लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। होली का त्योहार हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन लोग रंगों में पूरी तरह डूब जाते हैं और बुराई पर अच्छाई का जश्न मनाते हुए एक दूसरे को गले लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन खेला जाने वाला रंग और गुलाल आपसी प्रेम और सौहार्द्र को बढ़ाता है। रंग खेलने वाली होली के ठीक एक दिन पहले होलिका दहन होता है जिसमें सभी बुराइयों को ख़त्म करने की प्रार्थना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि होलिका की अग्नि में सभी बुराइयां और बालाएं जलकर भस्म हो जाती हैं। इस दिन घर की सुख समृद्धि के लिए कई अलग-अलग उपाय अपनाए जाते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कई अलग तरह की युक्तियां आजमाई जाती हैं।
ऐसे ही कुछ उपायों में से एक है होलिका दहन के दिन शरीर में उबटन लगाना। मान्यता है कि होलिका दहन के दिन घर के सभी सदस्यों को शरीर पर हल्दी और आटे का उबटन लगाना चाहिए। ऐसा करने से घर की सारी बलाएं दूर होती हैं। ज्योतिष की मानें तब भी होलिका दहन के दिन उबटन लगाना बहुत शुभ माना जाता है। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें होलिका दहन के दिन उबटन लगाने के महत्व के बारे में।
उबटन लगाने का वैज्ञानिक महत्व
अक्सर लड़कियां खूबसूरती बढ़ाने के लिए तरह -तरह के उबटन त्वचा पर अप्लाई करती हैं। त्वचा पर उबटन लगाने से जहां एक तरफ त्वचा में निखार आता है वहीं उबटन में इस्तेमाल की गई हल्दी त्वचा को कई तरह के विकारों से बचाती है। यहां तक कि यदि शरीर में किसी तरह की चोट हो तो वह भी हल्दी के प्रभाव से ठीक होने लगती है। इसलिए इस दिन पूरे शरीर में हल्दी का उबटन लगाया जाता है।
शुभ काम में लगाया जाता है उबटन
ऐसी मान्यता है कि किसी भी शुभ काम में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। इसी वजह से शादी जैसे शुभ काम में भी दुल्हन और दूल्हे को हल्दी का उबटन लगाया जाता है। उबटन में इस्तेमाल हल्दी घर में शुभता और सौहार्द्र का प्रतीक होती है इसलिए होली के त्योहार में भी घर में खुशहाली लाने के लिए हल्दी के उबटन का इस्तेमाल किया जाता है।
होलिका दहन में उबटन लगाने का ज्योतिषीय महत्व
होलिका दहन (होलिका दहन का शुभ मुहूर्त)के दिन सदियों से चली आ रही उबटन लगाने की प्रथा आज भी बरकरार है। दरअसल उबटन लगाने का ज्योतिषीय महत्व बताया जाता है। ज्योतिष के अनुसार होलिका दहन के दिन घर के सभी लोग यदि हल्दी मिले हुए उबटन का इस्तेमाल शरीर में करते हैं और शरीर से उतारे हुए उबटन को होलिका की अग्नि में डालते हैं तो घर की सभी बुराइयां होलिका की अग्नि में प्रवाहित हो जाती हैं और शरीर रोग मुक्त हो जाता है। ऐसा माना जाता है होलिका दहन में प्रवाहित उबटन के साथ शरीर की सभी बीमारियां भी दूर हो जाती हैं।
कैसे लगाया जाता है उबटन
ज्योतिष अनिल जैन जी बताते हैं कि होलिका दहन के दिन महिलाएं घरों में सरसों के दानों को पीसकर उसमें हल्दी, दही, शहद मिलाकर उबटन लगाती हैं। घर के सभी सदस्य अपने शरीर पर उबटन से मालिश करते हैं और इसे शरीर से बाहर निकालते हैं । बुराई का प्रतीक माने जाने वाले उबटन को शरीर पर रगड़ने के बाद उसको इकट्ठा करके होली दहन के समय होलिका में जला दिया जाता है।
क्या कहता है शास्त्र
शास्त्रों में मान्यता है कि होलिका शारीरिक कष्टों को अपने साथ भस्म करके पूरे वर्ष आपको रोग और व्याधियों से दूर रखती है। दूसरा कारण यह भी है ऋतु परिवर्तन से लोगों पर संभावित कीटाणुओं के हमले से उबटन रक्षा करता है या चर्म रोगों को भी दूर रखता है। ज्योतिष के अनुसार उबटन में शामिल वस्तुएं गुरु शनि, शुक्र, चंद्र आदि ग्रहों का प्रतिनिधित्व करती हैं और यह सभी ग्रह सुख, समृद्धि, मानसिक शांति, भाग्य में वृद्धि और रोगों का विनाश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इन ग्रहों का उपाय इस विधि के द्वारा हो जाता है और पूरे वर्ष आपका जीवन सुखी और समृद्ध बना रहता है।
होलिका दहन के दिन करें ये उपाय
होलिका दहन से ठीक पहले घर के सभी सदस्य उबटन तैयार करके पूरे शरीर में लगाएं। इस दिन उबटन लगाते समय घर की शांति की कामना करें और एक कागज़ में शरीर से निकाला हुआ उबटन इकठ्ठा करें। पूरे परिवार का उबटन इकठ्ठा करके एक बड़ी लोई तैयार करें और गाय के गोबर से बने 11 उपलों के साथ एक मुट्ठी सरसों के दाने लें और होलिका दहन होने पर होलिका की 7 या 11 बार परिक्रमा करें और इसमें उबटन और गोबर के उपले प्रवाहित कर दें। होलिका की अग्नि के सामने सपरिवार खड़े होकर घर की शांति और समृद्धि की कामना करें। सभी को गुलाल का टीका लगाएं और आपसी प्रेम बनाए रखें।
ज्योतिष के अनुसार होलिका दहन के दिन यदि आप भी शरीर पर उबटन लगाएंगे तो शरीर रोगों से मुक्त हो सकता है।