कहा जाता है कि स्त्री घर को आबाद कर सकती है और बर्बाद भी कर सकती है। सबकुछ स्त्री के गुण और व्यवहार पर निर्भर करता है। महिलाओं के गुण और दोष के बारे में हमारे शास्त्रों में काफी कुछ लिखा गया है। शास्त्रों में महिलाओं के गुण और दुर्गुण की परिभाषा को भलिभांति स्पष्ट किया गया है।
भारत में चाणक्य नाम के बहुत बड़े विद्वान हुए हैं। चाणक्य ने अर्थशास्त्र और राजनीति पर कई किताबें लिखी हैं। अर्थशास्त्र और राजनीति से संबंधित जो नियम चाणक्य ने लिखे हैं, उसे ही मौजूदा समय में चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है।
चाणक्य नीति सीधे हमारे जिंदगी से जुड़ी है। सैकड़ों वर्ष पहले लिखे चाणक्य के सूत्र आज भी आम जन जीवन को प्रभावित करते हैं। आईए हम आपको बताते हैं कि चाणक्य ने पत्नि की किन दो दुर्गुणों को घर टूटने का कारण बताया है।
1. क्रोध
क्रोध विनाश का मूल कारण है। इसकी वजह है क्रोध की मन स्थिति में किसी भी व्यकित के सोचने समझने की शक्ति का समाप्त हो जाना। अगर व्यक्ति के पास सोचने समझने की क्षमता न हो तो निश्चित रुप से वो गलत फैसले लेगा जिसका परिणाम भी गलत होता। उससे उसका परिवार तबाह हो सकता है।
चाणक्य ने कहा है कि अगर कोई स्त्री क्रोधी हो, बात-बात पर उसे गुस्सा आता हो। गु्स्से में वो अच्छे बुरे का फर्क भूल जाए तो ऐसी स्थिति में पति को उसका त्याग कर देना चाहिए, क्योंकि जहां क्रोध होगा वहां प्रेम नहीं होगा। पति-पत्नि का संबंध बना रहे इसके लिए क्रोध नहीं प्रेम की आवश्यकता होती है।
2. अनियंत्रित भाषा
भाषा हमें एक दूसरे से जोड़ने का प्रयास करती है। हम जिस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं उससे हमारा चरित्र परिभाषित होता है। समाज में ऐसे लोग हमें प्राय: मिल जाते हैं जिनका उनकी अपनी भाषा पर नियंत्रण नहीं होता। वे कभी भी और कहीं भी अपशब्द या ऐसा शब्द बोल देते हैं जिससे दूसके के सम्मान को ठेस पहुँचती है।
चाणक्य नीति के मुताबिक अगर हमारे भाषा सभी की मर्यादित होनी चाहिए, लेकिन आपकी पत्नि की भाषा संयमित होनी चाहिए। अगर आपके पत्नि की भाषा आपके प्रति संयमित नहीं है तो ये रिश्ता लंबा नहीं चल सकता है। बेहतर ये होगा कि जिस स्त्री की भाषा उसके पति के प्रति संयमित न हो सम्मानित न हो और मर्यादित न हो तो पति को उससे अलग हो जाना चाहिए।