जबलपुर: नहीं काम आए साइंटिफिक तथ्य, महिला प्रोफेसर को पति की हत्या के आरोप में भुगतनी होगी उम्रकैद की सजा

जबलपुर: नहीं काम आए साइंटिफिक तथ्य, महिला प्रोफेसर को पति की हत्या के आरोप में भुगतनी होगी उम्रकैद की सजा

मध्य प्रदेश के छतरपुर कॉलेज की महिला प्रोफेसर ममता पाठक पिछले कुछ समय से खूब सुर्खियों में हैं. उन पर पति को नींद की गोलियां देने फिर इलेक्ट्रिक शॉक देकर हत्या का आरोप लगा है. ममता पाठक सुर्खियों में इसलिए आईं क्योंकि उन्होंने अपने बचाव में कोर्ट के सामने साइंटिफिक तथ्य रखे थे, ताकि उनकी सजा टल सके. मगर अब उनकी टेंशन और ज्यादा बढ़ गई है. दरअसल, जबलपुर में हाईकोर्ट ने ममता पाठक की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है.

जस्टिस विवेक अग्रवाल व जस्टिस देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ ने कहा- घटना के दिन कोई अन्य व्यक्ति बाहर से नहीं आया. परिस्थितियों की पूरी कड़ी इस ओर इंगित करती है कि पत्नी ने ही पहले नशीली दवा देकर पति को बेहोश किया और बाद में करंट लगाकर मौत के घाट उतार दिया. हाईकोर्ट ने पूर्व में सजा पर अस्थायी निलंबन निरस्त करते हुए आरोपी ममता पाठक को शेष कारावास भुगतने के लिए तत्काल ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिये हैं.

इस मामले में हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 29 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. साल 2021 में सेवानिवृत्त डॉ. नीरज पाठक की रहस्यमय मौत हो गई थी. शुरुआत में पत्नी ममता ने बताया था कि वह बेटे के साथ झांसी गई थी और लौटने पर पति मृत मिले.

नींद की गोलियां दीं, फिर इलेक्ट्रिक शॉक से मारा

पुलिस जांच के अनुसार, आरोपी महिला ममता पाठक छतरपुर कॉलेज में केमिस्ट्री की प्रोफेसर हैं. ममता पाठक ने पति को पहले नींद की गोलियां दीं और फिर इलेक्ट्रिक शॉक देकर हत्या कर डाली. जांच में पता चला कि पति -पत्नी के बीच झगड़ा होता था. विवाद के चलते दोनों अलग-अलग रहते थे. घटना के 10 महीने पहले आरोपी महिला अपने पति के साथ रहने आई थी. घटना के दिन सुबह पति ने अपने एक रिश्तेदार को बताया था कि पत्नी खाना नहीं देती है और रुपये सहित सारे गहने अपने पास रख लिये हैं.

महिला ने पति को पीटकर बाथरूम में किया बंद

पुलिस जांच में ये जानकारी मिली कि पीड़ित पति डॉ. नीरज पाठक ने रिश्तेदार को बताया था कि पत्नी मारपीट कर उसे बाथरूम में बंद कर दिया. बाथरूम में गिरने के कारण उसे चोट आई. रिश्तेदार के साथ डॉ. नीरज पाठक को बाथरूम से बाहर निकाला गया था. घर के चौकीदार ने भी अपने बयान में इस बात की पुष्टि की थी कि दोनों के बीच झगड़ा होता था.

जिला न्यायालय ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा

इसके बाद जिला न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपी महिला प्रोफेसर को साल 2022 में को हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट अपील दायर की थी. आरोपी महिला को कुछ माह पहले जमानत का लाभ मिल गया था. महिला ने अपील की सुनवाई के दौरान स्वयं पैरवी करते हुए हाई कोर्ट में रासायनिक विश्लेषण करते हुए बताया था कि पोस्टमार्टम रूम में थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न में अंतर कर पाना संभव नहीं है.

आरोपी महिला ने खुद की हाई कोर्ट में पैरवी

आरोपी महिला ने कोर्ट को बताया था कि जब करंट शरीर से गुजरता है तो मेडिकल मेंटल के कण टिशू में जम जाते हैं. बाद में लैब में उसे एचसीएल या नाइट्रिक एसिड में घोलकर परीक्षण किया जाता है, जिससे असली पहचान होती है कि बर्न किस कारण से हुआ. पोस्टमार्टम के दौरान इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. इसके अलावा घर में बिजली सुरक्षा संबंधित आधुनिक उपकरण लगाये गये हैं. युगलपीठ ने 97 पेज की विस्तृत आदेश में 3 मुख्य बिंदुओं का उल्लेख करते हुए सजा को बरकरार रखने के आदेश जारी किए.

Leave a Reply