‘इस इंडस्ट्री का हिस्सा बन आती है शर्म’, Kalki 2898 AD में कर्ण के किरदार पर भड़के अनंत श्रीराम

‘इस इंडस्ट्री का हिस्सा बन आती है शर्म’, Kalki 2898 AD में कर्ण के किरदार पर भड़के अनंत श्रीराम (Himachali Khabar) Anantha Sriram Criticized Kalki 2898 Ad: पिछले साल रिलीज हुई फिल्म ‘Kalki 2898 AD’ ने सिनेमाघरों में खूब धमाल मचाया उसके बाद बहुत दिनों तक यह फिल्म चर्चा का विषय बनी रही। इस फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया बल्कि इस फिल्म की कहानी ने भी कई विवादों को जन्म दिया। इस फिल्म में हिंदू महाकाव्य महाभारत के पात्रों को एक साइंटिफिक-फिक्शन की दुनिया में ढाला गया है। जहां अमिताभ बच्चन ने अश्वत्थामा का किरदार निभाया वहीं प्रभास ने डबल रोल किया जिसमें वे महाभारत के कर्ण और एक बाउंटी हंटर भैरव के रूप में नजर आए। अब इस फिल्म में कर्ण के किरदान को लेकर गीतकार अनंत श्रीराम ने नाराजगी जताई है।

कर्ण के किरदार पर जताई नाराजगी

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अनंत श्रीराम ने ‘Kalki 2898 AD’ में कर्ण के किरदार को लेकर अपनी असहमति जताई है। उनका कहना है कि फिल्म के मेकर्स ने कर्ण को अर्जुन से श्रेष्ठ दिखाकर पौराणिक कथाओं का विकृत रूप प्रस्तुत किया है। उन्होंने यह भी कहा कि आज के सिनेमा में हिंदू धार्मिक कथाओं और प्रतीकों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है जो समाज के लिए हानिकारक है।

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इंडस्ट्री का हिस्सा होने पर जताई शर्मिंदगी

अपने बयान में श्रीराम ने कहा “जब कर्ण को अर्जुन से श्रेष्ठ बताया गया तो यह हमारे धर्म और संस्कृति का अपमान है। हमें चुप नहीं रहना चाहिए खासकर जब हम हिंदू समाज का हिस्सा हैं।” उन्होंने फिल्म निर्माताओं पर हिंदू देवी-देवताओं और धार्मिक प्रतीकों का अपमान करने का आरोप भी लगाया और ऐसी फिल्मों का बहिष्कार करने की अपील की। उनके अनुसार “जब द्रौपदी का वस्त्रहरण हुआ था तब कर्ण ने क्या किया था? यह सवाल है जो हमें अपने धर्म के प्रति जिम्मेदारी के साथ उठाना चाहिए।” श्रीराम ने कहा कि उन्हें इस फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा होने पर शर्मिंदगी महसूस हो रही है और अब समय आ गया है कि इस तरह की फिल्मों का विरोध किया जाए।

वेणु उडुगुला ने भी इस मुद्दे पर दी प्रतिक्रिया

इस बीच फिल्म निर्माता वेणु उडुगुला ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। उडुगुला ने बताया कि तेलुगू सिनेमा में कर्ण के मानवीकरण की परंपरा नई नहीं है। उन्होंने 1977 में आई एनटी रामा राव की फिल्म ‘दान वीर सूरा कर्ण’ का उदाहरण देते हुए कहा कि कर्ण के व्यक्तित्व को मानवीय दृष्टिकोण से पेश करने की शुरुआत इस फिल्म से हुई थी। वेणु ने यह सवाल भी उठाया कि क्या अनंत श्रीराम का बयान केवल कर्ण के किरदार पर आधारित है या फिर वह एनटीआर की इस फिल्म के दृष्टिकोण का भी विरोध कर रहे हैं।

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