बैंक क्लर्क की महागलती! नींद में दबा दिया बटन और ट्रांसफर हो गए 2000 करोड़ रुपये, फिर…

Bank Transfer: जर्मनी के एक बैंक में अजीबोगरीब मामला सामने आया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है. एक थके हुए बैंक क्लर्क ने गलती से 64.20 यूरो की जगह 222,222,222.22 यूरो (लगभग 2,000 करोड़ रुपये) का ट्रांसफर कर दिया. बैंक क्लर्क से यह ब्लंडर तब हुआ तब जब क्लर्क काम करते-करते की-बोर्ड पर सो गया और उसकी उंगली लंबे समय तक की-बोर्ड के बटन पर दबी रह गई.

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना साल 2012 की है. बैंक क्लर्क की यह गलती तब पकड़ी गई जब एक अन्य कर्मचारी की इस पर नजर गई. हालांकि, इस घटनाक्रम ने बैंक में सुरक्षा और निरीक्षण की प्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए. यदि गलती पकड़ी नहीं जाती, तो यह ट्रांसफर बैंक के लिए एक बड़ी समस्याएं पैदा कर सकता था.

इस गलती के बाद सिर्फ वह क्लर्क ही नहीं, बल्कि सुपरवाइज़र भी सवालों के घेरे में आ गए, जिन्होंने इस भारी भरकम लेन-देन को बिना देखे मंजूरी दे दी थी. जिसके बाद बैंक ने सुपरवाइज़र को नौकरी से निकाल दिया, जिससे यह विवाद और भी बढ़ गया और मामला कोर्ट पहुंच गया.

कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

जर्मनी के हेस्से राज्य स्थित लेबर कोर्ट ने सुपरवाइज़र की बर्खास्तगी को अनुचित ठहराया. कोर्ट ने माना कि सुपरवाइज़र के ऊपर प्रति दिन सैकड़ों दस्तावेजों की समीक्षा का दबाव था. घटना वाले दिन सुपरवाइजर ने 812 दस्तावेजों की जांच की थी, जिसमें प्रत्येक पर कुछ ही सेकंड का समय दिया जा सकता था.

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सुपरवाइजर ने यह गलती जानबूझकर नहीं की थी और इसे गंभीर लापरवाही नहीं माना जा सकता. क्योंकि उसके दुर्भावनापूर्ण इरादे या घोर लापरवाही का कोई सबूत नहीं है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि बैंक उन्हें फिर से काम पर रखे और भविष्य में बेहतर ऑटोमेटेड सिस्टम लाए. कोर्ट ने यह भी माना कि बैंक की व्यवस्थागत खामियां इस गलती के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार थी.

सिस्टम को लेकर उठे सवाल

इस घटना ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है. कई यूज़र्स ने बैंक की प्रक्रियाओं और सुरक्षा उपायों पर सवाल उठाए. उन्होंने तर्क दिया कि बेहतर ऑटोमेटेड फ्लैगिंग सिस्टम इस तरह की बड़ी गलती को रोक सकता था. कुछ ने सुपरवाइज़र पर दोष मढ़ा, जबकि अन्य ने उनकी स्थिति को समझते हुए उनके काम के दबाव को जिम्मेदार ठहराया.

वहीं, कई लोगों ने सुझाव दिया कि बैंकिंग सिस्टम में ज्यादा बड़ी रकम के लेन-देन के लिए कई स्तरों पर मंजूरी की आवश्यकता होनी चाहिए, जैसा कि कई देशों में प्रचलित है.

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