वाशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए हैं. वह 20 जनवरी को शपथ लेंगे फिर राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास व्हाइट हाउस में रहेंगे. ट्रंप ने अपने नए कार्यकाल के लिए अपने आदमियों की नियुक्तियां कर रहे हैं. इस बीच रिपब्लिकन माइक जॉनसन को शुक्रवार को अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के स्पीकर के रूप में फिर से चुना गया है. ट्रंप का उन्हें पूरा समर्थन प्राप्त था. हालांकि यह सफलता कुछ विवादों के बिना नहीं थी.
BBC की रिपोर्ट के अनुसार स्पीकर के लिए मतदान के लिए उम्मीदवार को सदन के बहुमत – 218 वोटों का समर्थन प्राप्त करना आवश्यक है. लेकिन सदन में रिपब्लिकन बहुमत के बहुत कम होने के कारण, जॉनसन केवल दो रिपब्लिकन के विरोध का सामना कर सकते थे. जॉनसन को केंटकी के कांग्रेसी थॉमस मैसी से पहले ही एक कठोर “नहीं” का सामना करना पड़ा. प्रमुख रिपब्लिकन विरोधियों ने अंतिम मिनट में जॉनसन से अपना वोट वापस लिया था. सदन के अध्यक्ष जॉनसन ने कहा कि उन्होंने अपने विरोधियों कीथ सेल्फ और राल्फ नॉर्मन से उनके वोट पलटने का कोई वादा नहीं किया.
सूत्रों ने CNN को बताया कि यह डोनाल्ड ट्रम्प ही थे जिन्होंने विपक्षी प्रतिनिधियों को जॉनसन को पहले मतपत्र पर जीत सुनिश्चित करने के लिए वोट देने के लिए राजी किया. दरअसल जॉनसन ने कानून पारित करने के लिए डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर काम किया, जिससे कुछ रिपब्लिकन नाराज हो गए थे. उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए तनावपूर्ण बातचीत करनी पड़ी, जिसमें कई रिपब्लिकन ने उनके नेतृत्व पर सवाल उठाए.
ट्रंप के 3 सांसदों ने किया खेल
शुरुआती मतदान के दौरान, उन अनिश्चित रिपब्लिकन में से तीन ने जॉनसन के बजाय अन्य सांसदों को वोट दिया, जिससे वह 218 वोटों तक नहीं पहुंच पाए. तीन सांसदों – मैसी, साउथ कैरोलिना के कांग्रेसी राल्फ नॉर्मन और टेक्सास के कांग्रेसी कीथ सेल्फ – ने अगले स्पीकर के रूप में काम करने के लिए अन्य विकल्पों का नाम दिया. इसके कारण जॉनसन सदन से भाग गए और सदस्यों से उनका समर्थन करने के लिए लॉबीइंग की. लगभग 45 मिनट बाद, वे सदन के चैंबर में वापस आ गए. नॉर्मन और सेल्फ दोनों ने जॉनसन का समर्थन करने के लिए अपने वोट बदल दिए. हथौड़ा चला और जॉनसन ने फिर से चुनाव जीता.
चुनाव के बाद नॉर्मन ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सदन के चैंबर के बाहर एक कमरे में जॉनसन से बात करने के बाद अपना वोट बदल दिया. अगर जॉनसन हारते तो यह हार ट्रंप के लिए एक और शर्मिंदगी होती. अगर जॉनसन को ट्रंप का समर्थन नहीं मिलता, तो उनकी स्थिति कमजोर हो सकती थी. क्योंकि कुछ उदारवादी रिपब्लिकन अन्य विकल्पों पर विचार करने लगते. 100 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि इतने कम मार्जिन से कोई स्पीकर चुना गया है.