देश के हर जिले की कानून व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने और प्रशासनिक कार्यों की देख-रेख के लिये सरकार द्वारा हर जिले में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, जिलाधिकारी या जिलाशासक नियुक्त किये जाते हैं। इन जिलाधिकारियों का काम और भूमिका काफी अहम होते हैं।
हालांकि, जिलाधिकारी की नियुक्ति यूं ही नहीं हो जाती। ये आईएएस ऑफिसर होते हैं, जिन्हें डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया जाता है। सरकार की तरफ से इन्हें जितनी ज्यादा जिम्मेदारियां दी जाती है, उतनी ही सुख-सुविधाएं भी मुहैया करायी जाती है। इनके दर्जे की तरह ही इन्हें मिलने वाली सुविधाएं भी उच्च है। इसके अलावा इनकी आय भी काफी ज्यादा होती है।
डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर की आय
7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के मुताबिक, IAS ऑफिसर की बेसिक सैलरी 56,100 रुपये होती है। इस सैलरी के अलावा उन्हें टीए, डीए और एचआरए भी मुहैया कराया जाता है। अगर इन सभी का टोटल देखा जाये, तो एक आईएस ऑफिसर की मासिक आय लगभग 1 लाख रूपये से भी ज्यादा है। डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को 7वें वेतन आयोग के अनुसार मासिक 80 हजार रुपये तन्ख्वाह दी जाती है, जो कैबिनेट सचिव की पोस्ट पर पहुंचने के बाद ढाई लाख तक हो जाती है।
कलेक्टर की भूमिका
डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को भूमि रिकॉर्ड बनाए रखना, भूमि राजस्व एकत्र करना,ग्रामीण आंकड़े एकत्र करना, अन्य सरकारी देय राशि एकत्र करना, तकावी ऋणों का वितरण और वसूली करना, भूमि सुधारों को लागू करना, भू-अर्जन अधिकारी की शक्ति का प्रयोग करना, अर्थात औपनिवेशीकरण, उद्योग, मलिन बस्तियों की सफाई आदि के उद्देश्य से भूमि का अधिग्रहण करना, कृषकों के कल्याण की देखभाल करना फसलों के नुकसान का आकलन करना और प्राकृतिक आपदाओं जैसे आग, सूखा और बाढ़ आदि के दौरान राहत की सिफारिश करना, पुनर्वास अनुदान का भुगतान करना, निचले अधिकारियों के आदेशों के खिलाफ अपील सुनना जैसे काम करने होते हैं। इसके अलावा और भी कई जिम्मेदारियां डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को दी जाती है।
कलेक्टर की सुविधाएं
- सरकार की तरफ से बंगला।
- सरकारी वाहन।
- घर के काम-काज के लिए कार, ड्राइवर और नौकर।
- सरकारी बंगले पर चपरासी, माली कुक और दूसरे कामों के लिए सहायक।