
इंडोनेशिया के दक्षिण-पूर्वी सुलावेसी प्रांत के उत्तर कोनावे जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जो पूरी दुनिया को हैरान कर रही है. यहां एक पति ने अपनी पत्नी के अफेयर को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए उसे उसके प्रेमी को सौंप दिया. बदले में प्रेमी ने एक गाय, एक केतली और कुछ नकद पैसे दिए. यह सब तोलाकी जनजाति की पारंपरिक रस्म ‘मोवे सरापू’ या ‘मोसेहे’ के तहत हुआ, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘सौंप दो और जाने दो’. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसने बहस छेड़ दी है- क्या यह सम्मान की रक्षा है या महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन?
जानकारी के मुताबिक, एक समारोह में पति ने शांत भाव से अपनी पत्नी को प्रेमी के हवाले कर दिया. पत्नी साड़ी जैसी पारंपरिक पोशाक में नजर आई जबकि प्रेमी मुस्कुराते हुए गाय का लेन-देन करता नजर आया. पति ने बाद में बताया कि यह फैसला दोनों पक्षों के सम्मान को बचाने के लिए लिया गया. पत्नी का अफेयर शादी के कुछ महीनों बाद ही शुरू हो गया था. प्रेमी ने पति को ऑफर दिया- ‘मुझे अपनी बीवी दे दो, बदले में मैं एक गाय दूंगा.’ पति ने सोचा और अगले ही दिन उनकी शादी करवा दी. स्थानीय परंपरा के अनुसार, यह रस्म विवाद को बिना हिंसा के सुलझाती है
नियम से हुआ अलगाव
तोलाकी जनजाति, जो सुलावेसी द्वीप पर रहती है, अपनी अनोखी परंपराओं के लिए जानी जाती है. ‘मोवे सरापू’ रस्म का इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई विवाह टूटने की कगार पर हो. इसमें पति पत्नी को प्रेमी को सौंप देता है, और प्रेमी मुआवजा देता है- जो अक्सर पशु, बर्तन या नकद होता है. इस मामले में प्रेमी ने एक स्वस्थ गाय, एक स्टील की केतली और 500,000 रुपिया (करीब 2,500 रुपये) दिए. समारोह में परिवार के सदस्य और गांव वाले मौजूद थे. पत्नी ने भी सहमति दी, कहा कि वह प्रेमी से सच्चा प्यार करती है. पति ने कहा, ‘मैंने बदला लेने की बजाय शांति चुनी. अब तीनों खुश हैं.’
शुरू हो गई बहस
इस घटना का वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर होते ही वायरल हो गया. इसे अब तक लाखों व्यूज मिल चुके हैं. साथ ही नेटिजन्स के रिएक्शन्स मिले-जुले नजर आए. कुछ ने पति की उदारता की तारीफ की, ‘सच्चा पुरुष वही जो सम्मान दे.’ जबकि महिलाओं के अधिकार संगठनों ने इसकी आलोचना की, ‘यह पत्नी को वस्तु बना देता है.’ इंडोनेशियाई फेमिनिस्ट ग्रुप ‘पेरम्पुआन’ ने कहा कि ऐसी परंपराएं लिंग असमानता को बढ़ावा देती है. विशेषज्ञों का मानना है कि जनजातीय रीति-रिवाजों को आधुनिक कानूनों के साथ जोड़ना जरूरी है. इंडोनेशिया का संविधान महिलाओं को समान अधिकार देता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में परंपराएं हावी रहती है.