अनलोडिंग, सफाई, सुरक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों की सैलरी में बढ़ोतरी होगी। यह कदम मजदूरों के जीवन स्तर में सुधार लाने और उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए उठाया गया है।

न्यूनतम मजदूरी क्या है?

न्यूनतम मजदूरी वह न्यूनतम राशि है जो एक नियोक्ता को अपने कर्मचारियों को उनके काम के बदले में देनी होती है। यह दर सरकार द्वारा तय की जाती है और समय-समय पर इसमें संशोधन किया जाता है। न्यूनतम मजदूरी का उद्देश्य श्रमिकों को शोषण से बचाना और उन्हें एक न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित करना है।

न्यूनतम मजदूरी योजना की मुख्य बातें

विवरणजानकारी
लागू होने की तारीख1 अक्टूबर 2024
पिछला संशोधनअप्रैल 2024
लाभार्थीअसंगठित क्षेत्र के श्रमिक
क्षेत्रनिर्माण, लोडिंग-अनलोडिंग, सफाई, सुरक्षा, कृषि आदि
वृद्धि का आधारवेरिएबल डियरनेस अलाउंस (VDA)
संशोधन की अवधिहर 6 महीने (1 अप्रैल और 1 अक्टूबर)
न्यूनतम दैनिक मजदूरी₹783 (अकुशल श्रमिक, क्षेत्र A)
न्यूनतम मासिक मजदूरी₹20,358 (अकुशल श्रमिक, क्षेत्र A)

नई न्यूनतम मजदूरी दरें

केंद्र सरकार ने श्रमिकों के कौशल स्तर और भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर नई न्यूनतम मजदूरी दरें तय की हैं। इन्हें तीन श्रेणियों – A, B और C में बांटा गया है। क्षेत्र A में सबसे ज्यादा मजदूरी दी जाएगी, जबकि क्षेत्र C में सबसे कम।

क्षेत्र A के लिए नई दरें:

  • अकुशल श्रमिक: ₹783 प्रति दिन (₹20,358 प्रति माह)
  • अर्ध-कुशल श्रमिक: ₹868 प्रति दिन (₹22,568 प्रति माह)
  • कुशल श्रमिक: ₹954 प्रति दिन (₹24,804 प्रति माह)
  • अति कुशल श्रमिक: ₹1,035 प्रति दिन (₹26,910 प्रति माह)

क्षेत्र B और C के लिए दरें:

क्षेत्र B और C के लिए भी इसी तरह की दरें तय की गई हैं, जो क्षेत्र A से कम हैं। उदाहरण के लिए, क्षेत्र B में अकुशल श्रमिक की न्यूनतम दैनिक मजदूरी ₹663 और क्षेत्र C में ₹533 हो सकती है।

किन क्षेत्रों के श्रमिकों को फायदा होगा?

नई न्यूनतम मजदूरी दरों से निम्नलिखित क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को लाभ मिलेगा:

  • निर्माण कार्य
  • लोडिंग और अनलोडिंग
  • सुरक्षा गार्ड (हथियार के साथ और बिना हथियार के)
  • सफाई और स्वच्छता कर्मी
  • खनन कार्य
  • कृषि श्रमिक
  • अन्य असंगठित क्षेत्र के कामगार

न्यूनतम मजदूरी की गणना कैसे की जाती है?

न्यूनतम मजदूरी की गणना में कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है:

  1. मूल वेतन: यह न्यूनतम मजदूरी का आधार होता है।
  2. वेरिएबल डियरनेस अलाउंस (VDA): यह महंगाई के हिसाब से बदलता रहता है।
  3. हाउस रेंट अलाउंस (HRA): कुछ मामलों में यह भी शामिल किया जाता है।
  4. कौशल स्तर: अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल और अति कुशल श्रमिकों के लिए अलग-अलग दरें होती हैं।
  5. भौगोलिक क्षेत्र: A, B और C क्षेत्रों के लिए अलग-अलग दरें होती हैं।

न्यूनतम मजदूरी और महंगाई भत्ता

न्यूनतम मजदूरी में वेरिएबल डियरनेस अलाउंस (VDA) एक महत्वपूर्ण घटक है। VDA महंगाई के अनुसार बदलता रहता है और इसे हर छह महीने में संशोधित किया जाता है। VDA की गणना निम्नलिखित तरीके से की जाती है:

