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Tuesday, March 21, 2023
Dharam

Rang Panchami 2023 : क्या है रंग पंचमी का महत्व आज मनाई जा रही देव होली जानें शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा.


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Rang Panchami 2023 : सनातन धर्म में साल के पहले त्योहार के रूप में होली का पर्व मनाया जाता है. होली के ठीक 5 दिन बाद देव होली याने रंग पंचमी खेली जाती है. इस साल रंग पंचमी का पर्व आज (12 मार्च) रविवार को मनाया जा रहा है. रंग पंचमी को श्री पंचमी और देव पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. रंग पंचमी का त्योहार सनातन धर्म में एक विशेष महत्व रखता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं, रंग पंचमी का महत्व, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में.

रंग पंचमी 2023 आरंभ तिथि


चैत्र माह की रंग पंचमी तिथि का आरंभ : 11 मार्च, रात 10 बजकर 6 मिनट पर (कल रात से आरंभ हो चुकी है).

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चैत्र माह की रंग पंचमी तिथि का समापन : आज 12 मार्च रात 10 बजकर 02 मिनट पर.

उदया तिथि के अनुसार, रंग पंचमी का त्योहार आज यानी 12 मार्च 2023 दिन रविवार को मनाया जा रहा है.

क्या है रंग पंचमी का महत्व?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंग पंचमी के त्योहार पर एक-दूसरे को गुलाल लगाने की परंपरा है. रंग पंचमी पर रंगों से नहीं बल्कि गुलाल से होली खेली जाती है. इस दिन को हुरियारे गुलाल उड़ा कर अपने तरीके से मनाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंग पंचमी के दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आकर आम मनुष्य के साथ गुलाल खेलते हैं. कहा जाता है रंग पंचमी के दिन भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु को पीला रंग अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा इस दिन देवी देवताओं को विशेष प्रकार के पकवान का भोग लगाना चाहिए.

रंग पंचमी की पौराणिक कथा
धार्मिक पौराणिक कथा के अनुसार, रंग पंचमी के दिन भगवान कृष्ण ने राधा के साथ होली खेली थी. यही वजह है कि इस दिन राधा कृष्ण को विधि विधान से पूजा के बाद गुलाल अर्पित किया जाता है और फिर गुलाल से ही होली खेलने की परंपरा प्रचलित है.

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एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, होलाष्टक के दिन कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी, जिससे क्रोधित होकर भोलेनाथ ने कामदेव को भस्म कर दिया था. इसके कारण देवलोक में सभी दुखी हो गए थे परंतु कामदेव की पत्नी देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने कामदेव को दोबारा जीवित करने का आश्वासन दिया तो सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और रंगोत्सव मनाने लगे. इसके बाद से ही पंचमी तिथि को रंग पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा.

 

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