(Chanakya Niti Tips) आचार्य चाणक्य की चिंतन विचारधारा यथार्थवाद और व्यावहारिकता की भावना का प्रतीक है और इनके ज्ञान के सागर से सब वाकिफ हैं कि इनमें इतना ज्ञान था कि आम आदमी की सोच भी वहां तक नहीं जा सकती। इसी के चलते आज तक इन नीतियों को पुरे (Acharya Chanakya niti) देशभर में अपनाया जाता हैं। यह लोगों को जीवन एवं समाज की सच्चाइयों को स्वीकार करने एवं समझने के लिये प्रोत्साहित करती है ताकि उन्हें नियंत्रित किया जा सके तथा सफलता के नए स्तर तक पहुँचा जा सके।
चाणक्य का व्यावहारिक दृष्टिकोण पारंपरिक सोच को चुनौती देता है तथा लोगों को समाज के मानदंडों एवं मान्यताओं पर प्रश्न उठाने के लिये प्रोत्साहित करता है। इसी के चलते आज हम बात करने जा रहे हैं कि (chanakya niti angry people) कई बार मां-बाप की कुछ आदतें ही बच्चों के व्यवहार को बिगाड़ने का कारण बन जाती हैं। चाणक्य नीति में इस बात का साफ शब्दों में वर्णन किया गया हैं। ऐसे में आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ आदतों के बारे में, जिन्हें आज ही बदल लेना चाहिए ताकि बच्चों पर इसका नकारात्मक असर न पड़े।
कड़वी भाषा का प्रयोग –
चाणक्य के अनुसार कभी भी बच्चों के सामने कड़वी या अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बच्चों का इस बात पर बेहद (chanakya niti to become rich) गहरा असर पड सकता हैं। यदि दंपत्ति की वाणी घर में मधुर रहेगी तो आपके बच्चों पर भी ऐसा ही असर पडेगा। इसी के चलते कभी भी बच्चों के सामने कटु शब्दों का प्रयोग ना करें।
झूठ बोलने की आदत –
अगर माता-पिता में ही झुठ बोलने की आदत होगी तो बच्चों को इस बुरी आदत से कोई नहीं बचा सकता हैं। बता दें कि यह छोटी छोटी (good habits for kids) अनदेखी बच्चों के भविष्य को खराब कर सकती हैं। इसलिए, चाणक्य के अनुसार, माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के सामने सच्चाई का आदर्श प्रस्तुत करें। ताकि बच्चों का जीवन नष्ट ना हो जाएं।
सम्मान की कमी –
बच्चे जो देखते हैं वही सीखते हैं अगर आप अपने घर में एक दुसरे का सम्मान नहीं करेगें तो बच्चों को भी आसानी से यह बुरी आदत लग जाएगी। भविष्य में यह आदत उनके लिए नुकसानदायक हो (chanakya niti for child) सकती है। बच्चों को कोई भी सदगुण भी सिखाने के लिए माता-पिता को भी वहीं आचरण अपनाने पडेगें। इसलिए, बच्चों को दूसरों का सम्मान करना सिखाएं और खुद भी इस आदत का पालन करें।
इस बात का रखें खास ध्यान-
चाणक्य नीति कहती है कि जब बालक की आयु पांच वर्ष की हो जाए तो उसे गलती करने पर डांटा जा सकता है क्योंकि (chanakya quotes for Parents) इस समय से वह चीजों को समझना शुरू कर देता है, इसलिए बच्चे को आवश्यकता पड़ने पर दुलार करने के साथ डांटना भी चाहिए।