  1. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की गणना: श्रम ब्यूरो CPI की गणना करता है।
  2. औसत CPI की गणना: पिछले छह महीनों के CPI का औसत निकाला जाता है।
  3. VDA की गणना: CPI में वृद्धि के आधार पर VDA की गणना की जाती है।
  4. न्यूनतम मजदूरी में जोड़ना: गणना किए गए VDA को मूल न्यूनतम मजदूरी में जोड़ा जाता है।

नई न्यूनतम मजदूरी दरों का प्रभाव

  1. श्रमिकों की आय में वृद्धि: नई दरों से श्रमिकों की मासिक आय में काफी बढ़ोतरी होगी। इससे उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा।
  2. महंगाई से राहत: बढ़ी हुई मजदूरी से श्रमिकों को बढ़ती महंगाई से कुछ राहत मिलेगी।
  3. अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव: श्रमिकों की बढ़ी हुई क्रय शक्ति से बाजार में मांग बढ़ेगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।
  4. श्रम कानूनों का बेहतर क्रियान्वयन: नई दरें लागू होने से श्रम कानूनों के पालन में सुधार आएगा।
  5. कौशल विकास को बढ़ावा: अलग-अलग कौशल स्तरों के लिए अलग दरें होने से श्रमिकों को अपना कौशल बढ़ाने की प्रेरणा मिलेगी।

न्यूनतम मजदूरी से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु

  1. राज्यों की भूमिका: हालांकि केंद्र सरकार ने नई दरें तय की हैं, लेकिन राज्य सरकारें भी अपने यहां न्यूनतम मजदूरी तय कर सकती हैं। वे केंद्र की दरों से कम नहीं, लेकिन ज्यादा मजदूरी तय कर सकती हैं।
  2. दंड का प्रावधान: अगर कोई नियोक्ता न्यूनतम मजदूरी नहीं देता है, तो उसे 5 साल तक की जेल और ₹10,000 तक का जुर्माना हो सकता है।
  3. ओवरटाइम का प्रावधान: अगर कोई श्रमिक तय समय से ज्यादा काम करता है, तो उसे ओवरटाइम की दोगुनी दर से भुगतान किया जाना चाहिए।
  4. लिंग भेदभाव पर रोक: न्यूनतम मजदूरी कानून के तहत पुरुष और महिला श्रमिकों को समान काम के लिए समान वेतन देना अनिवार्य है।
  5. नकद भुगतान: न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नकद में किया जाना चाहिए, सिवाय उन मामलों के जहां सरकार ने विशेष छूट दी हो।

न्यूनतम मजदूरी का इतिहास

भारत में न्यूनतम मजदूरी की शुरुआत 1948 में हुई थी। तब से अब तक इसमें कई बदलाव हुए हैं:

  • 1948: न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू
  • 1957: पहली बार केंद्रीय सलाहकार बोर्ड का गठन
  • 1996: राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी की शुरुआत
  • 2019: मजदूरी संहिता अधिनियम पारित
  • 2024: नई न्यूनतम मजदूरी दरें लागू

इस दौरान न्यूनतम मजदूरी में कई गुना बढ़ोतरी हुई है।

अलग-अलग राज्यों में न्यूनतम मजदूरी

हर राज्य अपने यहां के श्रमिकों के लिए अलग न्यूनतम मजदूरी तय कर सकता है। कुछ प्रमुख राज्यों की न्यूनतम मजदूरी इस प्रकार है:

  • दिल्ली: 18,066 रुपये प्रति माह (अकुशल श्रमिक)
  • महाराष्ट्र: 11,632 रुपये प्रति माह (अकुशल श्रमिक)
  • उत्तर प्रदेश: 10,660 रुपये प्रति माह (अकुशल श्रमिक)
  • गुजरात: 9,724 रुपये प्रति माह (अकुशल श्रमिक)
  • पश्चिम बंगाल: 8,550 रुपये प्रति माह (अकुशल श्रमिक)

ये दरें अलग-अलग तारीखों से लागू हुई हैं और समय-समय पर बदलती रहती हैं।

अस्वीकरण (Disclaimer)

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। हालांकि इस लेख में दी गई जानकारी सही और अद्यतन रखने का प्रयास किया गया है, फिर भी इसकी पूर्ण सटीकता की गारंटी नहीं दी जा सकती। न्यूनतम मजदूरी दरें समय-समय पर बदलती रहती हैं और विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकती हैं।

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