मकड़ियां हर घर में देखने को मिलती है। इन मकड़ियों के जालों से हर कोई परेशान रहता है। गौरतलब है कि मकड़ी अपने जाल का इस्तेमाल बड़े-बड़े कीट-पतंगों को फंसाने के लिए करती है। ये उसका भोजन होते हैं। लेकिन क्या आप ने कभी सोचा कि ये मकड़ी खुद अपने इस जाल में क्यों नहीं फँसती है? वजह बड़ी दिलचस्प है।
शिकार को फंसाने के लिए बुनती है जाल
मकड़ी मक्खी, मच्छर और कीट-पतंगों का भोजन करती है। इनका शिकार करने के लिए वह अपना जाल बुनती है। जब कोई कीड़ा इस जाल से होकर गुजरता है तो इसमें बुरी तरह फंस जाता है। फिर मकड़ी उसे चट कर जाती है।
हर मकड़ी का जाल का पैटर्न होता है अलग
हर मकड़ी एक अलग ढंग से जाल बुनती है। उनका जाल बुनने का पैटर्न अलग-अलग होता है। ऐसे में धरती पर करोड़ों-अरबों मकड़ियां हैं और सभी के जाल बुनने का पैटर्न भी अलग-अलग होता है। इसलिए कीड़े हर बार इसमें फंस जाते हैं।
दो टाइप के रेशों बुनती है जाल
मकड़ी दो टाइप के रेशों से जाल बनाती है। पहला रेशा साधारण होता है जबकि दूसरा रेशा चिपचिपा होता है। अपने रहने के लिए मकड़ी साधारण रेशे का जाल बुनती है। इस रेशे से बने जाल में कोई कीड़ा भी नहीं फंसता है। वहीं जब वह चिपचिपे रेशे से जाल बुनती है तो उसमें कीड़े आसान से फंस जाते हैं।
इस कारण अपने जाल में नहीं फँसती
मकड़ी के पैरों की बनावट बहुत युनीक होती है। उनके पैरो के नीचे दो उंगलीनुमा आकृति होती है। यही अनोखे पैर उसे अपने चिपचिपे रेशे वाले जाल से बचाते हैं। हैरत की बात तो ये है कि अपने चिपचिपे रेशे वाले जाले पर मकड़ी भी अच्छे से नहीं चल सकती है। लेकिन वह इससे बचने के लिए अपने अनोखे पैरों का इस्तेमाल करती है। वह इन चिपचिपे रेशे वाले जाल पर अपने पूरे पैर नहीं रखती है। ऐसा करने पर वह भी इस जाल में फंस सकती है। उसका जाल पर चलने का तरीका बड़ा अनोखा होता है। इस तरीके की वजह से वह खुद के बनाए जाल में नहीं फँसती है।
दूसरी मकड़ी के जाल में फंस सकती है
अब एक और हैरान करने वाली बात ये है कि मकड़ी अपने बनाए जाल में भले न फंसे, लेकिन वह दुसरी मकड़ियों के बनाए जाल में आराम से फंस जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें दूसरी मड़कियों के जाल बनाने का पैटर्न पता नहीं होता है।