हे भगवान! चार साल के मासूम को जिंदा जलाकर किया राख, कातिल की सच्चाई जानकर दहल जाएगा दिल?

उसने 2 लीटर पेट्रोल खरीदा और हर्ष जला दिया. घटना के बाद पंचराम नागपुर भाग गया था, जहां वह 2 दिनों तक रहा, लेकिन पुलिस ने उसकी मां के मोबाइल फोन के जरिए उसे ढूंढ लिया.

हे भगवान! चार साल के मासूम को जिंदा जलाकर किया राख, कातिल की सच्चाई जानकर दहल जाएगा दिल?

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे पढ़कर आपका दिल दहल जाएगा। यहां एक शख्स ने चार साल के मासूम बच्चे को जिंदा जला दिया है. हर्ष चेतन नाम के उस मासूम बच्चे को पेट्रोल छिड़क कर जिंदा जला दिया गया. अब कोर्ट ने हत्यारे को आखिरी सांस तक फांसी पर लटकाए रखने का आदेश दिया है. रायपुर कोर्ट ने रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस में सजा का ऐलान किया. आइए आगे जानते हैं कि उस शख्स ने बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया।

जानें मासूम को जलाने की वजह

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांजगीर-चांपा जिले के रहने वाले जयेंद्र चेतन अपनी 29 वर्षीय पत्नी पुष्पा चेतन और 2 बच्चों के साथ रायपुर के उरला थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 4 में अशोक बघेल के मकान में रहते थे. 5 अप्रैल 2022 को उन्होंने पुलिस से शिकायत की कि उनका पड़ोसी पंचराम गेंड्रे उनके बच्चों दिव्यांश (5) और हर्ष (4) को सुबह करीब 9.30 बजे मोटरसाइकिल पर घुमाने ले गया. पुष्पा के बुलाने पर दिव्यांश वापस लौट आया,लेकिन हर्ष दूसरी बाइक पर जाने की जिद कर रहा था, लेकिन पंचराम ने पहले ही यह साजिश रच ली थी और अकोलीखार गांव के बीच सुनसान इलाके में हर्ष की हत्या कर दी. उसने पेट्रोल खरीदा और हर्ष पर छिड़ककर आग लगा दी. जब हर्ष वापस नहीं लौटा तो खोजबीन के दौरान पुलिया को हर्ष का जला हुआ शव मिला. जयेंद्र को पंचराम पर हत्या का शक हुआ तो पुलिस ने उस की तलाश की.

क्या है पूरा मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामले की जांच डीएसपी सुरेश कुमार ध्रुव और थाना प्रभारी भरतलाल बरटेह ने की. मुखबिर की सूचना पर पंचराम को पकड़ा गया. जब उससे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह पुष्पा को पसंद करता था, लेकिन जब उसने उससे बात करने की कोशिश की तो उसने उसे नजरअंदाज कर दिया. वह क्रोधित हो गया और उसने उसके बच्चों को मारकर उसे सबक सिखाने का फैसला किया. उसने 2 लीटर पेट्रोल खरीदा और हर्ष जला दिया. घटना के बाद पंचराम नागपुर भाग गया था, जहां वह 2 दिनों तक रहा, लेकिन पुलिस ने उसकी मां के मोबाइल फोन के जरिए उसे ढूंढ लिया. नागपुर भागने से पहले उसने दुर्ग में अपनी मोटरसाइकिल 25,000 रुपये में बेची थी और 15,000 रुपये एडवांस लिए थे. जयेंद्र चेतन ने बताया कि पंचराम उनकी बिल्डिंग में रहते थे और बच्चों के चाचा जैसे थे.

पहली मौत की सजा

बता दें कि रायपुर में 46 साल बाद किसी मामले में दी गई यह पहली मौत की सजा है. सजा सुनाते हुए जज ने कहा कि ऐसे मामलों में नरमी दिखाने से अपराधियों के हौंसले बढ़ेंगे और न्याय व्यवस्था को बनाए रखने में न्यायपालिका की भूमिका कमजोर होगी. अपराधी को अपने किए पर पछतावा नहीं है, इसलिए उसे मौत की सजा दी जाती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *