Maharashtra demands of Ulemas from MVA: अल्प संख्यकों को लेकर तुष्टीकरण की राजनीति एमवीएम में शामिल कांग्रेस के लिए नई बात नहीं है। कांग्रेस ने हमेशा से ही अल्पसंख्यों को प्राथमिकता पर रखने के लिए अन्य वर्गों को कमजोर करने से भी परहेज नहीं किया। कर्नाटक में ओबीसी कोटे से अल्पसंख्यकों को आरक्षण देना इस बात का उदाहण है। हर मामले में मुस्लिमों के प्रति कांग्रेस के रुख कांग्रेस ने हमेशा से जरूरत से कहीं अधिक उदार रहा है। ऐसे में बीजेपी हमेशा से ही आरोप लगाती है कि अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता के देने साथ कांग्रेस ने हिंदुओं समेत अन्य धर्मों को कमजोर करने का भी काम किया।
खिलाफत आंदोलन को प्राथमिकता देने वाली कांग्रेस ने देश के विभाजन के समय भी हिंदुओं के खिलाफ रुख अपनाकर मुस्लिमों को अधिक प्राथमिकता दी। महात्मा गांधी ने इस बात जिम्मा लिया कि पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान से भारत आने वाले हिंदू शरणार्थियों ने मस्जिदों में आश्रय न लें, ऐसी भूमिका महात्मा गांधी ने ली थी, ऐसे उदाहरण बीजेपी नेताओं द्वारा दिए जाते हैं। स्वतंत्रता के बाद जवाहरलाल नेहरू ने भी मुस्लिम हित को अधिक प्राथमिकता दी। पूरा कश्मीर शेख अब्दुल्ला परिवार को सौंप दिया गया।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, शरीयत जैसे कानूनों को छूट दी गई, ऐसा दावा बीजेपी नेता लगातार करते रहते हैं। तीन तलाक जैसी क्रूर प्रथा का कांग्रेस ने कभी विरोध नहीं किया। मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता का अधिकार भी नकारने में कांग्रेस आगे रही। इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय का दिया गया निर्णय भी राजीव गांधी की सरकार ने पलट दिया था।
शाहबानो मामले में कांग्रेस की मुस्लिमों के संदर्भ में भूमिका स्पष्ट हो गई, ऐसे आरोप बीजेपी द्वारा लगातार लगाए जाते हैं। देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यक समुदाय का पहला अधिकार है, ऐसी भूमिका पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ली थी। वहीं देश की संपत्ति का सभी को समान वितरण होना चाहिए, ऐसी भूमिका कांग्रेस नेताओं ने लोकसभा चुनाव के दौरान ली थी। अब वक्फ सुधार विधेयक का विरोध करने की भूमिका कांग्रेस ने ली है।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मांगें
ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने कांग्रेस को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। ऐसी चर्चा चल रही है कि इसके बदले में कांग्रेस ने उलेमा बोर्ड की 17 मांगों को पूरा करने का वादा किया है। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने इस पर महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को धैर्य रखने की सलाह दी है।
मुस्लिम युवाओं पर दंगों के मामले वापस, वक्फ बोर्ड को फंड
उलेमा बोर्ड ने कांग्रेस के सत्ता में आने पर महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड को एक हजार करोड़ का फंड देने की मांग की है। उलेमाओं की मांग के अनुसार 2012-2024 तक जो मुस्लिम बच्चे दंगों में शामिल थे उन सभी पर के मामले वापस लिए जाएंगे। समाज विरोधियों को मैदान खुला देने का यह प्रयास है। अन्य समय कानून का राज, संविधान के नाम पर जोर देने वाले लोग अपराधी मामलों में शामिल मुस्लिमों को अलग न्याय और दूसरों को अलग न्याय क्यों दे रहे हैं, ऐसा सवाल अब भाजपा नेताओं द्वारा पूछा जा रहा है। हिंदू मंदिरों या ईसाई समुदाय के चर्चों में मौजूद पुजारियों को सरकार वेतन नहीं देती।
मुस्लिम बच्चों को पुलिस भर्ती में प्राथमिकता देने की मांग
आरक्षण के लिए आंदोलन शुरू हैं। लेकिन मुस्लिम बच्चों को पुलिस भर्ती में प्राथमिकता देने की मांग की गई है। कांग्रेस की सरकार आने पर ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के मुफ्ती, मौलाना, इमाम, तालीम और हाफिज को सरकार की कमिटी में लेने की भी मांग है।
कांग्रेस से संघ पर प्रतिबंध लगाने की मांग
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक राष्ट्रवादी विचारधारा का संगठन है। देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आई तो संघ के स्वयंसेवक घटनास्थल पर पहुंच जाते हैं। समर्पित भावना से संघ के स्वयंसेवक देशभर में कार्यरत हैं। वहीं कांग्रेस की सरकार आने पर आर.एस.एस. और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का आश्वासन मांगा गया है। साथ ही हिंदू संत रामगिरी महाराज को जेल में डालने की मांग भी कांग्रेस से की गई है।
इमाम, मुफ्ती के लिए मासिक वेतन की मांग
मौजूदा समय में बेरोजगारी की समस्या चरम पर है। इस असर हर वर्ग पर हो रहा है। हर जाति-धर्म के युवा सरकारी नौकरी की तलाश में हैं। ऐसे में सत्ता में आने पर महाराष्ट्र में मस्जिदों के इमाम और मुफ्ती को पंद्रह हजार रुपये मासिक वेतन देने का आश्वासन कांग्रेस और महाविकास आघाड़ी से मांगा गया है। कांग्रेस से इस तरह की अपेक्षा इस बात का स्पष्ट संकेत है ये पार्टी तुष्टीकरण की राजनीति को बढ़ावा देती रही है।