किसी जमीन पर कब्जा करने के 2 तरीके होते हैं एक तो बल प्रयोग और दूसरा कानूनी। इस विषय में सबसे मुख्य बात तो यह है कि यदि जमीन कानूनी रूप से अपनी है तो उस पर कब्जा करने की नौबत तभी आएगी जब किसी अन्य ने उस पर गलत तरीके से कब्जा कर लिया हो। अब ऐसे में स्वाभाविक है कि हमें अपने अधिकार के लिए कुछ तो रास्ता चुनना पड़ेगा। ऐसी ही स्थिति की हम यहां विवेचना और स्पष्टीकरण करने जा रहे हैं।
भारतीय कानून में अहिंसा को प्राथमिकता दी गई है। पर कुछ ऐसी अपवादात्मक परिस्थितियां भी हैं जहां आत्मरक्षा के लिए हिंसात्मक तरीके से प्रतिक्रिया दी जा सकती है। उदाहरण के लिए यदि आप की कमाई से खरीदी गई या निजी पैतृक संपत्ति पर किसी अन्य ने अवैधानिक रूप से कब्जा कर लिया हो और वापस ना करते हुए हिंसात्मक उपकरणों का प्रयोग आपके खिलाफ करें तो ऐसी स्थिति में आप भी प्रतिक्रिया स्वरूप हिंसात्मक कदम उठा सकते हैं। पर उसके लिए कुछ नियम व शर्तें हैं जिन्हें जानना आवश्यक है। आइए जानते हैं उन नियमों और शर्तों के विषय में।
आत्मरक्षा (Self Defence) के अधिकार के तहत
भारतीय संविधान की धारा 96 से 106 तक में आत्मरक्षा के अधिकारों व नियमों के विषय में बताया गया है। इस कानून के तहत प्रत्येक भारतीय नागरिक को यह अधिकार है कि यदि कोई जबरन आपकी संपत्ति हड़पने के लिए आपको नुकसान पहुंचा रहा है तो आप भी उसके साथ वैसा ही कर सकते हैं।
इस तरह के विवाद को न्यायालय में सुलझाने का भी प्रावधान है। पर यह एक लंबी प्रक्रिया होगी। कानूनी दायरे के अंतर्गत यदि आप सक्षम है तो बल प्रयोग के द्वारा भी अपनी संपत्ति पर कब्जा ले सकते हैं। ऐसे में संभव है कि सामने वाले की जान तक लेने की नौबत आ सकती है। हालांकि यह नैतिक रूप से और सूझबूझ के दृष्टिकोण से भी एक उपयुक्त तरीका नहीं माना जा सकता। कारण यह है कि इससे एक नया विवाद जन्म ले सकता है और यह प्रक्रिया पीढ़ी दर पीढ़ी लंबी खिंच सकती है।
क्या है यह कानून?
यदि किसी ने आपकी निजी संपत्ति पर अनाधिकारिक रूप से कब्जा करके अपना निजी निर्माण करवा लिया है साथ ही अपना साजो सामान भी रख लिया है तो आत्मरक्षा का कानून आपको बल प्रयोग करने का अधिकार देते हुए अपनी संपत्ति को वापस पाने का अधिकार भी देता है। इसके लिए आपको अवैधानिक कब्जे को हटाने व गैरकानूनी रूप से रखे गए सामान को बाहर कर देने का अधिकार है।
ऐसी स्थिति में क्या कानून लेगा हमारा पक्ष
प्रायः इस तरह के विवाद में कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। पर आत्मरक्षा के कानूनी संरक्षण के अंतर्गत आपके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। दूसरी बात जो आपके पक्ष में होगी वह यह कि यदि दूसरा पक्ष न्यायालय या पुलिस में आपकी शिकायत दर्ज करवाता है तो ऐसी स्थिति में पुलिस और कोर्ट दोनों ही जगह आपके पक्ष में फैसला होगा।
किस सीमा तक अधिकार है आत्मरक्षा कानून के तहत
यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि आत्मरक्षा के कानून के अंतर्गत हमें जो अधिकार मिले हैं, उसका भी एक मानदंड है जिसके अनुसार हम अपनी संपत्ति पर कब्जा पाने के लिए उतना ही बल प्रयोग कर सकते हैं जितना कि हमारा विरोधी हमारे लिए कर रहा है। इसका सीधा सा तात्पर्य यह है कि यदि सामने वाला लाठी डंडे से प्रहार करता है तो हमें भी वही करना है। साथ ही यदि वह हमारे ऊपर जानलेवा हमले के उद्देश्य गोली चलाता है तो हम भी अपनी आत्मरक्षा में गोली चला सकते हैं।
इसके साथ ही यदि संपत्ति विवाद को लेकर पहले से ही कोर्ट में मुकदमा दाखिल हो चुका है तो ऐसी स्थिति में बल प्रयोग वह हिंसा गैरकानूनी माना जाएगा। ऐसा करने पर आपके ऊपर नियमत: कानूनी कार्रवाई होगी और एक नई समस्या खड़ी हो जाएगी।