Population decline in the World: जनसंख्या में बढ़ोतरी से संसाधनों की कमी, आर्थिक समस्या, खाद्य-पेय जल की समस्या के बारे में सुन-सुनकर कई पीढ़ियां बड़ी हुई हैं. लेकिन अब मामला उल्टा हो चुका है. अब दुनिया के कई देश जनसंख्या में गिरावट से परेशान हैं और जन्मदर बढ़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. इसमें चीन-जापान प्रमुख तौर पर शामिल हैं. टेक अरबपति एलन मस्क ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए वैश्विक जनसंख्या में गिरावट को दुनिया की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बताया है. साथ ही ग्राफ का हवाला देते हुए कहा है कि साल 2100 तक जनसंख्या में भारी कमी आ जाएगी, जो पूरी मानवजाति के लिए बड़ा खतरा है.
जन्मदर में कमी बड़ा कारण
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर टेस्ला ओनर्स सिलिकॉन वैली अकाउंट द्वारा पोस्ट किए गए एक ग्राफ को रीपोस्ट किया और जनसंख्या में गिरावट को दुनिया के लिए गंभीर खतरा बताया. इस ग्राफ में भारत, नाइजीरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया और पाकिस्तान सहित प्रमुख देशों के 2018 और 2100 के बीच की अनुमानित जनसंख्या में बड़े अंतर को दर्शाया गया है.
विभिन्न देशों में जनसंख्या में कमी के पीछे जन्मदर में कमी, बुजुर्गों की आबादी में बढ़ोतरी, प्रवासन जैसे कारण शामिल हैं. कई देशों में तो प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या 2.1 से कम है – जो कि स्थिर जनसंख्या को बनाए रखने के लिए आवश्यक सीमा है.
भारत-चीन पर सबसे ज्यादा असर
2018 में भारत और चीन दोनों की आबादी लगभग 1.5 बिलियन (150 करोड़) थी, लेकिन उनमें तेजी से बदलाव हो रहा है. भारत की आबादी साल 2100 तक घटकर अनुमानित तौर पर 110 करोड़ रह जाएगी. वहीं चीन की जनसंख्या तो भयानक गिरावट के साथ करीब 74 करोड़ ही बचेगी. चीन की आबादी में इतनी बड़ी कमी के पीछे यहां की बुजुर्ग आबादी में बढ़ोतरी और घटती प्रजनन दर जिम्मेदार है. इस तरह इस सदी के अंत तक दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश भारत और दूसरा देश नाइजीरिया होगा. नाइजीरिया की जनसंख्या इस सदी के अंत तक 79 करोड़ होने का अनुमान है.
अमेरिका चौथा बड़ी आबादी वाला देश
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की 2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन में पहले की तुलना में तेजी से जनसंख्या में गिरावट हो सकती है. वहीं अमेरिका साल 2100 तक आबादी के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर आ सकता है. वहीं कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में आबादी में स्थिरता रहने की उम्मीद है. साल 2100 तक इंडोनेशिया और पाकिस्तान जैसे वर्तमान विकास वाले देशों की जनसंख्या में मामूली गिरावट हो सकती है.