स्वर्ग से गिरा था भगवान कृष्ण की गेंद, हैरान कर देगी आपको इन 5 पत्थरों की कहानी

भारत में कई ऐसे चमत्कारी पत्थर हैं। जिन्हें देखने से लोग दूर-दूर से आते हैं। इन रहस्यमयी पत्थरों से रोचक कहानियां जुड़ी हुई हैं और ये सदियों पुराने हैं। आज हम भारत के अलग-अलग कोने में स्थित इन पत्थरों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

भगवान कृष्ण की गेंद

चेन्नई के महाबलीपुरम में एक विशालकाय पत्थर ढलान वाली पहाड़ी पर, 45 डिग्री के कोण पर बिना लुढ़के टिका हुआ है। सदियों से लोग ये पत्थर इसी तरह से देख रहे हैं। हैरानी की बात ये है कि बिना किसी सहारे के ये पत्थर 45 डिग्री के कोण पर है। इस पत्थर से कई तरह की कहानियां जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि ये कोई साधारण पत्थर नहीं है। इस पत्थर का नाता भगवान कृष्ण जी से है।

ये पत्थर कृष्णा की बटर बॉल के नाम से फेमस है। इसे कृष्ण के प्रिय भोजन मक्खन का प्रतीक माना गया है। लोगों के अनुसार ये पत्थर स्वयं स्वर्ग से गिरा हुआ है। बात की जाए पत्थर के आकार की तो ये पत्थर 20 फीट ऊंचा और 5 मीटर चौड़ा है। इसका वजन लगभग 250 टन के करीब बताया जाता है।

ख्वाज़ा गरीब नवाज़ का जादुई पत्थर

हजरत ख्‍वाजा मोइनुद्दीन चिश्‍ती यानी ख्वाज़ा गरीब नवाज़ की दरगाह में भी एक खास पत्थर है। तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में मौजूद इस पत्थर के बारे में कहा जाता है कि एक बार ये पत्थर किसी शख्‍स के ऊपर गिरने वाला था। उस शख्‍स ने ख्‍वाजा साहब को याद किया और उन्होंने इस पत्‍थर को हवा में ही रोक दिया। तभी से ये पत्थर जमीन से दो इंच ऊपर उठा है। तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में मौजूद इस पत्थर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।

ठिनठिनी पत्थर

ये पत्थर छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित छिंदकालो गांव में मौजूद है। इस चमत्कारी पत्थर से मधुर आवाज निकलती है। इससे अगर कोई दूसरी चीज या पत्थर टकराए तो टकराहट पर मधुर सी ध्वनि आती है। वैज्ञानिकों ने इस पत्थर का रहस्य जाने की काफी कोशिश की लेकिन नाकाम रहे है। आज तक किसी को नहीं पता कि इस पत्थर से ये आवाज कैसे आती है। इस पत्थर को गांव के लोगों ने ‘ठिनठिनी पत्थर’ नाम दिया है। जबकि इसका वास्तविक नाम फोनोटिक स्टोन है।

बैलेंसिंग रॉक, चेरापूंजी

चेरापूंजी में एक छोटे से पत्थर पर बहुत बड़ी चट्टान खड़ी है। महज एक छोटे से पत्थर पर इस चट्टान का बैलेंस बना हुआ है। यहां के लोगों के अनुसार ये पत्थर सालों से इसी हालत में हैं। चाहे भूकंप आए या तूफान पत्थर अपनी जगह से हिला तक नहीं है।

हजरत कमर अली दरवेश

पुणे-बेंगलुरु हाईवे पर मुंबई से 180 किमी दूर शिवपुर गांव में हजरत कमर अली दरवेश बाबा की दरगाह है। यहां 700 साल पहले सूफी संत हजरत कमर अली को दफनाया गया था। इस दरगाह के परिसर में लगभग 90 किलो का पत्थर रखा है। ये पत्थर इतना भारी होने के बाद भी तर्जनी उंगली से उठ जाता है। इस पत्थर को अगर 11 लोग सूफी संत का नाम लेते हुए अपनी तर्जनी उंगली से उठाते है तो ये पत्थर ऊपर उठ जाता है।

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