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Human Brains में इस अंग के रास्ते घुस रहा माइक्रोप्लास्टिक, वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा….

Human Brains में इस अंग के रास्ते घुस रहा माइक्रोप्लास्टिक, वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा….
Human Brains में इस अंग के रास्ते घुस रहा माइक्रोप्लास्टिक, वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा….

साओ पाउलो: शोधकर्ताओं ने इस साल की शुरुआत में मानव हृदय में माइक्रोप्लास्टिक (microplastics) के अंश पाए थे. पहली बार मस्तिष्क (human Brains) में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है. वैज्ञानिकों ने यह भी खुलासा किया है कि आखिर यह मानव शरीर के भीतर जा कैसे रहा है.

ये अध्ययन मृत लोगों के मस्तिष्क का पोस्टमार्टम करके किया गया. वैज्ञानिकों ने ब्राजील के साओ पाउलो के 15 लोगों के मस्तिष्क से लिए गए नमूनों पर अध्ययन किया, जिनमें से आठ में पॉलीप्रोपाइलीन के निशान पाए गए. मस्तिष्क में पॉलीप्रोपाइलीन रेशे और कण दोनों के रूप में मौजूद था.

कैसे प्लास्टिक पहुंचा शरीर के भीतर

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि लोग हानिकारक कणों को सांस के माध्यम से अपने शरीर के अंदर ले रहे हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि जो प्लास्टिक लोगों के कपड़ों, बोतलों और खाद्य पैकेजिंग में मौजूद होता है, वही शरीर के भीतर चला जाता है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि प्लास्टिक कोशिकाओं में घुसपैठ कर रहा है और संभावित रूप से उन्हें बदल रहा है. इसलिए अब कोई संदेह नहीं रह गया है कि प्लास्टिक मानव मस्तिष्क के लिए कितना खतरनाक है.

मस्तिष्क में यहां छिपा था प्लास्टिक

माइक्रोप्लास्टिक की पहचान मस्तिष्क के उस हिस्से में की गई जिसे घ्राण बल्ब ( olfactory bulb) के रूप में जाना जाता है, जो नाक की गुहाओं के ऊपर होता है. जो गंध के बारे में जानकारी मस्तिष्क के अन्य भागों तक पहुंचाता है. शोधकर्ताओं को डर है कि छोटे नैनोप्लास्टिक का स्तर, जो अधिक आसानी से मानव शरीर में प्रवेश कर जाता है, और ज्यादा मात्रा में मनुष्य के शरीर के भीतर हो सकते हैं. साओ पाउलो विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर थायस मौद ने कहा, ‘इस अध्ययन में पाया गया है कि घ्राण मार्ग मस्तिष्क में प्लास्टिक के प्रवेश का एक संभावित रास्ता है, जिसका अर्थ है कि इनडोर वातावरण में सांस लेना मस्तिष्क में प्लास्टिक प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत हो सकता है.

प्लास्टिक उत्पादों में मौजूद 16,000 रसायन

दुनिया में हर साल 500 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है और वैज्ञानिकों ने हाल के कई शोधों में इसके टूटने पर होने वाले जोखिमों पर प्रकाश डाला है. जिस पदार्थ का आविष्कार केवल 20वीं सदी में हुआ था, वह हमारे शरीर के अंदर तेजी से पाया जा रहा है, जिसमें गर्भ में पल रहे बच्चे और स्तन का दूध भी शामिल है. वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक उत्पादों में मौजूद 16,000 से अधिक रसायनों की एक सूची तैयार की है, जिनमें से 4,000 से अधिक को मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरनाक माना जाता है. इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि प्लास्टिक कैंसर होने में अहम भूमिका निभा सकता है, जहां स्वस्थ कोशिकाएं कैंसरग्रस्त हो जाती हैं. इस साल की शुरुआत में, एक अध्ययन में पाया गया कि माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने के बाद आंत में कैंसर कोशिकाएं तेज़ी से फैलती हैं.

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