नई दिल्ली : असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के एक फैसले पर अब राजनीतिक घमासान तेज होने लगा है। सरमा ने राज्य विधानसभा में मुस्लिम विधायकों को नमाज के लिए मिलने वाले दो घंटे के ब्रेक को खत्म कर दिया है। इस फैसले की जहां विपक्षी पार्टियां आलोचना कर रहीं, वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA में भी इस फैसले के खिलाफ आवाज उठी है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दो प्रमुख सहयोगी दलों जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी ने इस फैसले की आलोचना की है।

फैसला संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ: JDU
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के नेता नीरज कुमार ने असम सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कि हिमंता बिस्वा सरमा को गरीबी उन्मूलन और बाढ़ की रोकथाम जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री की ओर से लिया गया फैसला देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। हर धार्मिक आस्था को अपनी परंपराओं को संरक्षित रखने का अधिकार है। मैं असम के सीएम सरमा से पूछना चाहता हूं: आप रमजान के दौरान शुक्रवार की छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और दावा करते हैं कि इससे कार्य क्षमता बढ़ेगी। हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मां कामाख्या मंदिर है – क्या आप वहां बलि प्रथा पर प्रतिबंध लगा सकते हैं?

चिराग की पार्टी ने भी फैसले पर जताई आपत्ति
वरिष्ठ JDU नेता केसी त्यागी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता का प्रावधान है। किसी को भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे संविधान की भावना और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। LJP के दिल्ली अध्यक्ष राजू तिवारी ने भी असम सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि धार्मिक आचरण की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए। बिहार के इन दोनों सहयोगी दलों ने हाल ही में केंद्र के ‘लैटरल एंट्री’ के कदम पर भी सवाल उठाए थे, जिसके बाद फैसला वापस ले लिया गया था। इसे भी जरूर पढ़ें –