लाखों निवेशकों के लिए राहत! सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को संपत्तियां बेचकर पैसे लौटाने का आदेश दिया। जानिए कैसे निवेशकों की वर्षों से फंसी रकम जल्द होगी वापस और क्या हैं कोर्ट के नए दिशा-निर्देश। यह फैसला आपके पैसे की उम्मीदें फिर से जगा सकता है!
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सहारा इंडिया की बचत योजनाओं में वर्षों से फंसे करोड़ों निवेशकों के लिए सुप्रीम कोर्ट का हालिया आदेश एक बड़ी राहत लेकर आया है। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को अपनी संपत्तियां बेचकर निवेशकों की राशि 15% सालाना ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया है। यह फैसला निवेशकों की लंबी प्रतीक्षा को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निर्देश दिया है कि वे सेबी-सहारा रिफंड खाते में 10,000 करोड़ रुपये जमा करें। इसके लिए समूह अपनी संपत्तियां बेच सकता है। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि संपत्तियां बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन उन्हें सर्किल रेट से कम कीमत पर नहीं बेचा जा सकता। यदि संपत्ति सर्किल रेट से कम पर बेचने का विचार किया जाता है, तो सहारा समूह को कोर्ट से अनुमति लेनी होगी।
2012 का आदेश और कोर्ट की नाराजगी
सहारा समूह को निवेशकों की राशि लौटाने का यह निर्देश 2012 में भी दिया गया था। उस समय कोर्ट ने सहारा की दो कंपनियों, एसआईआरईसीएल (SIRECL) और एसएचआईसीएल (SHICL) को निवेशकों से जमा की गई राशि 15% वार्षिक ब्याज के साथ सेबी के पास जमा करने का आदेश दिया था। लेकिन सहारा समूह ने अब तक इस आदेश का पूर्ण रूप से पालन नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस देरी पर कड़ी नाराजगी जताते हुए स्पष्ट किया कि समूह को 25,000 करोड़ रुपये में से बचे हुए 10,000 करोड़ रुपये जल्द से जल्द जमा करने होंगे।
सहारा के वकील की दलील
सहारा समूह की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि संपत्तियां बेचने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया है। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि संपत्तियां बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए समूह को अपनी संपत्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए।
निवेशकों के लिए उम्मीद की किरण
यह फैसला उन लाखों निवेशकों के लिए राहत लेकर आया है, जिनकी मेहनत की कमाई सहारा समूह की बचत योजनाओं में फंस गई थी। कोर्ट ने सहारा समूह पर दबाव बढ़ाते हुए यह सुनिश्चित किया है कि निवेशकों की जमा राशि ब्याज सहित वापस की जाए। यह निर्णय निवेशकों के लिए उनके लंबे समय से अटके हुए पैसे पाने की उम्मीद लेकर आया है।
संपत्ति बेचने की प्रक्रिया और शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने संपत्तियों की बिक्री के लिए शर्त रखी है कि उन्हें सर्किल रेट से कम कीमत पर नहीं बेचा जा सकता। यदि सहारा समूह को संपत्ति सर्किल रेट से कम पर बेचनी हो, तो कोर्ट से पूर्व अनुमति अनिवार्य होगी। इन शर्तों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि निवेशकों को उनकी राशि समय पर और उचित तरीके से मिले।
FAQs: सहारा इंडिया निवेश और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़े सवाल
1. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को कितना पैसा लौटाने का आदेश दिया है?
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को 10,000 करोड़ रुपये सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा करने का निर्देश दिया है।
2. निवेशकों को राशि पर ब्याज मिलेगा?
हां, सुप्रीम कोर्ट ने 15% वार्षिक ब्याज सहित राशि लौटाने का आदेश दिया है।
3. संपत्तियां बेचने की शर्तें क्या हैं?
संपत्तियां सर्किल रेट से कम कीमत पर नहीं बेची जा सकतीं। अगर ऐसा करना हो, तो कोर्ट की अनुमति लेनी होगी।
4. निवेशकों को राशि कब तक मिलने की उम्मीद है?
संपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया शुरू होने के बाद निवेशकों को जल्द ही राशि मिलने की उम्मीद है।
5. क्या सहारा समूह पर पहले भी ऐसा दबाव बनाया गया था?
हां, 2012 में भी सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को निवेशकों की राशि लौटाने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी।