PS: SabKuch Gyan. माँ की अर्थी सजायी जा रही थी लाल जोड़ा में माँ बहुत सुंदर लग रही , माथे पे लाल बड़ी सी बिंदी , चूड़ी ,बिछिया पायल , नाक का रिंग ….. सोलह श्रृंगार में माँ का पार्थिव शरीर मेरे समक्ष पड़ा था।मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा कि मात्र इक्कावन साल में तुम चली जाओगी लेकिन क्यूँ माँ !
जब तक तुम जीवित रही तब सोलह श्रृंगार कभी नहीं की ?उफ्फ !आज मरणोपरांत …. .. ?
जीवन की कठिन तपस्या अब प्रारंभ हुई मेरी , जब मेरे बड़े भैया , भाभी को यह कहकर हमारे पास रख जाते हैं कि शनिवार को आऊंगा और सोमवार को सुबह चला जाऊंगा । आप सबकी देखभाल करेगी सुनीता , ठीक है पापा ! बिचारे पापा क्या कहते … खुद मरूस्थल के तपते रेत पर चल रहे , माँ अपने उतरदायित्व से खुद मुक्त हो गई थी लेकिन पापा, दो साल बड़ा भाई और मुझे अकेलापन के आग में जलने के लिए छोड़ गई थी ।
खैर ! हमारे पास भाभी का रहना ना रहना एक बराबर ही रहा, चूंकि सुबह में नाश्ता बनाकर पापा और भाई को खिलाती ,तब कॉलेज जाती मैं। दोपहर के तीन बजे वापस आने पर पापा को देखती कि भूखे प्यासे हैं?पापा को खाना खिला देती फिर भाई काॅलेज से आता , फिर उसे खाना देती , तब आराम करने लेटती ।
भाभी के रहने से कोई सुख चैन नहीं था ?पापा , आप मेरे काॅलेज से आने के पहले दोपहर में भूखे क्यों बैठे रहते हैं , भाभी से मांगकर लंच खा लिया करिए। सुबह नौ बजे खाते हैं , दोपहर के इतनी देर तक भूखा रहना ठीक नहीं पापा ? मैं उपालम्भ वश बोली ताकि पापा मेरे ना रहने पर अपना ख्याल रख सकें।
कोई बात नहीं बेटा , बहू भी दोपहर का खाना बना आराम करने चली जाती है और मैं उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहता ? उसके कमरे में ए सी चलता है इसलिए एक दो बार आवाज भी देता हूँ ना , तो बहू सुन नहीं पाती ? पापा की बात से दीन हीन और करूणा का आभास हुआ है, समझते देर ना लगी मुझे कि भाभी जानबूझकर पापा को दोपहर में खाना नहीं देती है ?खैर ! ऊपरवाले की आवाज में शोर नहीं होती , जब भगवान आवाज देते है ना तो किसी को भी नहीं बख्सते ?
अब यही होनेवाला था।घर में बिजली बिल आया था , पूरे बयालीस हजार का ।माँ को गुजरे चार महीने हो चुके थे और इन महीनों में पापा को याद ही नहीं रहा बिल को जमा करना।
पापा सकते में हैं , कितनी बड़ी लापरवाही हो गई है ,आज सरला होती तो समयानुसार जमा हो जाता पैसा। हर महीने तत्पर हो बिजली का बिल जमा करवाती थी , वैसे जमा तो करना ही है । पापा थे तो असमंजस में…. पर उन्हें कुछ उपाय सुझाना जरूरी था इसलिए ,
पापा, आप भैया से फोन कर के बोलिए ना, किसी दोस्त के माध्यम से बिजली बिल यहाँ का जमा करवा दें वो ,नहीं तो पावर कनेक्शन कट जाएगा ? मैं पापा को परामर्श देती हूँ ताकि कुछ उपाय हो जाए।
पापा भैया को फोन लगाते हैं, पंकज बेटा ! उधर से भैया … जी पापा , सादर प्रणाम !बेटा एक प्रॉब्लम आ गया है उसे ठीक करा दो तुम्हारी माँ के जाने के बाद से भूल गया था ?हाँ हाँ कहिए पापा , उधर से भैया बोल पड़े । पापा कहते हैं…. बयालीस हजार का बिजली का बिल आया है कल ही सुबह तक जमा कराने का अल्टीमेटम दिया हुआ है इसलिए तुम जमा करा दो । जब आते हो तब पैसा तुम्हें लौटा देंगे हम । ओ के पापा , पैसा को जमा करा देता हूँ , आप चिंता ना करें ,कहकर भैया फोन रख देते हैं।
शनिवार को भैया आते हैं और चाय पानी के बाद तुरंत पापा से अपना पैसा वापस मांग बैठे।ओह बेटा ! बैंक से पैसा निकालना भूल गया था ? कल निकाल कर देता हूँ । इतना सुनना था कि भैया को मिर्ची लग गई, बिफर पड़े पापा पर …. जोर से चिल्लाकर बोले , पापा हमको बेवकूफ समझते हैं आप ? पाँच दिन पहले का जमा किया पैसा को आपकी लौटाने की नीयत नहीं है ? कल रविवार को भला कौन सा बैंक खुला रहता है ?पापा को भैया से ऐसे बकवास की अपेक्षा कतई नहीं थी?
पापा भी एकदम से हीरो बन , तंज कसते हुए बोल पड़े ।अच्छा बेटा , तुम पुत्र नहीं हो कुपुत्र हो । रोज फोन पर तुम्हारी और बहू की बात की बकवास सुनता हूँ । इसलिए तुम बहू को यहाँ हमारी देखरेख के बहाने रख गए हो कि कहीं यह मकान तुम्हारे छोटे भाई या बहन के नाम ना लिख दूँ । कहते रहते हो बहू से ….. वहीं डटी रहना , हमें अपना हक नहीं छोड़ना है , कब पापा का मन बदल जाए कोई ठीक नहीं है। जब तक बंटवारा नहीं होता है तुम चुपचाप वहीं पड़ी रहो .है ना बहू . तुम्हारा पति यानि कि मेरा कपूत यही सब बोलता है ना तुमसे! सब सुनाई पड़ता है बहरा नहीं मैं ना ही अंधा ?जो इतना अधिक बिजली बिल आया है ना ! सब तुम्हारी धर्म पत्नी की वजह से ही आया है , चौबीस घंटे ए सी चलाती है।तुम दोनों पति पत्नी कान खोलकर सुन लो , इस मकान का तीन हिस्सा होगा ।
भाभी की काटो तो खून नहीं ! सकपका गई हैं और भैया सोच भी नहीं सकते थे कि पापा ऐसा जवाब देंगे । पापा का जवाब सुन भैया भारी कदम से अपने कमरे में चले जाते हैं और भाभी भी घसक जाती हैं।म
हमदोनों भाई बहन भी अपने अपने कमरे में चले जाते हैं ।
दूसरे दिन पापा खुद ही जाकर ए टी एम से दो बार बीस बीस हजार निकाल लाते हैं और दो हजार मिलाकर रख देते हैं भैया को देने के लिए।सोमवार की सुबह भैया जाने के पूर्व पापा को प्रणाम करने के लिए आए , पैर छूते हैं पापा उनके हाथ में पैसा थमा कर मुँह फेर लेते हैं. भैया के लिए पापा का मुँह घुमा लेना असहनीय है ।
कातर आवाज में भैया कहते हैं पापा , आप आर्शीवाद नहीं दीजिएगा ?पैसा लौटाते हुए भैया पापा का हाथ पकड़ लेते हैं . पापा कुछ तो बोलिए. आपको खुश देखना चाहते हैं हम !बहुत अनुनय विनय करते रहे भैया ! पर पापा टस से मस नहीं हुए, पैसा वहीं जमीन पर गिर जाता है ।अंतत: पापा का दिल पिघला है , चलो सब ठीक है ।हम तभी खुश होंगे जब तुम बहू को अपने साथ ले जाओगा वहाँ ! बहू यहाँ जबरदस्ती का रिश्ता निभाए जा रही है , तुम्हारे भाई बहन के लिए कुछ नहीं करती वो ? तुम्हारे छोटे भाई बहन की कभी माँ नहीं बन सकती ?
ठीक है पापा! दरवाजे पर खड़ी भाभी भी सब सुन रही थी , उनका मुँह लटक गया था । फिर भैया भाभी लेकर अपने पोस्टिंग वाले शहर चले जाते हैं ।पापा अब हमदोनों के लिए माँ बन गए हैं , सब्जी दाल बनाकर जाती हूँ काॅलेज. आने के बाद पापा चावल कुकर में चढ़ा देते हैं । हम भाई और पापा गर्मागर्म खाते हैं ।आज पापा नहीं हैं .आज भी उस दिन का उनका प्रबुद्ध रूप मानस पटल पर अंकित है । आज मैं राँची वीमेंस काँलेज मे हिंदी की लेक्चरर हूँ । मेरी माँ के प्यार से वंचित हो गई थी मैं पर पापा दी ग्रेट ने माँ बन संभाल रखा था मुझे ।
अंजूओझा पटनामौलिक स्वरचित