ऑफिस हो या वर्क फ्रॉम होम चल रहा हो, तो लगातार 8 से 10 घंटे कुर्सी पर बैठे रहने से रीढ़ की हड्डी में दर्द रहने लग सकता है. समय रहते इसका बचाव कैसे करें, ये जानें इस वीडियो में.
long sitting health risks: आज के समय में ज़्यादातर लोग ऑफिस में 8 से 10 घंटे तक लगातार कुर्सी पर बैठकर काम करते हैं. यह आदत भले ही प्रोफेशन का हिस्सा हो, लेकिन शरीर के लिए यह बेहद नुकसानदेह हो सकती है. खासतौर पर रीढ़ की हड्डी (spine) के लिए लंबे समय तक बैठना धीरे-धीरे खतरे की घंटी बन सकता है. लगातार बैठे रहने से शरीर की मुद्रा (posture) बिगड़ जाती है, मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और रीढ़ पर दबाव बढ़ने लगता है.
रीढ़ की हड्डी (Spine) हमारे शरीर का सबसे अहम हिस्सा होती है, जो न केवल शरीर को सहारा देती है बल्कि चलने-फिरने, उठने-बैठने और झुकने जैसी हर गतिविधि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. जब रीढ़ की हड्डी में दर्द शुरू होता है तो यह केवल पीठ तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे शरीर की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है. रीढ़ का दर्द धीरे-धीरे शुरू होकर गंभीर रूप भी ले सकता है, इसलिए इसे हल्के में लेना ठीक नहीं होता.
मैक्स अस्पताल में आर्थोपेडिक विभाग में यूनिट हैड डॉ. अखिलेश यादव बताते हैं कि जब हम लंबे समय तक एक ही जगह बैठते हैं, खासकर अगर पोस्चर गलत हो, तो रीढ़ की हड्डी पर सीधा असर पड़ता है. हमारी रीढ़ एक प्राकृतिक S शेप में होती है, लेकिन बैठने की गलत आदतें इस शेप को बिगाड़ देती हैं. इससे पीठ के निचले हिस्से (lower back) में दर्द शुरू होता है, जो धीरे-धीरे स्लिप डिस्क, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस या sciatica जैसे रोगों में बदल सकता है.
इसके अलावा गर्दन झुकाकर कंप्यूटर पर लगातार काम करने से नेक पेन, शोल्डर स्ट्रेन और सिरदर्द जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं. जब रीढ़ सही ढंग से सपोर्ट नहीं पाती, तो पूरी बॉडी का बैलेंस बिगड़ता है और चलने-फिरने पर भी असर होने लगता है.
लंबे समय तक बैठने से हो सकती हैं ये समस्याएं
लोअर बैक पेन
सर्वाइकल दर्द
गर्दन और कंधों में अकड़न
हाथ-पैरों में झनझनाहट
थकान और शरीर में भारीपन
कोर मसल्स की कमजोरी
स्पाइन की फ्लेक्सिबिलिटी कम होना
कैसे करें बचाव? अपनाएं ये आसान उपाय
– हर 30-40 मिनट में एक बार उठें 2-3 मिनट टहलें या स्ट्रेच करें
– सही पोस्चर में बैठें पीठ सीधी रखें, कंधे ढीले छोड़ें, स्क्रीन आंखों के लेवल पर हो
– एर्गोनॉमिक कुर्सी का इस्तेमाल करें जिसमें बैक सपोर्ट और सीट कुशनिंग अच्छी हो
– पैर ज़मीन पर रखें और घुटने 90 डिग्री पर मुड़े हों
– वर्कस्टेशन सेटअप सही रखें कीबोर्ड और माउस ऐसी जगह रखें जिससे हाथों पर ज़ोर न पड़े
– डेस्क स्ट्रेचिंग करें गर्दन, पीठ और कंधों की हल्की स्ट्रेचिंग दिन में 23 बार करें
– वर्कआउट और योग को दिनचर्या में शामिल करें खासकर ब्रीजिंग एक्सरसाइज़ और बैक स्ट्रेचेस
कब डॉक्टर से मिलें?
अगर पीठ का दर्द रोज़ाना हो रहा है, चलने में दिक्कत हो रही है, झनझनाहट या सुन्नपन बना रहता है, तो इसे नजरअंदाज न करें. किसी फिजियोथेरेपिस्ट या ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से जांच करवाएं.
थोड़ी सी सावधानी और रोज़ की आदतों में बदलाव करके ऑफिस में बैठकर काम करने से होने वाले स्पाइन के नुकसान से बचा जा सकता है. याद रखें, हेल्दी रीढ़ ही हेल्दी शरीर की नींव है.