हरियाणा में इस समय विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है. 5 अक्टूबर को मतदान और 8 अक्टूबर को मतगणना होगी. कांग्रेस 10 वर्षों बाद राज्य की सत्ता में वापसी के लिए 2024 के चुनाव में कई वादे कर रही है, लेकिन कांग्रेस के लिए सत्ता में वापस आना इतना सरल नहीं है, क्योंकि वादों को पूरा न कर पाने के आरोप कांग्रेस पर लगने लगे हैं. ऐसे में उसके नेताओं के लिए नए वादे करना और आरोपों से खुद को बचाना थोड़ा कठिन है. आइये जानें कांग्रेस पर किन वादों को पूरा न करने के आरोप लग रहे हैं.
बता दें हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं. यहां बहुमत के लिए 46 सीटों की आवश्यकता होती है. कांग्रेस 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि भिवानी सीट को माकपा के लिए छोड़ा गया है. हरियाणा के चुनाव में कांग्रेस पर वादाखिलाफी के आरोप लगने लगे हैं. आइये जानें क्या हैं आरोप
कर्ज माफी पर वादाखिलाफी
2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने राजस्थान के पोकरण में वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो 10 दिन के भीतर किसानों के कर्ज माफ कर दिए जाएंगे. 2018 में कांग्रेस की सरकार तो बनी, लेकिन पांच साल के कार्यकाल के बाद भी सभी किसानों के कर्ज माफ नहीं हो सके. इस वादाखिलाफी की वजह से 2023 के चुनावों में कांग्रेस सरकार को जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया और भाजपा की सरकार बनाई.
युवाओं को रोजगार का अधूरा वादा
नवंबर 2022 में हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने 10 गारंटियों के वादे किए थे. एक लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा प्रमुख था. प्रियंका गांधी ने प्रचार के दौरान यह कहा था कि उनकी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में इस वादे को पूरा किया जाएगा. हालांकि, जनवरी 2023 में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहली कैबिनेट बैठक हो चुकी है, लेकिन यह वादा अभी तक अधूरा है.
महिला पेंशन का अधूरा वादा
कांग्रेस ने हिमाचल में महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये पेंशन देने का वादा किया था. हिमाचल में लगभग 75 लाख की आबादी में से 36.9 लाख महिलाएं हैं, जिनके लिए यह वादा अहम था. कांग्रेस ने इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना शुरू तो की, लेकिन इसमें परिवार के एक सदस्य तक ही पेंशन सीमित कर दी, जिससे कई महिलाओं को इस लाभ से वंचित रहना पड़ा.
सरकारी कर्मचारियों को परेशानी
हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारी अपने वित्तीय लाभों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. विशेष रूप से राज्य विद्युत पेंशनर्स को उनके लंबित वित्तीय लाभों के भुगतान के लिए विरोध प्रदर्शन करना पड़ा. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर 31 दिसंबर तक भुगतान नहीं हुआ तो वे अपने बोर्ड कार्ड चुनाव आयोग को भेज देंगे.