Himachali Khabar (son-in-law’s property rights) : जहां कहीं भी हम रह रहे हैं, या कुछ कार्य कर रहे है, उस सारी प्रोपर्टी का लेखा जोखा सरकार के पास होता है। यह सब कानूनी रूप से चलता है। कौन सी प्रोपर्टी पर किसका अधिकार होगा, कौन उक्त प्रोपर्टी को प्रयोग कर सकेगा इसको लेकर भी कानून में स्पष्ट नियम हैं। लेकिन, कानून में दिए गए नियमों के बावजूद भी कितने ही केसेज कोर्टों में प्रोपर्टी से जुड़े चल रहे हैं।
जिला कोर्ट में केस का फैसला होता है तो वह होई कोर्ट में पहुंच जाता है। होर्ट कोर्ट से फैसला (high court decision on property) आता है तो वह केस सुप्रीम कोर्ट में पहुंच जाता है। कोर्ट के फैसले ज्यादातर प्रोपर्टी के मामलों में अन्य फैसलों में भी रेफरेंस के तौर पर प्रयोग होते हैं।
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ऐसा ही एक फैसला हाई कोर्ट की ओर से दामाद के प्रोपर्टी पर अधिकारों (son-in-law’s property rights) को लेकर आया है। कोई भी व्यक्ति शादी करता है तो यह उसके जीवन का बड़ा फैसला होता है। इससे दो परिवार एक दूसरे से जुड़ते हैं। दोनों परिवार एक दूसरे पर हक जताते हैं। कई बार होता है कि लड़की का परिवार लड़का पक्ष से और ज्यादा झूकाव रखता है। वह इसलिए करते हैं कि ताकि उसकी बेटी को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न आए।
प्रोपर्टी में दामाद के अधिकार पर हाईकोर्ट ने किया साफ
लेकिन कई लड़की पक्ष यह करने के लिए बाध्य नहीं है। कई बार नाजायज मांग भी लड़का पक्ष कर देता है तो इसको पूरा करने के लिए किसी प्रकार से लड़की पक्ष बाध्य नहीं है।
कई बार दामाद अपने ससुर की प्रोपर्टी (father-in-law’s property) पर हक जमाने लगते हैं, लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ससुर की किसी संपत्ति पर दामाद (son-in-law’s property rights) का कोई अधिकार नहीं है। ससुर की कोई भी संपत्ति हो, चाहे उसको खरीदने में दामाद ने रुपयों से मदद क्यों न हो, लेकिन वो संपत्ति के मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता है। प्रोपर्टी ससुर की ही रहेगी।
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कब होगी दामाद की संपत्ति
वैसे तो कानूनी तौर पर दामाद संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकता है। अपने पिता की संपत्ति में उनकी बेटी जरूर समान हक रखती है। वह अपने पिता से अपने भाई के बराबर प्रोपर्टी ले सकती हैं। लेकिन प्रोपर्टी पर पूरी तरह से हक पिता का ही रहेगा। हां गर ससुर अपनी मर्जी से प्रोपर्टी को दामाद के नाम पर कर देता है यह प्रॉपर्टी दामाद (Son-in-law’s property rights) की हो जाएगी। कानूनी रूप से वह इस प्रोपर्टी के अधिकारी हो जाएंगे।
जानिए पत्नी के प्रोपर्टी अधिकार
जिस प्रकार से दामाद को अपने ससुर की प्रोपर्टी में कोई अधिकार नहीं होता, इसी प्रकार से पैतृक संपत्ति (ancestral property) में बहू को कोई अधिकार नहीं होता है। पति के निधन के बाद पत्नी को केवल वही संपत्ति मिलेगी जो पति के नाम होगी। सास ससुर की पैतृक संपत्ति पर पत्नी अधिकार (wife’s rights in ancestral property) नहीं रखती है।
ऐसे मिलेगा महिला को प्रोपर्टी पर अधिकार
पैतृक संपत्ति (ancestral property rules) को लेकर ये नियम भी है कि अगर पति के बाद सास-ससुर की मौत भी हो जाए तो महिला को संपत्ति पर अधिकार मिल सकता है। इसके लिए जरूरी है कि सास ससुर ने प्रोपर्टी की वसीयत कहीं और न कर रखी हो। ऐसी स्थिति में ही पत्नी को उस संपत्ति पर अधिकार मिलेगा।
क्या है हाईकोर्ट का फैसला
केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने दामाद और ससुर के बीच चल रहे प्रोपर्टी विवाद (property dispute) में फैसला दिया है। इसमें साफ किया है कि ससुर की संपत्ति या भवन पर दामाद का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति एन अनिल कुमार ने आदेश दिया है।
कोर्ट का फैसला कन्नूर के तलीपरंबा के डेविस राफेल की याचिका पर आया है। हाई कोर्ट ने डेविस राफेल की याचिका को खारिज कर दिया है। पय्यन्नूर उप-न्यायालय के आदेश के खिलाफ डेविस राफेल ने अपील की थी। डेविस राफेल ने अपने ससुर हेंड्री थॉमस की संपत्ति पर कब्जा किया था। इसको कोर्ट ने खारिज करते हुए संपत्ति पर ससुर का ही अधिकार बताया था।
यह है पूरा मामला
दरअसल यह प्रोपर्टी विवाद काफी टाइम से चल रहा है। ससुर हेंड्री थॉमस ने ट्रायल कोर्ट (trial court) में केस डाला था। हेंड्री थॉमस ने दामाद डेविस के विरुद्ध स्थायी निषेधाज्ञा (permanent injunction) की मांग की थी। ससुर थॉमस ने आरोप लगाया था कि उसका दामाद डेविस उनकी संपत्ति पर अवैध कब्जा कर रहा है। जानकारी अनुसार हेंड्री थॉमस का दावा था कि उन्हें थ्रीचंबरम स्थित सेंट पॉल चर्च से ये संपत्ति उपहार में मिली थी। यह प्रोपर्टी फादर जेम्स नसरथ के थ्रू उनको मिली थी। उन्होंने कहा था कि अपनी मेहनत से उन्होंने यहां पर पक्का मकान बनाया है, लेकिन उनके दामाद का कोई अधिकार इसपर नहीं है। वह शांति से परिवार के साथ यहां रह रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ दामाद ने भी अपनी दलील पेश की। उनका कहना था कि उक्त प्रोपर्टी संदिग्ध है। चर्च ने उपहार परिवार के लिए दिया था। दामाद ने कहा कि हेंड्री की इकलौती बेटी से उन्होंने विवाह किया था। वहीं उनको परिवार का सदस्य माना गया था। इसलिए उस घर में रहने का उनको भी अधिकार है। जबकि कोर्ट ने इसपर साफ फैसला सुनाया था कि ससुर की संपत्ति पर उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
यह कानून में भी साफ है कि ससुर की संपत्ति पर दामाद का कोई अधिकार नहीं है। यह मामला हाईकोर्ट (high court decision) में पहुंचा। हाईकोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना कि वह उनकी बेटी से शादी के बाद उस घर के सदस्य हो गए और याचिका को खारिज कर दिया गया।