कितना बहुमूल्य होगा वो खजाना जिसे खोजने के लिए बुलाई गई थी सेना…आज भी राजस्थान के इस फोर्ट में रहस्य बना हुआ है इसका हर एक कर्ण!

कितना बहुमूल्य होगा वो खजाना जिसे खोजने के लिए बुलाई गई थी सेना…आज भी राजस्थान के इस फोर्ट में रहस्य बना हुआ है इसका हर एक कर्ण! (Himachali Khabar) Mystery of Jaigarh Fort in Rajasthan: 1975-76 में भारत में जब आपातकाल लागू था तब देश में कई घटनाएं घटीं जिनमें से जयपुर के जयगढ़ किले से संबंधित एक रहस्यमयी खजाने की खोज प्रमुख रूप से चर्चा में रही। यह घटना उस समय की है जब भारत सरकार ने जयपुर राजघराने के खिलाफ एक विशेष छापेमारी अभियान शुरू किया था जिसके तहत किले में खुदाई की गई थी। हालांकि सरकार ने यह दावा किया कि उन्हें किले से कोई खजाना नहीं मिला लेकिन इसके बाद जो घटनाएं हुईं उन्होंने एक बड़े रहस्य को जन्म दिया जो आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

राजा मानसिंह का अफगानिस्तान अभियान

इस रहस्य की शुरुआत राजा मानसिंह से जुड़ी एक ऐतिहासिक घटना से होती है। राजा मानसिंह जो कि मुग़ल सम्राट अकबर के दरबार में सेनापति थे ने अफगानिस्तान पर हमले के बाद भारी मात्रा में संपत्ति लाने का दावा किया था। इतिहासकार बताते हैं कि जब राजा मानसिंह अफगानिस्तान पर विजय प्राप्त करने के बाद दिल्ली लौटे तो उन्होंने अपनी प्राप्त संपत्ति को दरबार में न सौंपकर अपने पास रखा। इसे उन्होंने जयगढ़ किले में छिपाने का निर्णय लिया। यह किला जयपुर के पास स्थित एक प्रमुख किला है जो खासतौर पर अपनी विशालकाय टंकियों के लिए प्रसिद्ध है जिन्हें पानी के संरक्षण के लिए बनाया गया था लेकिन माना जाता है कि इन टंकियों में सोने चांदी और हीरे-जवाहरात भी छिपाए गए थे।

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जयगढ़ किले का खजाना: सेना का अभियान

आपातकाल के दौरान 1976 में जब गायत्री देवी जो जयपुर के राजघराने की प्रमुख सदस्य थीं ने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ मुखर विरोध किया तो सरकार ने आयकर विभाग को उनके खजाने की जांच करने का आदेश दिया। इस समय जयपुर राजघराने के खिलाफ राजनीतिक तनाव चरम पर था क्योंकि गायत्री देवी ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ स्वतंत्र पार्टी का गठन किया था और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों को हराया था।

गायत्री देवी के विरोध के कारण सरकार ने निर्णय लिया कि जयगढ़ किले की संपत्तियों की जांच की जाए। इस कार्य के लिए सेना की एक टुकड़ी को भी शामिल किया गया और तीन महीनों तक सेना ने किले के अंदर और आसपास खुदाई की। हालांकि सरकार ने बाद में यह दावा किया कि किले से किसी प्रकार की संपत्ति नहीं मिली।

क्या हुआ उस दिन जब दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद हुआ?

जैसे ही यह अभियान समाप्त हुआ एक दिन दिल्ली-जयपुर हाईवे को अचानक बंद कर दिया गया। इस घटना ने एक नया मोड़ लिया जब यह चर्चा तेज हो गई कि किले से कोई खजाना नहीं मिला तो फिर वह खजाना गया कहां? कुछ लोगों का मानना था कि खजाना किले से बाहर निकाल लिया गया और उसे छिपाने के लिए ट्रकों में लादकर दिल्ली भेज दिया गया।

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इस तरह की अफवाहों ने जनता में असमंजस और चिंता पैदा की। हालांकि इस बात की कभी भी पुष्टि नहीं हो पाई कि सच में किले से कोई खजाना निकाला गया था या नहीं और यदि निकाला गया था तो वह कहां गया?

आरटीआई और सरकार का बयान

कई वर्षों तक लोग आरटीआई (सूचना का अधिकार) के तहत सरकार से इस खजाने के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते रहे लेकिन हर बार विभागों की ओर से यह उत्तर मिलता रहा कि उनके पास इस मामले से संबंधित कोई जानकारी नहीं है। सरकार का यह जवाब हमेशा अस्पष्ट और रहस्यमय बना रहा जिससे खजाने के बारे में सवालों का सिलसिला जारी रहा।

क्या सच में था खजाना?

राजा मानसिंह द्वारा अफगानिस्तान से लाए गए खजाने की सच्चाई आज भी एक रहस्य बनी हुई है। कुछ इतिहासकार इसे एक वास्तविक घटना मानते हैं जबकि कुछ का मानना है कि यह सिर्फ एक अफवाह थी। फिर भी जयगढ़ किले में खजाने के बारे में जो कहानियां प्रचलित हैं वे हमेशा लोगों की जिज्ञासा और कल्पना को बढ़ाती रही हैं। 1976 में हुए छापे और उसके बाद की घटनाओं ने इस खजाने को एक ऐतिहासिक मिथक में बदल दिया है जो आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय है।

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किले में खुदाई के बाद कोई संपत्ति नहीं मिलने के बावजूद उच्च अधिकारियों और सेना द्वारा की गई कार्रवाइयों और हाईवे को बंद करने जैसी घटनाओं ने इस रहस्य को और भी गहरा कर दिया है। चाहे वह खजाना सच में था या नहीं यह मामला भारतीय इतिहास के एक रहस्यमय अध्याय के रूप में हमेशा जीवित रहेगा।

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