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‘पारदर्शिता और बेहतर संवाद सुशासन के लिए जरूरी’, झूठे नैरेटिव्स के खिलाफ PM मोदी का मंत्र

‘पारदर्शिता और बेहतर संवाद सुशासन के लिए जरूरी’, झूठे नैरेटिव्स के खिलाफ PM मोदी का मंत्र
‘पारदर्शिता और बेहतर संवाद सुशासन के लिए जरूरी’, झूठे नैरेटिव्स के खिलाफ PM मोदी का मंत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा शासन में संचार के महत्व को समझा है। जनता का विश्वास और भरोसा पाने के लिए प्रभावी संवाद आवश्यक होता है। हाल ही में, उन्होंने अपने मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों को यह निर्देश दिया कि वे सरकार की नीतियों, निर्णयों और उपलब्धियों के बारे में जनता को सही और समय पर जानकारी दें।

यह कदम उन “झूठे नैरेटिव्स” का सामना करने के लिए उठाया गया है, जो विपक्ष द्वारा प्रचारित किए जा रहे हैं और जो सरकार के प्रयासों को कमजोर कर सकते हैं।

राजनीति में नैरेटिव्स की शक्ति
राजनीति में एक मजबूत नैरेटिव्स का होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक अच्छा नैरेटिव्स जनता की राय को प्रभावित कर सकता है, धारणाओं को बदल सकता है, और अंततः चुनावी नतीजों पर असर डाल सकता है। विपक्ष अक्सर सरकार की नीतियों और पहलों में कमियां निकालकर एक ऐसी नैरेटिव्स बनाता है, जिससे सरकार की मंशा और उसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठते हैं। मोदी सरकार के लिए यह जरूरी है कि जनता को सही जानकारी मिले, जिससे उनका विश्वास और सरकार की विश्वसनीयता बनी रहे।

हाल के आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया। उन्होंने भाजपा पर संविधान में बदलाव करने और भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाया। इन दावों का उद्देश्य मतदाताओं के बीच भय और संदेह पैदा करना था, लेकिन भाजपा ने इन आरोपों का दृढ़ता से खंडन किया और प्रधानमंत्री मोदी ने इन्हें विपक्ष द्वारा जनता को गुमराह करने का प्रयास बताया।

झूठे नैरेटिव्स का सामना
विपक्ष ने चुनाव अभियान के दौरान यह दावा किया कि भाजपा की जीत से संविधान में ऐसे बदलाव होंगे जो देश के मूल ढांचे को बदल सकते हैं। हालांकि, भाजपा ने जनता को बार-बार आश्वस्त किया कि उसका ऐसा कोई इरादा नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इस स्थिति को जनता तक स्पष्ट रूप से पहुँचाया जाए ताकि विपक्ष के भ्रामक नैरेटिव्स को रोका जा सके।

विपक्ष का एक और बड़ा दावा यह था कि भाजपा सरकार असहिष्णुता का माहौल बनाएगी, विशेषकर मुसलमानों के प्रति। इस नैरेटिव्स का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को भाजपा के खिलाफ एकजुट करना था। हालांकि, भाजपा ने “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के नारे के साथ समावेशी विकास की अपनी प्रतिबद्धता को उजागर किया। पीएम मोदी ने बार-बार कहा है कि सरकार की योजनाएँ सभी नागरिकों के लिए हैं, चाहे उनका धर्म या समुदाय कुछ भी हो।

विपक्ष ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी सरकार की आलोचना की, खासकर लद्दाख में चीनी घुसपैठ को लेकर। कांग्रेस ने दावा किया कि भाजपा भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने में विफल रही है। हालांकि, सरकार ने इन दावों का खंडन किया है और कहा है कि कोई भी भारतीय क्षेत्र नहीं खोया गया है, और भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अहम कदम उठाए गए हैं।

संचार का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अपनी मंत्रिपरिषद और शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई बैठक में समय पर संचार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि जनता को सरकार के काम और नीतियों के बारे में सही जानकारी दी जाए। यह दृष्टिकोण केवल झूठे आख्यानों का मुकाबला करने के लिए ही नहीं, बल्कि शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए भी आवश्यक है।

मोदी का केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन में राज्य सरकारों को शामिल करने पर जोर सहकारी संघवाद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल से योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ेगी और अधिक से अधिक लोगों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित होगी।

प्रधानमंत्री का यह निर्देश दिखाता है कि वे उभरते राजनीतिक परिदृश्य को अच्छी तरह समझते हैं, जहां गलत सूचना तेजी से फैल सकती है और जनमत को प्रभावित कर सकती है। जनता को सही और समय पर जानकारी देकर और गलत सूचनाओं का सामना करके, मोदी सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि विकास और सुशासन पर आधारित उनकी नैरेटिव्स प्रभावी रहे।

प्रधानमंत्री मोदी का पारदर्शिता और प्रभावी संचार पर जोर देना सरकार के नैरेटिव्स को बनाए रखने और विपक्ष के प्रयासों का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम है। ऐसे समय में जब गलत सूचनाएँ तेजी से फैलती हैं, यह जरूरी है कि जनता को सरकार की नीतियों और उपलब्धियों के बारे में सटीक और समय पर जानकारी मिले। पारदर्शिता, जवाबदेही, और प्रभावी संचार पर मोदी सरकार का ध्यान न केवल सुशासन को सशक्त करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे राजनीतिक क्षेत्र में नैरेटिव्स की लड़ाई जीतने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं।

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